मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बलूचिस्तान में महिलाओं को निशाना बना रही पाकिस्तानी सेना? अपहरण-दुष्कर्म के आरोप

बलूचिस्तान में महिलाओं को निशाना बना रही पाकिस्तानी सेना? अपहरण-दुष्कर्म के आरोप

Balochistan Rebels:बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के पास कोई नियम कायदा नहीं है, बिना कारण लोगों की हत्या की जा रही.

फ्रांसेस्का मैरिनो
नजरिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>"अपहरण, दुष्कर्म", बलूचिस्तान में महिलाओं को कैसे निशाना बना रही पाकिस्तान सेना?</p></div>
i

"अपहरण, दुष्कर्म", बलूचिस्तान में महिलाओं को कैसे निशाना बना रही पाकिस्तान सेना?

(फोटोः क्विंट हिंदी)

advertisement

पाकिस्तान का क्वेटा, रात में एक दम शांत, यहां सुई के गिरने की भी आवाज नहीं आ रही है. यहां कोई एक यंग विधवा के घर की कल्पना कर सकता है जो अपने तीन बच्चों और अपने दिवंगत पति की मां के साथ रहती है. अचानक, ये रात अब शांत नहीं रही, अब कोई शांति या सन्नाटा नहीं रहा.

दरवाजे पर लोग चिल्ला रहे हैं, भ्रम और भय पैदा कर रहे हैं. काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट (CTD) के लोग घर के अंदर घुसकर सो रहे छोटे परिवार की शांति भंग कर दी है. यंग विधवा, महल बलोच के दिवंगत पति नदीम बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट के सदस्य थे, और 2016 में मारे गए थे. तब से महल, जबरन अपहरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में कई अन्य बलूच महिलाओं की ही तरह, एक एक्टिविस्ट और समूहों की सदस्य बन गईं.

  • बलूचिस्तान में सरकारी दमन की एक नई लहर चल रही है, क्योंकि पाकिस्तानी सेना द्वारा अपहरण बढ़ रहा है, जिसके कारण देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.

  • दुनिया भर में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी रिहाई के लिए विरोध करने के बावजूद महल अभी भी हिरासत में हैं और बलूच आंतरिक मंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से घोषणा करने के बावजूद कि "उनके खिलाफ आरोप हटा दिए जाएंगे और उन्हें जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा.

  • बांग्लादेशी युद्ध के दौरान बलात्कार की भयावहता को उजागर करने में कई साल लग गए. ऐसे ही जब बलूच महिलाओं के खिलाफ ज्यादतियां रुकेंगी तो इसमें भी बलूच महिलाओं की दुर्दशा को पूरी तरह से प्रकट करने में भी कई साल लग जाएंगे.

  • जिनेवा में मानवाधिकार आयोग के सामने यह मुद्दा रखकर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश के बावजूद, बलूचिस्तान महिलाओं और सामान्य रूप से बलूचिस्तान के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शायद ही कोई ध्यान दिया जा रहा है.

जबरन अपहरण, अत्याचार: पाकिस्तान मानवाधिकार अपराध का गढ़ है

बलूचिस्तान की मानवाधिकार परिषद के अनुसार, "CTD, महल के घर में घुस गया, उसकी तलाशी ली, पैसे ले लिए और सास महनाज, महल और तीन बच्चों- नुगराह, नाजनेक, और बनदी और एक अन्य महिला को अपने साथ ले गया. बच्चों सहित परिवार के सभी सदस्यों की आंखों पर पट्टी बांधकर पुलिस थाने ले जाया गया.

एक अभिभावक की अनुपस्थिति में बच्चों से पूछताछ की गई और उन्हें एक कमरे में रखा गया, जहां वे बगल के कमरे से महल की चीखें सुन सकते थे. हिरासत में बेरहमी से प्रताड़ित किए जाने के दौरान महल को एक वकील से वंचित कर दिया गया था.

परिवार के सदस्यों का कहना था कि...

"महल को एक स्थानीय अदालत के सामने पेश किया गया, जहां वह गंभीर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के कारण बेहोश हो गई. उसके बच्चों और अन्य दो महिलाओं को हाल ही में रिहा कर दिया गया है."

दुनिया भर में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी रिहाई के लिए विरोध करने के बावजूद महल अभी भी हिरासत में हैं. हालांकि, इसके लिए बलूच आंतरिक मंत्री ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि "महल के खिलाफ आरोप हटा दिए जाएंगे और उन्हें जल्द ही रिहा कर दिया जाएगा." वास्तव में महल पर लगाए गए आरोप नकली हैं और उसी सीटीडी द्वारा गढ़े गए हैं जो महल के घर में घुसा था.

CTD के नैरेटिव के मुताबकि महल को क्वेटा में सैटेलाइट टाउन के पास एक सार्वजनिक पार्क में गिरफ्तार किया गया था, जब वह एक लैपटॉप बैग में एक आत्मघाती बम ले जा रही थीं. यहां तक ​​कि बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट ने एक मीडिया बयान जारी कर स्पष्ट किया था कि "महल, बलोच समूह से संबद्ध नहीं हैं."

बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट ने कहा था कि "वे उसे चुप कराने के लिए उसके परिवार पर दबाव बना रहे हैं और उसे हिरासत में ले रहे हैं. "पाकिस्तानी सुरक्षा बल वास्तविक बीएलएफ सेनानियों को पकड़ने में असमर्थ है. इसलिए, निर्दोष नागरिकों को हिरासत में लेने और उन्हें आतंकवादी के रूप में फंसाने का सहारा ले रहा है. वे दुनिया को यह दिखाने के लिए ऐसा करते हैं कि वे बलूचिस्तान में उग्र विद्रोह के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं."

