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हम पंजाबियों में एक बड़ी ही विशेष परंपरा है. परंपरा और संस्कृति के आधार पर इसे करवा चौथ कहा जाता है जबकि होता ये है कि औरतें खुद उपवास करके अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं. बाॅलीवुड ने इस रिवाज को बहुत अच्छे से भुनाया है. जैसा ये है बिल्कुल उसी तरह.
मेरे जैसी पंजाबी लड़कियां जवानी की दहलीज पर कदम रखने से पहले ये सोच-सोचकर खुश हुआ करती हैं कि उनका पति उनसे अधिक समय तक जिंदा रहेगा.
ये व्रत अपने आप में ही बड़ा विचित्र है. जिसमें हम सुबह होने से पहले ही उठ जाते हैं और उठने के साथ अपने मुंह को पराठों और फेनियों से भर लेते हैं. इसके बाद हम दुल्हनों की तरह सजते हैं और तैनात हो जाते हैं मर्दों की नजरों में चढ़ने के लिए.
कमजोरी हो जाना या फिर चक्कर आ जाना इस पूरे कार्यक्रम का सबसे आकर्षक पहलू होता है. ये सब कुछ मर्दों को जवाबदेह बनाता है. हममें से कुछ लोग भाग्यशाली होते हैं जिन्हें उनकी सास से दिनभर कुछ न खाने के बदले ईनाम में सोने का कुछ सामान मिल जाता है.
मुझे कई बार लगता है कि यह सब कुछ किसी मार्केटिंग का हिस्सा है. किसी त्रिभुवनदास भीमजी जैसे पुराने सुनार ने अपना कारोबार चलाने के लिए यह सब शुरू किया हो. पूरा दिन एक अच्छी पत्नी के गुणों को कहते-सुनते बीत जाता है. पति की लंबी उम्र के लिए चाय-पानी सब कुछ छोड़ देना पड़ता है.
असल में ये परंपरा बहनचारे से शुरू हुई जो कि एक कम्युनिटी की औरतों के बीच हुआ करती थी. जब उन सबके पति जंग के मैदान या खेतों में फसल काटने चले जाया करते थे तो वे सभी एक साथ उठती-बैठती थीं.
इसमें अंदर की बात ये थी कि न तो तुम मेरे आदमी को छुओगी और न मैं तुम्हारे. दिन भर भूखे रहकर उनके पास करने के लिए ताश के पत्ते फेंकने के सिवा कोई काम नहीं होता है. शाम के समय यही औरतें सज-धजकर जमा होती है और अपने-अपने हाथ में पूजा की थाली लेकर पंजाबी धुन पर गीत गाती हैं. वैसे इन गानों को समझ पाना सबके बस की बात नहीं है.
उसके बाद ये सारी औरतें अपनी-अपनी थाली घुमाती हैं और वहीं बैठी एक बूढी औरत पौराणिक कथा बांचती रहती है. उसके बाद सारी औरतें चांद के इंतजार में पलकें बिछाकर बैठ जाती है. ऐसा चांद जिसे सिर्फ और सिर्फ छलनी की मदद से ही देखा जा सकता है. छलनी जितनी बड़ी उतनी बेहतर.
पति को छलनी के सामने खड़ा करके बाकी की रस्में पूरी की जाती हैं. वैसे आपने हम दिल दे चुके सनम तो देखी ही होगी. करवा चौथ को लेकर कई तरह की कहानियां हैं लेकिन मैं आपको वही कहानी बताने वाली हूं जो मुझे सबसे अच्छे से पता है.
कुछ पुश्तों पहले किसी ने एक बड़ी ही मजेदार कहानी गढ़ी थी. आज वो ही कहानी द फस्ट वाइफ क्लब के नाम से जानी जाती है. करवा चौथ की कहानी दरअसल एक ऐसे पति की कहानी है जो जंग के लिए दूर चला गया होता है.
बेचारी पत्नी उसकी याद में उसकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना किया करती थी. इसका परिणाम ये हुआ कि वो लो-ब्लड प्रेशर की मरीज हो गई और सास के सितम का शिकार बन गई. और इधर उस राजा के प्यार को लेकर चल रही दूसरी जंग में ‘दूसरी औरत’ को रानी वीरावती को हराने का मौका मिला.
दूसरी औरत? अरे नौकरानी. वो उस राजा को मन ही मन प्यार करती थी. ऐसे में जब करवा चौथ आया तो जो वाकई रानी थी, उसके तंदरुस्त भाइयों से ये बर्दाश्त नहीं हुआ कि उनकी बहन भूखी रहे.
तो उन्होंने नकली चांद उगा दिया और वीरवती ने व्रत की अवधि पूरी होने से पहले ही व्रत तोड़ दिया. व्रत तोड़ने के साथ ही धरती-आकाश हिल उठे. देवता और वो लड़का चक्कर खाकर गिर गए. गिरने के साथ ही लड़के के शरीर पर कांटे से उग आए. राजा को शाप मिला कि जो भी उससे सच्चा प्रेम करता होगा अगर वो ही उसके शरीर से अंतिम कांटा निकालेगा तो इसके प्राण बचेंगे.
बेचारी पत्नी एक-एक करके अपने पति के कांटों को निकालने लगी. तभी दुष्ट नौकरानी ने अंतिम कांटा निकाल दिया. राजा ने जब आंखें खोलीं तो नौकरानी उसके सामने थी. जब पत्नी लौटकर आई तो दंग रह गई. उसके बाद नौकरानी और पत्नी दोनों के पद परस्पर बदल गए.
क्या संदेश मिला? कभी भी खरीदारी पर मत निकलिए और न ही मस्ती कीजिए. वो काम तो बिल्कुल ही मत कीजिए जो आपकी सास को नहीं पसंद. अगर सब निभा लिया तो इसका मतलब हैं कि आप एक अच्छी भारतीय बहू हैं.
आप भी सुनें ये गानाः ये अनाधिकारिक अनुवाद है. ये गीत सालों पुराना है.
प्यारी कुड़ियों अपनी-अपनी थाली लाओ
आओ भगवान का बंटवारा करें पर लड़के का नहीं
आओ एक-दूसरे की गोदी खुशियों से भर दें
सुइयों का इस्तेमाल नहीं, न ही चाकुओं का
नौकरानी को भगाओ...
अंदर ही रहो, उसे भी रहने दो
ये आपके लिए है और अगर वो रूठ जाए तो
आराम से रहो और उसे सामान्य होने दो.
करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं!
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Published: 30 Oct 2015,05:55 PM IST