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दुःख भरी कहानियों का अंबार लगता जा रहा है. पुराने नोट लेकर इलाज नहीं हुआ, इसकी वजह से एक बच्चे की मौत हो गई. एक महिला ने हावड़ा ब्रिज से कूदकर जान दे दी क्योंकि जरूरत के लिए एटीएम मशीन से पैसा नहीं निकल रहा था.
केरल में लंबी लाइन में खड़े होने की वजह से दो बुजुर्गों की मौत हो गई. बिहार के किशनगंज में कुछ व्यापारियों ने 500 और 1000 के पुराने नोट देकर ग्राहकों को ठग लिया.
एक 80 साल की महिला यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि उनकी जिंदगी भर की कमाई की अब कोई वैल्यू नहीं रह गई. उन्हें लगता है कि कहानी गढ़कर उन्हें फुसलाया जा रहा है.
क्या आम लोगों पर इस तरह से दुखों का पहाड़ गिराना सही था. सिर्फ अलग सोच की जरूरत थी, बाबुओं के पुराने तौर-तरीके से बाहर निकलने की. इससे पहले मैंने लिखा था कि कैसे पूरी प्रक्रिया को ठीक से लागू किया गया होता तो कंज्मपशन बूम होता.
अब मैं उससे भी सरल तरीका बता रहा हूं. मैं अचंभित हूं कि इतने प्रतिभावान ब्यूरोक्रैट, ख्यातिप्राप्त अर्थशास्त्री, मेधावी वकील और तेज तर्रार नेता सरल रास्ता क्यों नहीं अपना पाए?
मोदी सरकार की इनकम डिक्लेरेशन स्कीम सितंबर में खत्म हुई. स्कीम में 45 परसेंट टैक्स और पैनल्टी देकर सबको अपनी छुपी हुई कमाई घोषित करने की छूट थी.
65,000 करोड़ रुपए का काला धन सिस्टम में आया और सरकार को करीब टैक्स के रुप में 30,000 करोड़ मिले. कहा गया कि स्कीम को अप्रत्याशित सफलता मिली.
परिणाम देखिए. सोने की कीमत में 60 परसेंट की तेजी हो गई. 10 ग्राम सोना अब 55,000 रुपए का हो गया है. हवाला मार्केट में रुपए की कीमत में 100 परसेंट की कमी आ गई है. रुपए की तुलना में डॉलर अब 180 में मिल रहा है (ऑफिशयल दर 67-68 है). मतलब यह कि 1000 रुपए के नोट की वैल्यू में 50 परसेंट की कमी.
इसका मतलब यह हुआ कि लोग अब ‘गैर कानूनी’ हो गए करेंसी के बदले में 50 परसेंट तक का घाटा सहने के लिए तैयार हैं.
मान लीजिए कि प्रधानमंत्री के सलाहकारों ने सलाह दी होती कि
पुराने रिकॉर्ड देखें तो इस को 100 परसेंट सफलता मिलनी है.
सोचिए उस डबल ब्रह्मास्त्र का क्या असर होता. आज घाटा सहकर सोना और डॉलर खरीदने की जो होड़ मची है, वैसा कुछ नहीं होता. लोग आराम से 50 फीसदी टैक्स और पेनल्टी देते. और बाकी रकम बैंक में वैध तरीके से जमा हो जाती. फिर अवैध तरीके से सोने के बिस्किट या हवाला डॉलर रखने का टेंशन भी नहीं होता.
कितनी बड़ी चूक हो गई प्रधानमंत्री जी. अगर आपने दोनों स्कीम को एक साथ चलाया होता तो मुझे पक्का यकीन है कि अनुमानित चार लाख करोड़ की कैश वाली ब्लैक मनी बाहर आ जाती. सरकारी खजाने में 2 लाख करोड़ रुपए आ जाते.
बैंकों की बैलेंश शीट दुरुस्त हो जाती. फिर सब चैन से रहते. हां उसके बाद जरूरी टैक्स रिफॉर्म करने पड़ते ताकि काली कमाई फिर से शुरू ना हो जाए.
प्रधानमंत्री जी, आपको अलग सोचने वाले सरकार से बाहर के सलाहकारों को अपनी टीम में आजमाना चाहिए. शायद रायसीना हिल्स के पुराने सलाहकार बदलते परिवेश में एडजस्ट नहीं कर पा रहे हैं.
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