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मुझे इस बात का सौभाग्य मिला है कि 24 घंटे से ज्यादा समय तक मुझे अक्षय कुमार के उपद्रवी प्रशंसकों की गालियां झेलनी पड़ी हैं. ऐसा लग रहा था कि प्रशंसक अपने आइडल का समर्थन कम कर रहे थे और पुरुषों का एक समूह महिलाओं से गलत तरीके से बात करने के लाइसेंस का बचाव ज्यादा कर रहा था. “इतना मजाक तो चलता है.” अच्छा!
हाल ही में, स्टार प्लस का एक वीडियो लीक हो गया था. इसमें एक हास्य कलाकार द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज के ऑडिशन में प्रधानमंत्री की मिमिक्री कर रहा था. उस प्रतिभागी की तारीफ में रस्मी तौर पर एक सुनहरी घंटी बजाई गई जिसका मतलब है कि उसका चुनाव शो के लिए हो गया था. बदकिस्मती से, बाद में उसे प्रधानमंत्री मोदी की मिमिक्री ना करने को कहा गया और ना जाने क्यों, वीडियो प्रसारित नहीं किया गया. जब मैंने इस प्रतिभागी के लिए सुनहरी घंटी बजाई थी, मुझसे बॉलीवुड के बड़े स्टारों में से एक अक्षय कुमार ने “मजाक” में कहा, “मल्लिका जी, आप बेल बजाइए, मैं आपको बजाता हूं”. मैंने इसे नजरअंदाज किया और शूटिंग चलती रही.
यही इस मामले में हुआ. मेरे पिता ने लीक हुआ वीडियो देखा और अपनी बेटी को उसके काम करने की जगह पर उसके सहकर्मी के भद्दे मजाक का शिकार बनता देखकर गुस्से से उबल गए. भले ही मैंने इसे नजरअंदाज किया था, उन्होंने अपना रुख साफ कर दिया और परोक्ष रूप से मुझसे सवाल पूछ लिया कि मैं किस तरह की नारीवादी हूं.
इतने बड़े टीवी सेट पर ये मेरा पहला दिन था. शुरुआत में एक बड़े बॉलीवुड मेगास्टार की मौजूदगी में हम चुपचाप थे. मैं बॉलीवुड से नहीं हूं और ना ही इसके तौर-तरीकों को जानती हूं. जब उन्होंने कहा “मल्लिका जी, आप बेल बजाइए, मैं आपको बजाता हूं”, मेरे दिमाग में आया “ये क्या बेहूदगी थी!” और मेरे दिमाग में हमेशा यही चलता रहा. हमने उस प्रतिभागी के शानदार परफॉर्मेंस का जश्न मनाया और बचा हुआ एपिसोड शूट किया.
मेरे दिमाग में ये बात जमी रही कि वो बयान एक मजाक कैसे था, और अपनी सहकर्मी के साथ ऐसा मजाक करना क्यों जरूरी था? मैं ये भी सोच रही थी कि यही मजाक मेरे को-मेंटर्स जाकिर खान और हुसैन दलाल के साथ क्यों नहीं किया गया. खैर, मैंने इसे नजरअंदाज किया और काम पर लौट आई, जैसा आमतौर पर महिलाएं करती हैं.
महिलाओं के तौर पर काम करने की जगह पर हम इस तरह के हंसी-मजाक को ज्यादा तवज्जो नहीं देते क्योंकि उससे ज्यादा बड़े मुद्दे सामने होते हैं, और मैंने भी वही किया था. लोग पूछ रहे हैं, “अब क्यों?” क्या इसलिए कि तीनों मेंटर्स को शो से “निकाल” दिया गया है? नहीं जासूसों, स्टार प्लस ने हमारी जगह किसी और को लेने का फैसला किया था, अक्षय कुमार ने नहीं. हमारा कॉन्ट्रैक्ट अक्षय कुमार के साथ नहीं था. हमारे साथ स्टार प्लस का बर्ताव हमेशा सम्मान भरा रहा, चाहे वो पैसों की बात हो या कोई और. मैं सोशल मीडिया के जरिए उस वक्त भी अपना गुस्सा जाहिर कर सकती थी, लेकिन मुझे इसकी कोई वजह नहीं दिखाई दी.
