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'राम भक्तों' के खिलाफ 'हनुमान भक्तों' की महाभारत. हनुमान जी का जिक्र आते ही छवि आती है मंगल मूर्ति की, जिसके दर्शन मात्र से शांति मिलती है. लेकिन आज हनुमान का रौद्र रूप वायरल किया जा रहा है. इसे आप 'कलियुग की रामायण' कह सकते हैं. इस रामायण की रचयिता है राजनीति, दिल्ली की राजनीति. यहीं चल रहा है इस रामायण का (अ)सुंदर कांड. दिल्ली की महाभारत के आखिरी अध्याय में 'राम भक्तों' की पार्टी से केजरीवाल ने हनुमान को हाईजैक तो कर लिया लेकिन क्या वो हनुमान के सौम्य रूप की पूजा करेंगे या फिर रौद्र रूप का ही प्रसार करेंगे?
मान्यता है कि हनुमान चित्रकूट में अब भी विराजमान हैं. आज वो राजनीति के वानरों को अपने नाम पर धमाचौकड़ी करता देख न जाने क्या सोचते होंगे? दिल्ली में हनुमान के नाम पर राजनीति चालीसा तब शुरू हुई जब एक मॉर्डन नारद यानी पत्रकार ने ठेठ नारद स्टाइल में केजरीवाल से कहा कि हिंदू हो तो जरा हनुमान चालीसा पढ़कर दिखाओ. केजरीवाल के हाथ जैसे अमृत कलश लग गया. उन्होंने धड़ाधड़ चालीसा सुना डाली. बस क्या था. छिड़ गया हनुमान पर घमासान. बीजेपी वालों ने आरोप लगाया कि केजरीवाल को चुनाव के वक्त चालीसा याद आ रही है. प्रकाश जावडेकर ने कहा कि आम आदमी पार्टी संकट में है सो संकटमोचक याद आए हैं. गिरिराज ने वज्र गिराया -अब ओवैसी भी चालीसा पढ़ेंगे.
केजरीवाल ने भी तीर फेंका - बीजेपी वाले फर्जी हिंदू हैं, चालीसा नहीं पढ़ सकते. 5 फरवरी को केजरीवाल 'गदा अवतार' में नजर आए. एक रैली में गदा लेकर वोट मांगे और कहा-‘‘जब मैंने हनुमान चालीसा सुनाई, तो बीजेपी वालों को मिर्ची लग गई. ’’
6 फरवरी को बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी ने बताया कि केजरीवाल ने हनुमान जी को अशुद्ध किया है. एक वीडियो शेयर कर उन्होंने दिखाया कि केजरीवाल ने जिस हाथ से चप्पल उतारी थी, उसी हाथ से हनुमान जी की माला पकड़ी. केजरीवाल 7 फरवरी को फिर मंदिर पहुंचे तो तिवारी ने फिर से वही वीडियो शेयर किया और लिखा-
जवाब में केजरीवाल ने कहा - ‘‘बीजेपी वाले मेरा, हनुमान और हनुमान चालीसा का मजाक उड़ा रहे हैं. मैं कल मंदिर गया तो उन्होंने कहा कि मैंने मंदिर को अपवित्र कर दिया, अशुद्ध कर दिया. मंदिर को धोना पड़ा. ये क्या है.''
बहरहाल मतगणना हुई और वाकई केजरीवाल पर हनुमान की कृपा बरसी. 70 में 62 सीट जीत गए. जीतने के बाद फिर मंदिर गए. लेकिन हनुमान पर घमासान बंद नहीं हुआ. आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कह दिया कि-'बीजेपी ने ठीक वैसा ही किया जैसा रावण ने किया था, हनुमान का मजाक उड़ाना. मंगलवार को, जो हनुमान का दिन है, भगवान ने भाजपा को जवाब दिया है.' सौरभ ने ये भी कहा कि भगवान राम उनके सपनों में आते हैं.
