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अखलाक हत्याकांडः कोर्ट के आदेश के बाद अब होगी सांप्रदायिक सियासत 

गुरुवार को स्थानीय अदालत ने गोहत्या के मामले में अखलाक समेत छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए जाने का आदेश दिया है.

विवेक अवस्थी
नजरिया
Published:
 सितंबर 28 , 2015: भीड़ ने मोहम्मद अखलाक को मार डाला था. (फोटो: The Quint)
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सितंबर 28 , 2015: भीड़ ने मोहम्मद अखलाक को मार डाला था. (फोटो: The Quint)
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दादरी के चर्चित अखलाक हत्याकांड में एक नया मोड़ आ गया है. नोएडा की एक अदालत ने दादरी में उग्र भीड़ का शिकार हुए मोहम्मद अखलाक समेत 6 लोगों के खिलाफ गोहत्या का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है.

गोहत्या के आरोपियों में अखलाक के अलावा उसके परिवार के छह सदस्य भी शामिल हैं. अखलाक के भाई जान मोहम्मद, उनकी मां अकबरी, पत्नी इकरामन, बेटा दानिश, बेटी शाइस्ता और पड़ोसी जफरुद्दीन की पत्नी सोना के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के आदेश दिए गए हैं.

मामले पर होगी सांप्रदायिक राजनीति

यूपी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले आए इस फैसले के बाद यूपी में राजनीति, विशेष रूप से सांप्रदायिक राजनीति जल्द ही अपने सबसे बुरे स्तर पर देखी जा सकती है. बीजेपी इस मामले को लेकर हिंदू भावनाओं को भड़काने की कोशिश करेगी वहीं समाजवादी पार्टी अपने पुराने वफादार अल्पसंख्यक वोटों को साधने की कोशिश करेगी.

एक स्थानीय अदालत ने गुरुवार को बिसाहड़ा गांव के ही सूरज पाल की याचिका के आधार पर अखलाक के परिवार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. अखलाक की हत्या के आरोपी की इस याचिका में कहा गया है कि अखलाक के परिवार ने पिछले साल बकरीद के दौरान एक गाय के बछड़े को मारकर उसका मांस फ्रिज में रखा था.

इस साल मई में अदालत में पेश किए गए फोरेंसिक रिपोर्ट में कहा गया कि जो मांस अखलाक के घर के बाहर मिला वह एक गाय या उसके बच्चे का मांस था. अदालत में न्यायिक मजिस्ट्रेट विजय कुमार ने पुलिस को मृतक अखलाक समेत सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है.

स्थानीय बीजेपी नेता संजय राणा का बेटा विशाल भी उन 17 लोगों में है, जिन्हें हत्या के बाद गिरफ्तार किया गया था. लेकिन बाद में इस मामले मे आरोपी दो लोगों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है.

जांच के बाद होगी गिरफ्तारी

उत्तर प्रदेश में गोमांस खाना अपराध नहीं है, हालांकि गोहत्या अपराध की श्रेणी में आता है. पुलिस का कहना है कि मांस का परीक्षण केवल अखलाक की हत्या के पीछे के उद्देश्य को जांचने के लिए करवाया गया था.

समाजवादी पार्टी ने बीजेपी और उसके सहयोगी संगठनों पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश में झूठी अफवाहें फैलाने का आरोप लगाया था. बचाव पक्ष के वकील रामशरण ने द क्विंट को बताया कि यह एक गैर जमानती अपराध है और जल्द ही इस मामले में आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी. उन्होंने कहा कि आरोपियों को मामला दर्ज होने और पुलिसिया जांच के बाद जल्द ही गिरफ्तार किया जा सकता है.

अंतिम रिपोर्ट में गोमांस की पुष्टि

मांस की जांच की अंतिम रिपोर्ट यह पुष्टि करती है कि ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा गांव में अखलाक के घर से पाया गया मांस, गोमांस ही था. रिपोर्ट को इस साल मई में अदालत में पेश किया गया था. ऐसी ही रिपोर्ट मथुरा की केंद्रीय फोरेंसिक साइंटिफिक लैब ने भी जारी की थी.

गौर करने वाली बात ये है कि यह लैब उत्तर प्रदेश सरकार नियंत्रित करती है. दिलचस्प है, अखलाक के घर से बरामद मांस के टुकड़े के लैब टेस्ट के प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में इस संभावना से इनकार किया गया था कि वह मांस गाय का था. रिपोर्ट में कहा गया था कि वह मांस बकरी का था.

50 वर्षीय अखलाक को इस अफवाह के आधार पर गुस्साई भीड़ ने मार डाला था क्योंकि उस पर आरोप था कि उसने और उसके परिवार ने गाय के बछड़े का मांस खाया है.

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क्या कहती है पहली रिपोर्ट?

पहली रिपोर्ट गौतम बुद्ध नगर जिले के सरकारी पशु चिकित्सा अस्पताल, दादरी के उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने जारी की थी.

रिपोर्ट में कहा गया कि “तेज पाल सिंह, सब इंस्पेक्टर, पुलिस स्टेशन जर्चा के अनुरोध पर केस नं. 241/15 तारीख 29/09/2015 को मैंने पुलिस द्वारा गांव से जब्त की गई मांस की जांच की है.

रिपोर्ट के अनुसार मांस जो छोटे टुकड़ों में था, का वजन करीब 4-5 किलो था. मांस लाल रंग का, अस्वच्छ, बदबूदार था और उसमें फैट जमा था. मांस जानवर के पिछले पैरों का था जिस पर जानवर का चमड़ा भी मौजूद था.

अधिकारी ने इस जांच रिपोर्ट के बाद कहा कि “मेरी जानकारी के अनुसार, प्रारंभिक रिपोर्ट से जो निष्कर्ष निकला उससे ऐसा लगता है कि यह मांस बकरी या उसके बच्चे का है, लेकिन अंतिम पुष्टि और जांच के लिए नमूने को मथुरा के फोरेंसिक लैब में भेजा जाएगा.”

मांस से संबंधित जांच के अंतिम निपटान के लिए बचे हुए मांस के टुकड़े पुलिस अधिकारियों को सौंप दिए गए.

क्या थी घटना?

यह घटना ग्रेटर नोएडा के बिसाहड़ा गांव में पिछले साल 28 सितंबर की रात घटी जब वहाँ के एक स्थानीय मंदिर में लाउडस्पीकर पर यह घोषणा की गई कि अखलाक के परिवार वाले घर पर गाय का मांस खा रहे हैं.

इसके तुरंत बाद, आपे से बाहर लगभग 200 लोगों की भीड़ अखलाक के घर के बाहर इकट्ठी हो गई. अखलाक को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया गया और हमले में उसका छोटा बेटा दानिश सिर में चोट लगने के कारण गंभीर रुप से घायल हो गया. उसे नोएडा में एक स्थानीय अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया जहां से बाद में उसे दिल्ली के आर्मी हाॅस्पीटल में रेफर कर दिया गया. जब यह घटना हुई उस वक्त भारतीय वायु सेना में काम करने वाला अखलाक का बड़ा बेटा चेन्नई में तैनात था.

घटना के बाद स्थानीय पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी और बीजेपी के स्थानीय नेता के बेटे समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया था. इस मामले में कुल 17 गिरफ्तारियां हुईं थीं. इनमें से दो आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.

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