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खुशियां मनाइए! वामपंथी-लिबरल टाइप के लोग जिस आधार से नफरत करते थे, वो अब लोगों को डरा नहीं पाएगा. सुप्रीम कोर्ट को अब 5 जजों की बेंच बनाने की भी जरूरत नहीं है, जो तय करे कि क्या आधार से प्राइवेसी को खतरा है, क्योंकि आधार अब किसी भी चीज के लिए जरूरी नहीं है! किसी भी चीज को आधार से लिंक करने के लिए आप पर कोई दबाव नहीं डालेगा!
ये सब पढ़कर शायद आप कहें कि हम आपको फर्जी खबरें दे रहे हैं, लेकिन एक शख्स ऐसा है जिसे ये आशंका नहीं होगी, वो हैं कानून और आईटी मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद. जब उनसे पूछा गया कि सभी सुविधाओं के लिए सरकार आधार को अनिवार्य क्यों कर रही है, उन्होंने साफ-साफ ये जवाब दिया:
लेकिन क्या ये सच है? मिस्टर प्रसाद के ट्वीट के बावजूद, कम से कम ऐसी 6 बुनियादी सुविधाएं हैं, जिनके लिए हम पर आधार नंबर पेश करने का दबाव डाला जाता है, चाहे सरकारी आदेश हो या नहीं.
आप पर कौन दबाव डाल रहा है?
मोबाइल फोन कंपनियां, जिनका कहना है कि केंद्र सरकार ने ऐसा कहा है.
क्या मिस्टर प्रसाद गलत हैं?
उनके हिसाब से तो नहीं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा आदेश दिया है.
लेकिन ये पूरा सच नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा आदेश कभी दिया ही नहीं. फरवरी में कोर्ट ने लोकनीति फाउंडेशन की एक याचिका (जिसमें प्रीपेड मोबाइल नंबरों के बेहतर वेरिफिकेशन की मांग की गई थी) को ये कहकर खारिज कर दिया था कि सरकार ने भरोसा दिलाया है कि आधार लिंकिंग से समस्या दूर हो जाएगी.
संचार विभाग ने 23 मार्च 2017 को ई-केवाईसी प्रक्रिया पर एक सर्कुलर में दावा किया था कि फरवरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मतलब उनके लिए निर्देश था. लेकिन ये दावा सच से दूर है. फिर भी आप कुछ नहीं कर सकते.
आप पर कौन दबाव डाल रहा है?
बैंक, क्योंकि केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर उन्हें ऐसा करने को कहा है.
क्या मिस्टर प्रसाद गलत हैं?
लगता तो है.
जब आप 50,000 रुपये से ज्यादा का ट्रांजेक्शन करें या जब इंटरनेशनल मनी ट्रांसफर हो, तब नियमों के मुताबिक आधार वेरिफिकेशन जरूरी है. लेकिन अगर आप ऐसे ट्रांजेक्शन न भी कर रहे हों, तो भी बैंक को आधार देना जरूरी है.
आप पर कौन दबाव डाल रहा है?
रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया, गृह मंत्रालय यानी केंद्र सरकार.
क्या मिस्टर प्रसाद गलत हैं?
साफ-साफ. किसी ने उनके ट्वीट के जवाब में ये मुद्दा उठाया तो नहीं, लेकिन उनका बयान तो गलत साबित हो ही गया.
मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए ये नियम जम्मू-कश्मीर, असम और मेघालय में लागू नहीं है.
आप पर कौन दबाव डाल रहा है?
केंद्र सरकार और आयकर विभाग.
क्या मिस्टर प्रसाद गलत हैं?
ऐसा ही है. सरकार तो इस बात से इनकार तक नहीं करती कि वो लोगों पर ऐसा करने का दबाव डाल रही है, क्योंकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे संसद में स्वीकार किया है.
आप पर कौन दबाव डाल रहा है?
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आदेश पर सीबीएसई
क्या मिस्टर प्रसाद गलत हैं?
निश्चित रूप से.
ये नियम जम्मू और कश्मीर, असम और मेघालय में लागू नहीं है.
आप पर कौन दबाव डाल रहा है?
दिल्ली सरकार (खबरों के मुताबिक)
क्या मिस्टर प्रसाद गलत हैं?
बिलकुल. हालांकि कम से कम इस मामले में केंद्र सरकार का कोई लेना-देना नहीं है.
तो क्या मिस्टर प्रसाद अपने तथ्य गढ़ रहे हैं?
वैसे देखा जाए, तो उनका बयान तकनीकी रूप से सही है. उन्होंने कहा है कि आप पर सभी सुविधाओं को आधार से लिंक करने का दबाव नहीं डाला जा रहा है. तो जब तक कुछ चीजें हैं, जिन्हें आधार से लिंक करना अनिवार्य नहीं है, तब तक उन्हें संदेह का लाभ मिल सकता है. लेकिन इन चीजों की लिस्ट लगातार छोटी होती जा रही है.
गैस सब्सिडी से लेकर मिडडे मील स्कीम तक आधार से लिंक हो चुकी हैं और ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर रेगुलेटरी फाइलिंग तक को आधार से लिंक करने की तैयारी हो रही है. यानी मिस्टर प्रसाद कुछ और हफ्तों तक तकनीकी रूप से सही हो सकते हैं. उसके बाद तो उन्हें अपना जवाब बदलना पड़ जाएगा.
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