तो श्री राम आजकल नेताओं को आकर बता रहे हैं कि हनुमान जी को क्या ड्यूटी दी है. भगवान किससे रुष्ट हैं, इसकी खबर नेताओं को हो रही है. कौन हनुमान भक्त बनने लायक है और कौन नहीं, ये नेता जज कर रहे हैं. कमाल है. दिल्ली के सियासी अखाड़े में हनुमान को न सिर्फ उतारा गया बल्कि जय श्री राम बनाम जय हनुमान की लड़ाई भी बनाई गई. इससे पहले मंगलुरु में भी बजरंग बली का रौद्र रूप दिखाया गया. नेताओं को हनुमान का ये रूप ऐसा भाया कि अब यही रूप सोशल मीडिया से सड़क पर चल रही कारों के पीछे नजर आता है.
हकीकत ये है कि हनुमान जी पर सच्ची श्रद्धा रखने वाले उन्हें सौम्य, सुंदर और मंगल मूर्ति रूप में ज्यादा जानते हैं. भोले बाबा के अवतार हैं, और खुद बहुत भोले हैं. उनके भक्त भृकुटियां तान रहे हैं लेकिन खुद हनुमान अपनी ताकत पर गुरूर नहीं करते. महावीर होकर भी वो राम दूत हैं, श्रीराम के सेवक हैं. जिस हनुमान चालीसा पर चुनावी चकल्लस चल रही है, उसी की पहली चौपाई के बारे में पौराणिक विषयों के जानकार देवदत्त पटनायक क्या कहते हैं ये भी देखना चाहिए.
देवदत्त कहते हैं कि - ''हमें गौर करना चाहिए कि पहली चौपाई में तुलसीदास हनुमान के किस रूप को उजागर करते हैं. पहली चौपाई में उनकी ताकत का वर्णन नहीं है, बल्कि उन्हें ज्ञान और गुण का सागर बताया गया है. चौपाई में 'जय हनुमान' का मतलब ये नहीं है कि किसी और पर विजय प्राप्त करना है. इसका मतलब ये है कि हनुमान की मदद से खुद पर काबू पाना है. ये अपने अंदर के युद्ध को जीतना है. मन के भीतर के द्वंद को जीतने के लिए हमें ज्ञान और गुण के सागर यानी हनुमान के पास जाना है.''
देवदत्त कहते हैं कि- ''हनुमान महावीर हैं, लेकिन संदर्भ ये है कि वो कुमति यानी बुरे विचार निकाल कर सुमति यानी अच्छे विचार लाने वाले महावीर हैं.'' साफ है कि सियासत में हनुमान को घसीटने वाले लोग न तो चालीसा का मर्म समझ पाए और न उनका कुमति से निवारण हुआ. हनुमान चालीसा को जीवन प्रबंधन का अचूक मंत्र बताने वाले पंडित विजय शंकर मेहता कहते हैं -
कभी राम के नाम पर तो कभी हनुमान के नाम पर, समाज को बांटने की साजिश हुई है. अब बीजेपी के कैलाश विजयवर्गीय सलाह दे रहे हैं कि स्कूलों और मदरसों हनुमान चालीसा को जरूरी किया जाय. उग्र हिंदुत्व के आगे अक्सर विपक्ष नतमस्तक नजर आता है. विपक्ष ने सॉफ्ट हिंदुत्व का जवाबी बाण जब भी चलाया, निशाना चूका. ये पहली बार है कि किसी पार्टी (AAP) ने काम और समाज कल्याण के बीच हनुमान भक्ति की राह पकड़ी है. लेकिन इस भक्ति में शक्ति तभी होगी, जब हनुमान के असली मर्म को समझा जाएगा, उसी का प्रसार होगा.
आप के लिए यही सलाह है कि हनुमान पर सियासी शोर को भूलिए, कभी हरिओम शरण या हरिहरन की आत्मा छू लेने वाली आवाज में हनुमान जी की महिमा को सुनिए, कल्याण होगा. लिंक नीचे है.
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Published: 15 Feb 2020,08:43 PM IST