लेकिन, जब ये वीडियो लीक हुआ, मुझसे उस वाक्य के बारे में सवाल किए गए जो मुझसे कहा गया था, मुझसे पूछा गया कि आपको कैसा लगा और उस वक्त आपने प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी. ऐसी गंदगी हमें असहज करती है और हमें इससे नफरत है. लेकिन, हम जज्बात में बह जाने वाले मूर्ख नहीं है जो ज्यादातर लोग हमें समझते हैं. मैं भावनाओं में बहकर अपने करियर को बर्बाद नहीं कर सकती, वो भी उन मूर्ख मर्दों की वजह से जो हम पर हावी होने के लिए हमसे चापलूसी कराने का लाइसेंस लेकर चलते हैं. ये बिलकुल वैसा होगा जैसे कि मैं सिर्फ इसलिए खुदकुशी कर लूं क्योंकि दुनिया का हर दूसरा व्यक्ति घटिया है, या सड़क पार ना करूं क्योंकि हादसे होते रहते हैं. तो हां, हम इसे चलते रहने के लिए दोषी हैं, कभी-कभी अपनी भलाई के लिए भी.
अगर हर महिला उसके साथ होने वाले बर्ताव की वजह से काम छोड़ने लगे, तो फिर कोई महिला कामकाजी नहीं रहेगी. मेरे ऊपर शायद अनजाने में की गई टिप्पणी निस्संदेह मूर्खतापूर्ण थी, “मल्लिका जी, आप बेल बजाइए, मैं आपको बजाता हूं”. इस तरह का मजाक या रोहित शेट्टी के साथ फिल्म सेट पर ड्रेस-मैन का अभिनय करने में दिखाई गई अश्लीलता, घृणित है और इनसे बॉलीवुड में सालों से चल रहे लिंग के आधार पर भेदभाव की बदबू आती है. ये इस हद तक आम हो चुका है कि मैंने भी इसे लेकर बवाल खड़ा नहीं किया था. मैं भी इस समस्या का एक बड़ा हिस्सा हूं. इसे सिर्फ अक्षय कुमार तक सीमित करके इसकी अहमियत ना घटाएं. ये हम सबके बारे में है.
उनके लिए जो हमारे निभाए हुए किरदारों (जैसे टिंडर आंटी) की वजह से हमें नीचा दिखाना चाहते हैं, ये किरदार आपसे सीधे बात नहीं करते, ये आपके सहकर्मी या देशवासी नहीं हैं, ये तो असली भी नहीं हैं! और सबसे बड़ी बात वो खुद को आप पर थोपते नहीं हैं. आप जाकर अपने नाजुक, मर्दवादी और सुविधाजनक नैतिकता की रक्षा कीजिए, लेकिन हमें ये बताने की हिम्मत मत कीजिए कि हमें ऐसे मुद्दों पर बोलने का हक नहीं है क्योंकि हम यौन संबंधों को लेकर बेशर्म किरदार निभाते हैं.
क्या करीना कपूर को गलत चीजों पर बोलने का हक नहीं है क्योंकि उन्होंने चमेली का किरदार निभाया था? क्या विद्या बालन गलत चीजों पर नहीं बोल सकतीं क्योंकि उन्होंने डर्टी पिक्चर की थी? जो लोग हमें हमारे किरदारों के आधार पर नीचा दिखाते हैं, ये वही लोग हैं जो भूपेंद्र चौबे के उस तरीके में कुछ गलत नहीं मानते, जिस तरीके से उन्होंने सनी लियोनी के साथ बातचीत की थी. ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए. खुशकिस्मती से, वो हमें रोक नहीं सकते.
मैं समझती हूं कि काम करने की जगह पर होने वाले गलत बर्ताव और भी गंभीर हो सकते हैं और कई लोगों के लिए ये मामूली बात है, फिर भी इसका हल निकलना चाहिए और क्यों नहीं? इस बारे में बात करने में कुछ गलत नहीं है.
कोई तो वजह है जो ऐसे मजाक और बर्ताव हमें असहज करते हैं और आईपीसी के सेक्शन 354 के तहत अपराध माने जाते हैं, साथ ही इनका जिक्र प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हैरेसमेंट एट दि वर्कप्लेस एक्ट में भी है. हां, मैं पहले इन दोनों के बारे में नहीं जानती थी, लेकिन अब जानती हूं. यौन दुर्व्यवहार का ये दायरा काफी बड़ा है और हर नागरिक को इसका सम्मान करना चाहिए. इसलिए अगली बार जब आपको लगे कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं है, तो याद रखिए कि कानून की नजर में बड़ी बात है.
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Published: 27 Oct 2017,10:54 AM IST