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डिफीट इज एन ऑर्फन’, यह स्कॉटिश एनालिस्ट मायरा मैकडोनाल्ड की एक किताब का टाइटिल है, जो हाल ही में आई है. इस तरह अमेरिकियों ने एंटोनी ब्लिनकन के जरिए अफगानिस्तान के अपने बीस साला अभियान को पूरी तरह कामयाब बताया है, और इस बात से इनकार किया है कि अमेरिका ने जिस तरह बेआबरू होकर साइगॉन से वापसी की थी, यह वापसी उसी का दोहराव है.
हालांकि दिलचस्प यह है कि जो बाइडेन ने खुद कुछ दिनों पहले उसकी याद दिलाई थी: “आपको मकानों की छतों से निकलते लोगों की तस्वीरें देखने को नहीं मिलेंगी.” और तालिबान, जो जमीनी स्तर पर जीत गए हैं, इस फतह का जश्न मना रहे हैं. उन्होंने दुनिया की सबसे ताकतवर सेना को हरा दिया है. वे लोगों से कह रहे हैं कि युद्ध खत्म हो गया है और लोगों को डरने की जरूरत नहीं है.
‘ हालांकि दिलचस्प यह है कि जो बाइडेन ने खुद कुछ दिनों पहले उसकी याद दिलाई थी: “आपको मकानों की छतों से निकलते लोगों की तस्वीरें देखने को नहीं मिलेंगी.” और तालिबान, जो जमीनी स्तर पर जीत गए हैं, इस फतह का जश्न मना रहे हैं. उन्होंने दुनिया की सबसे ताकतवर सेना को हरा दिया है. वे लोगों से कह रहे हैं कि युद्ध खत्म हो गया है और लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. ‘अमन’ का नया दौर शुरू होने वाला है, और हर इनसान महफूज है जब तक कि वह नए इस्लामी अमीरात के नियमों को मानता रहेगा.
अमेरिका धोखा खाने का क्यों तैयार हुआ?
सरहद पार पाकिस्तान में विजेताओं को बधाइयों के संदेश दिए जा रहे हैं. देश में आतंकवादी संगठनों के बड़े नेताओं से लेकर इस्लामी पार्टियों के लीडर, सरकारी सदस्य और प्रधानमंत्री इमरान खान भी. हैरानी नहीं होना चाहिए कि एक समय उन्हें तालिबानी खान नाम से पुकारा जाता था.
जिन्हें आधा पाकिस्तान कठपुतली प्रधानमंत्री कहता है, उन्होंने ऐलान किया कि “अफगानों ने अपनी गुलामी की बेड़ियां तोड़ दी हैं”. और इस तरह इमरान खान ने लोगों को Jo लंबा चौड़ा भाषण दिया और कहा कि पश्चिमी शिक्षा, मानसिकता, कपड़े लत्तों और लाइफस्टाइल के क्या नुकसान हैं.
रावलपिंडी और उसके आस-पास के इलाकों में भी सेना की रणनीति और उसकी गुप्त योजनाओं पर खुशियां मनाई गईं.असली सवाल यही है कि क्यों बीस साल से भी ज्यादा समय तक अमेरिका पाकिस्तान से धोखा खाता रहा (ऐसा पूछने का सबसे साफ तरीका यही है.
पाकिस्तान ने दसियों साल तक मुल्ला बरादार और क्वेटा शूरा की हिफाजत की. तब तक इंतजार किया, जब तक वे इस्तेमाल लायक नहीं हो गए. यह कोई इत्तेफाक नहीं कि उसने हमेशा बरादार को अमेरिका को सौंपने से इनकार किया. तालिबान इस्लामाबाद के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी जैसा था. किसी भी वक्त उसके सहारे सौदेबाजी की जा सकती थी. जब वॉशिंगटन को अपनी राजनैतिक और भूराजनैतिक त्रुटियों की वजह से इस सौदेबाजी के लिए मजबूर होना पड़ता.
इस बीच आईएसआई हक्कानी, जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैय्यबा की मदद से पुराने और नए तालिबानी आतंकियों को प्रशिक्षित कर रहा था, हथियारों से लैस कर रहा था. उसने तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ‘बुरे’ तालिबान से लेनदेन की बात की जोकि सेना के अनुसार, पाकिस्तान के खिलाफ थे. तालिबान ने जनरलों को नकार दिया. वे वहां से निकल भागे क्योंकि उन्हें मन मुताबिक और पूरा पैसा नहीं मिला.
इधर तथाकथित “शांति वार्ता” शुरू हुई और उधर तालिबान की तरफ से खून-खराबा भी चालू हो गया. काबुल और दूसरे शहरों में आत्मघाती हमले शुरू हुए. सैन्य ठिकानों पर नहीं, बल्कि पत्रकारों, एक्टिविस्ट्स, डॉक्टरों, नेताओं और आम लोगों पर.
अमेरिका ने शुरुआत से शांति समझौता करने की बजाय, सौदेबाजी करना उचित समझा. उसने अस्पष्ट वादे के बदले तालिबान को देश सौंप देने का फैसला किया. विशेष प्रतिनिधि जालमे खलीलजाद ने बेशर्मी से हर सैन्य कार्रवाई और हर नरसंहार के बाद सारा दोष आईएसआईएस के मत्थे मढ़ा या ‘बुरे’ तालिबान को कटघरे में खड़ा किया.
इस्लामाबाद ने भी पूरी कोशिश की कि उसके प्रतिनिधियों की आधिकारिक या गैर आधिकारिक मौजूदगी के बिना कोई बातचीत न हो. इसके अलावा चीन और रूस ने भी उसके कहने पर तालिबान को मान्यता दी और इस तरह पाकिस्तान ने तालिबान को और ज्यादा जायज ठहराया.
अब तालिबान को प्रतिबंधों के जरिए धमकाया नहीं जा सकता, और न ही उसकी सरकार को मान्यता न देने का कोई फायदा होने वाला है. मानवाधिकारों या महिला अधिकारों की दुहाई देने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता. रूस, चीन और तुर्की, पाकिस्तान भी बरादार को मान्यता देने और उसके साथ कारोबार करने को तैयार हैं. नए अमीरात के नए मुखिया की बला से, शिकस्त खाए पश्चिमी मुल्क उसे मंजूर करें न करें.
(फ्रांसेस्का मैरिनो पत्रकार और दक्षिण एशियाई एक्सपर्ट हैं.उन्होंने बी. नताले के साथ ‘एपोक्लिप्स पाकिस्तान’ लिखी है.उनकी हालिया किताब का नाम है, ‘बलूचिस्तान- ब्रूज्ड, बैटर्ड एंड ब्लडीड’. उनका ट्विटर हैंडिल @francescam63 है. यह एक ओपिनियन पीस है. द क्विट न इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)
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Published: 19 Aug 2021,09:36 AM IST