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सरकारी विज्ञापन से PM मोदी का चेहरा गायब, मंत्रालय बोला SC का आदेश

बीजेपी में कौन है जो कह रहा है- हम भी हैं.

नीरज गुप्ता
नजरिया
Updated:
पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर के बिना छपा सरकारी विज्ञापन 
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पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर के बिना छपा सरकारी विज्ञापन 
(फोटो : आर्णिका काला/द क्विंट)

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वीडियो एडिटर- पूर्णेन्दु प्रीतम

11 सितंबर, 2018 को हिंदी-अंग्रेजी के तमाम अखबारों में एक फुल पेज विज्ञापन छपा. लेकिन उसमें कुछ कमी है... कुछ मिसिंग है. वो जो हमेशा होता है, लेकिन इस बार नहीं है.

वो है मोदी जी की तस्वीर, जो पिछले साढ़े चार साल से हर सरकारी विज्ञापन की शान बढ़ाती रही है.

कथा जोर गरम है कि बिना पीएम मोदी की तस्वीर के एक सरकारी विज्ञापन छपा है. बनारस में रहने वाले मेरे एक मित्र ने तो इस पर टिप्पणी कर दी :

जैसे घूंघट की आड़ में दिलबर का दीदार अधूरा लगता है, आशिक की नजर ना पड़े तो श्रृंगार अधूरा लगता है. वैसे ही मोदी जी की तस्वीर के बिना सरकारी इश्तेहार अधूरा लगता है.

खासकर तब जब वो विकास की बात कर रहा हो.

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विज्ञापन में दो बातें काबिल-ए-गौर

पहली ये कि विज्ञापन 1505 करोड़ रुपये के भारी भरकम खर्चे के साथ उत्तर प्रदेश के बड़ौत और सहारनपुर में नेशनल हाइवे के दो हिस्सों के शिलान्यास की बात कर रहा है. यानी वो उत्तर प्रदेश जिसने 2014 में मोदी जी की अगुवाई में 71 लोकसभा सीट दिलाकर बीजेपी के लिए दिल्ली का दरवाजा खोला था.

और दूसरी ये कि विज्ञापन में तस्वीरें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की हैं.

अब ये महज इत्तेफाक नहीं हो सकता कि ये दोनों ही नेता संघ के ज्यादा करीब और मोदी जी से जरा दूर नजर आते हैं.

आपको याद होगा कि मार्च 2018 में हुए बाई-इलेक्शन में गोरखपुर और फूलपुर की हाई-प्रोफाइल सीटें बीजेपी हार गई थी. गोरखपुर तो खुद योगी आदित्यनाथ की सीट थी, जिसे वो 1998 के बाद से कभी नहीं हारे. इस चुनाव में मोदी जी ने खुद को प्रचार से दूर रखा और यहां तक कहा गया कि मोदी जी ने जानबूझ कर ‘हिंदू-हृदय सम्राट’ योगी आदित्यनाथ को हारने दिया, ताकि वो ‘काबू’ में रहें.

अब बात करते हैं दूसरी तस्वीर की, जो है नागपुर के सांसद नितिन गडकरी की. गडकरी जी की संघ से नजदीकियां जगजाहिर हैं और इन्हीं नजदीकियों की वजह से वो अकेले केंद्रीय मंत्री हैं, जो अपनी चाल चलता है. उन्हें मोदी कैबिनेट का सबसे ‘दबंग’ मंत्री कहा जाता है. पीएमओ के हाथों गडकरी के ‘पर कतरने’ की कोशिशों की खबरें भी जब-तब आती रहती हैं.

कुछ तो गड़बड़ है?

आपने देखा होगा कि सरकार का हर हाई-प्रोफाइल इवेंट मोदीमय होता है. मतलब मामला चाहे किसी भी मंत्रालय का हो, मंत्री कोई भी हो, लेकिन तस्वीरों में मोदी जी ही छाये रहते हैं. लेकिन कभी-कभार अपवाद भी होते हैं.

इसी साल मई में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने किया. लेकिन मामला सड़क, परिवहन और राजमार्ग का था, तो नितिन गडकरी भी बराबर तस्वीरों मे नजर आए, क्योंकि महकमा उनका है.

तो जनाब... बीजेपी भले ही मोदी जी के बारे में दावा करती हो:

ये चेहरा हर किसी के दिल में रहता है, लेकिन हर विज्ञापन कुछ कहता है.

नितिन गडकरी और योगी आदित्यनाथ के मुस्कुराते चेहरों वाला ये विज्ञापन साफ कह रहा है कि बीजेपी में कुछ तो है, जो गड़बड़ है. और कुछ लोग हैं, जो खुलेआम ऐलान कर रहे हैं कि...

भइया.. हम भी हैं.

मंत्रालय की सफाई

हालांकि मंत्रालय के एक अधिकारी ने इस पर सफाई देते हुए कहा है:

ऐसा सरकारी विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत किया गया है और इसमें कुछ अजीब नहीं है. अगर किसी विज्ञापन में प्रधानमंत्री की तस्वीर है तो मंत्री की नहीं होगी और अगर मंत्री की तस्वीर है तो प्रधानमंत्री की नहीं होगी.

अगर विज्ञापन राज्य सरकार का है तो मुख्यमंत्री के साथ केंद्रीय मंत्री की तस्वीर लग सकती है.

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Published: 11 Sep 2018,05:10 PM IST

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