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देश की राजधानी दिल्ली में बंधुआ बनाकर घरेलू नौकरानी के रूप में काम करने वाली 15 साल की एक मासूम सरिता (परिवर्तित नाम) की इस वजह से निर्मम हत्या कर दी जाती है, क्योंकि वह अपनी तनख्वाह मांग रही थी.
झारखंड की इस लड़की को एक दलाल अच्छी नौकरी का सपना दिखाकर बहला-फुसलाकर दिल्ली लाता है और उसे एक घर में नौकरानी रखवा देता है. उसकी तनख्वाह खुद रख लेता है. जब उस बच्ची ने अपनी तनख्वाह की जिद की, तो वह उसकी बर्बर हत्या कर उसके लाश के 12 टुकड़े कर नाले में फेंक देता है. यह घटना दिल दहला देती है.
जिस उम्र में सरिता को स्कूल जाकर अपना भविष्य संवारना चाहिए था, उस उम्र में वह बाल मजदूर बन गई थी. आखिरकार, बाल मजदूरी ने उसका बचपन लील लिया.
यह एक भ्रांति है कि गरीबी की वजह से बाल मजदूरी हो रही है, जबकि है इसका उल्टा. बाल मजदूरी की वजह से दुनिया में गरीबी बढ़ रही है. इस मिथ को समझने से पहले आइए जरा हम बाल मजदूरी से जुड़े कुछ आंकड़ों पर गौर कर लें.
गैर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया में आज भी करीब 16.8 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी के लिए अभिशप्त हैं. यह संख्या दुनिया की 5 से 17 साल तक की उम्र के बच्चों की 10 फीसदी आबादी के बराबर है. भारत सरकार की 2011 की जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक, देश में तकरीबन एक करोड़ बाल मजदूर हैं, जबकि गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में करीब 5 करोड़ बच्चों से बाल मजदूरी कराई जा रही है.
जब भी बाल मजदूरी की बात होती है, तो तर्क दिया जाता है कि देश में इतनी गरीबी है कि गरीब का बच्चा काम नहीं करेगा, तो खाएगा क्या? बच्चों को बाल मजदूरी में ढकेलने वाले दलाल भी यही तर्क देते हैं कि बच्चा गरीब है, काम नहीं करेगा, तो ऐसे में वह भूखा मर जाएगा. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और जाने-माने बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी दशकों से यह कहते आ रहे हैं कि बाल मजदूरी की वजह से ही गरीबी है. इसे खत्म कर हम गरीबी मिटा सकते हैं. दुनिया के तमाम अध्ययनों से अब यह साबित भी हो चुका है.
दुनिया में करीब 16.8 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी करते हैं, जबकि बेरोजगारों की संख्या तकरीबन 20 करोड़ है. इसी तरह से भारत में गैर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, तकरीबन 5 करोड़ बाल मजदूर हैं और तकरीबन इतनी ही संख्या बेरोजगारों की भी है. ब्राजील, नाइजीरिया, मेक्सिको व फिलीपिंस में हुए शोध से पता चलता है कि बाल मजदूर उन माता-पिताओं की ही संतानें होती हैं, जिन्हें साल में सौ दिनों तक रोजगार नहीं मिल पाता.
अब जरा हम बाल मजदूरी का अर्थशास्त्र समझते हैं. दरअसल बच्चे सस्ते मजदूर होते हैं. वयस्क मजदूरों की तुलना में उन्हें मामूली या न के बराबर मजदूरी दी जाती है. बच्चों से 17-18 घंटे तक काम भी कराया जा सकता है, जबकि वयस्क मजदूर आठ घंटे से अधिक काम करने पर ओवरटाइम और दूसरी सुविधाओं की मांग करेगा.
मांग पूरी न होने या फिर अन्य प्रकार का शोषण होने पर वह नियामक संस्थाओं से शिकायत भी कर सकता है. ऐसे में नियोक्ता के लिए बाल मजदूर ज्यादा लाभकारी रहता है. इसी लालच में वह बाल मजदूरी को बढ़ावा देता है.
योग्य वयस्क अगर बेरोजगार रहेंगे और उनकी जगह सस्ते श्रमिकों के लालच में बच्चों से मजदूरी कराई जाती रहेगी, तो देश के आर्थिक विकास में बाधा का एक मुख्य कारण हमेशा बाल मजदूरी बनी रहेगी. कल्पना कीजिए, अगर सरिता की बजाए उसके पिता को नौकरी पर रखा जाता, तो जाहिर है परिवार की माली हालत सुधर सकती थी. आज सरिता जिंदा होती और किसी स्कूल में पढ़ रही होती.
भारत सरकार ने बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, इसलिए यह गैरकानूनी भी है. लेकिन सरकार और व्यवस्था की अपनी सीमाएं और खामियां हैं. देश-दुनिया के तमाम संगठन भी बाल मजदूरी को समाप्त करने के लिए अपने-अपने स्तर पर अभियान चला रहे हैं. लेकिन आम लोगों की जागरूकता और सहयोग से ही बाल श्रम की समस्या को खत्म किया जा सकता है.
अगर किसी के घर में घरेलू नौकर बच्चा है, तो उसका सामाजिक बहिष्कार कीजिए और उसके घर में पानी भी मत पीजिए. कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन और रेड-एफएम ने मिलकर देश के बच्चों का बचपन सुरक्षित बनाने के लिए एक अभियान चलाया हुआ है. ऐसे अभियानों से जुड़कर भी आप देश के बच्चों का बचपन सुरक्षित बनाने में मदद कर सकते हैं.
आपके बाल श्रम के विरोध से न केवल बेरोजगारों को काम मिलेगा, बल्कि गुलामी में जी रहे बच्चों का बचपन भी आजाद हो सकेगा. भारत में शिक्षा का अधिकार कानून लागू है, जिसके तहत 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है. ऐसे में देश की यह भावी पीढ़ी मजदूरी करने की बजाए स्कूल जाएगी. जाहिर है वे पढ़-लिखकर एक बेहतर नागरिक बनेंगे और देश की तरक्की में अपना योगदान देंगे.
(अनिल पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं. 20 साल से पत्रकारिता में सक्रिय हैं. जनसत्ता, स्टार न्यूज, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय और द संडे इंडियन से जुड़े रहे हैं.)
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Published: 12 Jul 2018,07:40 PM IST