लेकिन, महिलाओं और कुछ मामलों में बच्चों को भी निशाना बनाने से संघर्ष और बढ़ेगा. दुनिया भर में इससे पहे माफिया सहित पेशेवर अपराधियों के बीच एक अलिखित कानून को बरकरार रखा गया है, जिसके द्वारा महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, ज्यादातर मामलों में, सुनिश्चित की गई है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बलूचिस्तान पर पाकस्तानी सेना की ज्यादतियां

किसी को मारने के लिए एक पेशेवर अपराधी के पास भी उसका एक नियम कायदा होता है और उसके पीछे की वजह होती है, लेकिन बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के पास कोई नियम कायदा नहीं है. बिना कारण लोगों की हत्या की जा रही और उन्हें नुकसान पहुंचाया जा रहा है, जैसे ब्रहमदग बुगती की असहाय बहन और भतीजी को वर्षों पहले नुकसान पहुंचाया गया या मारा गया.

महिलाओं और बच्चों का अपहरण कोई नई बात नहीं है. अतीत में, महिलाओं के अपहरण, हिरासत में लेने और यातना देने, सैन्य कर्मियों द्वारा सेक्स स्लेव के रूप में इस्तेमाल किए जाने और फिर छोड़ दिए जाने के कई मामले सामने आए हैं. हालांकि, इसकी संख्या कितनी है, इसको प्राप्त करना मुश्किल है, क्योंकि जैसा कि इन मामलों में हमेशा होता है, महिलाएं शर्म महसूस करती हैं और अपनी पीड़ा का खुलासा नहीं करना चाहती हैं.

बांग्लादेशी युद्ध के दौरान बलात्कार की भयावहता को उजागर करने में कई साल लग गए. ऐसे ही जब बलूच महिलाओं के खिलाफ ज्यादतियां रुकेंगी तो इसमें भी बलूच महिलाओं की दुर्दशा को पूरी तरह से प्रकट करने में भी कई साल लग जाएंगे.

विश्व बलूच महिला फोरम की प्रमुख डॉ. नैला कादरी ने कहा कि "मैं अपनी माताओं और बहनों पर राज्य की हिंसा को रोकने की मांग करती हूं. पाकिस्तानी सेना एक बलात्कारी और दुष्कर्मी सेना है. वे हमारे बच्चों का अपमान, महिलाओं से दुष्कर्म और उनके साथ अत्याचार कर रहे हैं. मुझे UN, USA और EU की चुप्पी पर बहुत गुस्सा आ रहा है."

बलूचिस्तान में महिलाओं के खिलाफ हिंसा का कोई अंत नहीं

बलूचिस्तान में महिलाओं के खिलाफ हिंसा लगातार जारी है और इस बात के सबूत हैं कि कई बलूच महिलाओं को इन टॉर्चर सेल में ले जाया गया है. अली अर्जुमंद, एक नॉर्वेजियन नागरिक जो इन 'गुप्त' टॉर्चर सेल में 12 वर्षों तक 'गायब' रहा. वो याद करते हुए बताता है कि कैसे महिलाओं के साथ दुष्कर्म और अत्याचार किया गया. उनमें से एक महिला को उसकी कोठरी के सामने मरने के लिए छोड़ दिया गया था.

"हम, संबंधित संगठन (बलूच वॉयस एसोसिएशन, वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन्स और बलूच पीपल्स कांग्रेस) बलूच लोगों के प्रतिनिधि और मानवाधिकार कार्यकर्ता, पाकिस्तानी द्वारा बलूच महिलाओं के अधिकारों के निरंतर दुरुपयोग की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए पत्र लिखते रहे हैं. हाल के वर्षों में जबरन अपहरण का विरोध करने वाली बलूच महिलाओं को धमकाया गया, उन पर हमला किया गया और उन्हें जबरदस्ती गायब कर दिया गया. उन्हें सेना के टॉर्चर सेल में रखा गया, जहां कई महिलाओं का यौन शोषण किया गया."

कुछ दिन पहले ही जबरन अपहरण और जबरन या अस्वैच्छिक गुमशुदगी पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह को संबोधित पत्र भेजा गया है. इसमें यह भी कहा गया है कि, "उनकी चिंताओं को दूर करने के बजाय, पाकिस्तानी राज्य ने उनकी दुर्दशा को अनदेखा करना जारी रखा है, और जबरन गायब करने की प्रथा धीरे-धीरे बढ़ गई है." लेकिन, बयान जारी करने, नियमित भाषण देने और जिनेवा में मानवाधिकारों आयोग के सामने मुद्दा रखा जा रहा है, जिससे दुनिया का ध्यान आकर्षित हो, बावजूद, बलूचिस्तान महिलाओं और बलूचिस्तान के मुद्दा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शायद ही कोई ध्यान देता है.

(फ्रांसेस्का मैरिनो एक पत्रकार और दक्षिण एशिया विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने बी नटले के साथ 'एपोकैलिप्स पाकिस्तान' लिखा है. उनकी नई पुस्तक 'बलूचिस्तान - ब्रूइज्ड, बैटर्ड एंड ब्लडिड' है. उनका ट्विटर अकाउंड @francescam63 है, जिसप ट्वीट करती हैं. यह लेखक की अपनी राय और व्यक्त किए गए विचार हैं. द क्विंट न तो उनके कथित विचारों का समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT