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5 जून, 2019, पन्ना (मध्य प्रदेश) - एक शख्स थाने पहुंचा और कहा कि उसने अपनी पत्नी की हत्या कर दी है. उसके पांच बच्चे थे. दो बच्चों की शादी भी हो चुकी थी. पत्नी 55 साल की थी. पति ने पुलिस को बताया कि उसे अपनी पत्नी के चरित्र पर शक था.
10 जून, 2019, कानपुर - पति और बेटे ने मिलकर महिला की ईंट से कुचलकर हत्या कर दी. महिला के चरित्र को लेकर उसके बेटे और पति उससे खफा थे.
आप कोई लोकल अखबार या वेबसाइट देख लीजिए. इस तरह की खबरों आए दिन आती रहती हैं. कोई औरत या फिर कोई पुरुष अधेड़ उम्र में प्यार-मोहब्बत के बारे में सोचे, अपने पुराने पार्टनर से असंतुष्ट हो तो, जिंदगी की दूसरी पारी के बारे में सोचे, हमारा समाज इसे लेकर आज भी सहज नहीं है. दूसरे तो दूसरे, अपने भी फिर एक बार खुश होने और जिंदगी जीने की इजाजत नहीं देते.
11 जून, 2019 - केरल के गोकुल श्रीधर ने फेसबुक पर अधेड़ उम्र की अपनी मां को दूसरी शादी की बधाई दी. उसने ये भी बताया है कि वो पहले पोस्ट शेयर करते हुए झिझक रहा था. फिर उसने दुनिया की परवाह नहीं करते हुए अपने दिल की बात सबको बताई. पता चला वो बेकार में झिझक रहा था. पोस्ट शेयर होते ही उसे हजारों शेयर मिले. ढेर सारी तारीफ मिली.
कहते हैं फिल्में समाज का आईना होती हैं. गोकुल के उदाहरण को बदलाव की बयार मानें तो इसकी झलक हमारे फिल्मों में भी दिख रही है.
मई, 2019: फिल्म- ‘दे दे प्यार दे’ में- बेटी की शादी में पिता अपनी गर्लफ्रेंड के साथ आया है. गर्लफ्रेंड की उम्र लगभग उतनी ही है, जितनी उसकी बेटी की. उस शख्स का बेटा भी है, जिसे पता नहीं है कि पिता के साथ जो लड़की आई है वो उसकी होने वाली 'मां' है. वो अपने पिता की गर्लफ्रेंड की तरफ 'उम्मीद' भरी नजरों से देखता है. जब सच्चाई सामने आती है तो दोनों बच्चे भड़क जाते हैं. लेकिन फिर उस शख्स की पहली पत्नी (जो सेपरेशन के बाद बच्चों के साथ पति से अलग रह रही है) बच्चों को समझाती है.
इस फिल्म की चौंकाने वाली बात ये भी रही कि फिल्म आम बॉलीवुड फिल्मों की तरह हैप्पी एंडिंग वाली थी. अजय देवगन अपने से आधी उम्र वाली प्रेमिका के साथ जाते हैं और बच्चे इसे स्वीकार करते हैं. खास बात ये थी कि कास्ट में कोई नया अनजान चेहरा नहीं, अजय देवगन हैं. फिल्म के रिव्यूज और सोशल मीडिया पर इससे जुड़े पोस्ट देखकर अच्छा वाला अचरज होता है. कहीं गाली गलौज नहीं. आलोचना नहीं. आम तौर पर तारीफ या न्यूट्रल रिएक्शन है. फिल्म 100 करोड़ कमाने वाली फिल्मों के क्लब में भी शामिल हो चुकी है. यानी हिंदी फिल्म के दर्शक इस नई सोच वाली फिल्म को खुले दिल से स्वीकार कर रहे हैं.
जिस समाज में महिलाएं पहले अपने पिता, फिर पति और आखिर में अपने बेटों के हुक्म की 'गुलाम' होती है, जहां 45 की उम्र पार करते ही उन अहसासों को अपने तक ही सीमित रखने की अनकही हिदायत होती है, उस समाज में ‘गोकुल’ और ‘दे दे प्यार दे’ से कुछ नया सा होता दिख रहा है. रिश्तों की तेज गर्मी में राहत की दो बूंदें पड़ी हैं. मौसम बदल रहा है क्या?
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Published: 12 Jun 2019,10:27 PM IST