मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जिस पार्टी की तरफ पलटेगा मुस्लिम वोट, UP में उसी की बनेगी सरकार

जिस पार्टी की तरफ पलटेगा मुस्लिम वोट, UP में उसी की बनेगी सरकार

मुस्लिमों की उलझन का फायदा बीजेपी या बीएसपी को मिल सकता है.

विवेक अवस्थी
नजरिया
Updated:
 (फोटो: द क्विंट)
i
(फोटो: द क्विंट)
null

advertisement

समाजवादी पार्टी के भीतर पारिवारिक झगड़े की वजह से सपा का सदाबहार मुस्लिम वोट बैंक खिसक रहा है. लंबे समय से सपा के वफादार वोटर रहे मुस्लिम, इस वजह से सपा से अलग कोई ऐसा विकल्प ढूंढ रहे हैं, जो बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने में सक्षम हो.

ऐसे में फिलहाल उनके पास केवल बीएसपी का विकल्प बचता है.19% वोट शेयर के चलते मुस्लिम समाजवादी पार्टी के मजबूत स्तंभ रहे हैं. यहां तक कि मुलायम सिंह यादव को 'मुल्ला मुलायम' तक कहा जाता है. मुस्लिम-यादव गठबंधन के चलते ही सूबे में समाजवादी पार्टी सत्ता में आ पाती है.

बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए मुस्लिम बड़े पैमाने पर समाजवादी पार्टी को वोट देते हैं. लेकिन पिछले एक महीने से पार्टी के अंदर मचे बवाल से उनका विश्वास डगमगा चुका है. अब वो नए विकल्प की ओर देख रहे हैं जो केवल बीएसपी हो सकती है.

बीजेपी को रोकने में कांग्रेस की कमजोरी के चलते अल्पसंख्यक समुदाय के पास मजबूत विकल्प के तौर पर केवल बीएसपी बचती है. मुस्लिम समुदाय लंबे समय से बीजेपी को रोकने और सपा को सत्ता में लाने के लिए रणनीतिक वोटिंग करता रहा है. लेकिन अब यह पुरानी बात नजर आ रही है.

आंकड़ों से पता चलता है कि सपा और बीएसपी के सत्ता हासिल करने में केवल 4 से 5 फीसदी वोटों का अंतर होता है.

2007 में क्या हुआ?

2007 में जब मायावती ने सोशल इन्जीनियरिंग का कार्ड खेला था, तब बीएसपी की 206 सीटें आईं थी. वहीं सपा केवल 97 सीटों पर सिमट गई थी. इस चुनाव में बीएसपी को 30.43 % वोट्स मिले थे और सपा को 25.43% . केवल 5 फीसदी वोटों से बीएसपी को सत्ता की सवारी का सुख मिल गया था.

2012 में किस्मत ने कैसे पलटी मारी?

2012 में एक हद तक राज्य में एंटी इनकम्बेंसी थी. सपा 29.14% वोट शेयर के जरिए 224 सीटों पर काबिज हुई. वहीं मायावती 25.91% वोटों के साथ 80 सीटों पर सिमट गई. दोनों पार्टियों को वोट शेयर में केवल 3% से कुछ ज्यादा का ही फासला था.

19% मुस्लिम वोट दांव पर हैं. सपा का अंदरूनी घमासान पार्टी के अल्पसंख्यक वोटों को इकट्ठा करने में नुकसानदेह साबित हो सकता है. केवल 5% वोटों के यहां से वहां होने से बीएसपी आराम से सत्ता में आ सकती है.

अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारुखी से जब अल्पसंख्यक वोटों के खिसकने के बारे में सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि सपा में जितना ज्यादा झगड़ा होगा, अल्पसंख्यकों में उतनी ही उलझन बढ़ेगी.

फारुखी के मुताबिक, मुस्लिम पहले ही दूसरे विकल्प की तलाशी शुरू कर चुके हैं, जों स्वाभाविक रूप से बीएसपी है. अब यह समाजवादी पार्टी पर निर्भर करता है कि वह कैसे टूटती है और कौन किसके साथ जाता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 31 Oct 2016,08:44 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT