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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ वार्षिक शिखर वार्ता के लिए अपनी दो दिन की यात्रा पर मॉस्को पहुंच चुके हैं.
इस मुलाकात के दौरान परमाणु ऊर्जा, हाइड्रोकार्बन, रक्षा और व्यापार संबंधों के विस्तार पर भी चर्चा हो सकती है. गुरुवार को वार्ता के दौरान परमाणु ऊर्जा और रक्षा सहित कई अन्य समझौते पर भी हस्ताक्षर होने की संभावना है.
व्लादिमीर पुतिन के साथ मोदी की दो दिवसीय बैठक प्रमुख साझेदारियों के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. भारत-रूस संबंधों की मजबूती के लिए यह द्विपक्षीय वार्ता महत्वपूर्ण है. द्विपक्षीय व्यापार $10 अरब डॉलर से कम स्तर पर है. दोनों देश निवेश को दोगुना करने पर भी चर्चा करेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बराक ओबामा, शिंजो आबे, एंगेला मर्केल और फ्रांस्वा ओलांद जैसे अंतरराष्ट्रीय नेताओं के साथ व्यक्तिगत संबंध स्थापित किया है.
इसी तरह पुतिन के साथ भी पीएम मोदी ने व्यक्तिगत तौर पर संबंध मजबूत किए हैं. रूस पश्चिमी देशों विशेषतौर पर अमेरिका के साथ भारत के बेहतर होते संबंधों से निराश है. रूस, भारत के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए सकारात्मक पहल कर रहा है.
ऊर्जा की कीमतों में भारी गिरावट, पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के जारी रहने और सीरिया के खिलाफ ऑपरेशन पर बढ़ रही लागत ने रूसी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है. रूस, चीन के साथ आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी करने के लिए मजबूर है.
विडंबना ये है कि रूस इस संबंध में चीन की अपेक्षाकृत कम मजबूत भागीदार है.
वर्तमान में भारत सबसे तेजी से बढ़ती और उभरती हुई अर्थव्यवस्था है. मजबूत आर्थिक और सामरिक द्विपक्षीय साझेदारी दोनों देशों के लिए अच्छी साबित होगी. दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध अंतरराष्ट्रीय शांति और समृद्धि में भी सहायक साबित होंगे.
हाइड्रोकार्बन, परमाणु ऊर्जा, रक्षा आपूर्ति, उर्वरक और हीरे अब तक द्विपक्षीय भागीदारी के मुख्य घटक साबित हुए है. यात्रा के दौरान भारत में रूस द्वारा 200 कामोव-226T हेलीकाप्टरों की बिक्री और उनके निर्माण की भी घोषणा की जा सकती है.
भारत में रूस के हेलीकॉप्टरों के निर्माण का फैसला पीएम मोदी की मेक इन इंडिया पहल में भी सहायक साबित होगा. आईएनएस चक्र के अलावा रूस द्वारा निर्मित परमाणु संचालित पनडुब्बी भी भारतीय नौसेना के बेड़े को मिलने की संभावना है.
रूस के एस -400 Triumf वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली के भारत में निर्माण संबंधी समझौते पर भी महत्वपूर्ण प्रगति की उम्मीद की जा रही है. अगर यह समझौता होता है तो रूस, भारत को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करने के मामले में महत्वपूर्ण साबित होगा.
पिछले कुछ सालों से अमेरिकी द्वारा रक्षा उपकरणों की आपूर्ति किए जाने से रूस खफा है. इसी वजह से रूस अपने अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों की आपूर्ति पाकिस्तान और चीन को करता है. रूस को यह समझने की जरूरत है कि अगर वह रक्षा उपकरणों का निर्यात भारत के पड़ोसी मुल्कों को करता है तो भारत उसकी तकनीक में दिलचस्पी नहीं दिखाएगा.
मोदी की यात्रा के दौरान परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी एक बड़ा समझौता होने की संभावना है. कई नए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की घोषणा हो सकती है.
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) रूस के दूसरे सबसे बड़े तेल क्षेत्र वेंकोर में रोसनेफ्ट से 15 प्रतिशत हिस्सेदारी 1.268 अरब डॉलर में खरीदने का समझौता कर चुकी है.
रूस और भारत के बीच तेल, गैस और अन्य खनिजों के लिए भागीदारी आपसी विश्वास को मजबूत बनाने और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेगी.
मॉस्को यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार अगले दस सालों में 10 अरब डॉलर से बढ़ाकर 30 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है. राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग द्विपक्षीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने में मदद कर सकता है.
दोनों देशों को जून 2015 में यूरेशियन आर्थिक संघ की भारत की प्रस्तावित सदस्यता को लेकर शुरू किए गए अध्ययन को अंतिम रूप देने में तेजी लाने की जरूरत है.
अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर पर प्रगति के साथ-साथ चवहर बंदरगाह का उन्नयन भी सभी क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए मददगार साबित होगा.
पिछले सप्ताह अपनी यात्रा के दौरान उप प्रधानमंत्री रोगोजिन ने भारतीय कंपनियों के खाद्य उत्पादों, कपड़ा और अन्य उपभोग की वस्तुओं के रूसी बाजार में अवसरों को लेकर भी बातचीत की थी. उभरते भारतीय व्यापार को लाभ लेने के लिए सक्रियता की जरूरत है.
अंतरिक्ष में उपग्रह स्थापित करने और जमीन आधारित बुनियादी सुविधाओं के संबंधों के विस्तार के लिहाज से रूस मजबूत देश है.
इसके अलावा आतंकवाद के बढ़ते संकट और विशेष रूप से आईएसआईएस को खत्म करने के लिए भी रूस, भारत के लिए मददगार साबित हो सकता है. रणनीतिक और सुरक्षा हितों को देखते हुए भी रूस और भारत एक दूसरे के लिए मददगार साबित हो सकते हैं.
रूस को भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते संबंधों की सराहना करने की जरूरत है. तकनीक और रोजगार के अवसर पैदा करने के अलावा घरेलू आर्थिक विकास भी इसमें सहायक साबित हुआ है.
इसके अलावा अमेरिका और जापान के साथ भारत के बढ़ते संबंधों के साथ बढ़ी राजनीतिक और सैन्य क्षमता चीन की बढ़ती आर्थिक ताकत के खिलाफ अधिक से अधिक सामरिक और राजनीतिक मौका देने के लिए आवश्यक हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ये यात्रा भारत-रूस के बीच मजबूत संबंधों के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित हो सकती है.
(अशोक सज्जनहार भारत के पूर्व राजदूत रहे हैं और स्वीडन और कजाकस्तान में रह चुके हैं.)
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Published: 23 Dec 2015,08:19 PM IST