मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019प्रणब ‘भागवत’ बने या फिर मोहन ‘मुखर्जी’, नागपुर में क्या हुआ खेल?

प्रणब ‘भागवत’ बने या फिर मोहन ‘मुखर्जी’, नागपुर में क्या हुआ खेल?

कांग्रेस उस वॉर्निंग को क्यों भूल गई है, जो 1949 में जवाहर लाल नेहरू ने दी थी?

टीसीए श्रीनिवास राघवन
नजरिया
Updated:
प्रणब मुखर्जी का भव्य स्वागत किया आरएसएस प्रमुख भागवत ने
i
प्रणब मुखर्जी का भव्य स्वागत किया आरएसएस प्रमुख भागवत ने
(फोटोः PTI)

advertisement

देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जब आरएसएस का न्योता स्वीकार किया था, तब दिल्ली का बुद्धिजीवी वर्ग और कांग्रेस पार्टी आंदोलित दिख रही थी. वे बार-बार यही सवाल कर रहे थे, जो राजेश खन्ना ने 1971 की हिट फिल्म अमर प्रेम के एक गीत में पूछा थाः ये क्या हुआ, कैसे हुआ, कब हुआ? अब पता चला कि वे बेकार ही डर रहे थे क्योंकि आखिर में ‘कुछ भी ना हुआ.’ मुखर्जी ने ऐसा कुछ नहीं कहा, जिससे किसी को ठेस पहुंचे. उन्होंने कमोबेश उन्हीं बातों का निचोड़ पेश किया, जो कांग्रेस पार्टी 1885 से कह रही है.

किसी को ठेस पहुंचने वाली कोई बात नहीं

ना प्रणब ने और ना आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने किसी को ठेस पहुंचाने वाली बात कही. उन्होंने कहा कि भारत विविधता भरा देश है, लेकिन हमारा संकल्प एक है.

मुखर्जी और भागवत की स्पीच इतनी मिलती-जुलती थी कि उन्हें सुनते हुए मुझे रेडियो के विविध भारती कार्यक्रम के एनाउंसमेंट का ख्याल आ गया. ख्याल कुछ यूं था- गीत लिखा है मोहन मुखर्जी ने और संगीत से संवारा है प्रणब भागवत ने.
RSS के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति(फोटोः PTI)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

नेहरु की वार्निंग क्यों भूल गई कांग्रेस

पहली बात तो यह है कि मुखर्जी अब किसी पार्टी से बंधे नहीं हैं. वह आजाद नागरिक हैं. वह जहां चाहें, जा सकते हैं. दूसरी बात यह कि अगर मान लिया जाए कि आरएसएस के कार्यक्रम में जाने का उनका कोई राजनीतिक मकसद था, जैसा कि कई लोगों ने कहा भी, कहा गया कि इससे कांग्रेस पार्टी के आम कार्यकर्ताओं के बीच आरएसएस को वैधता मिल जाएगी. अगर ऐसा है तो इससे प्रणब को क्या हासिल होगा और वह ऐसा क्यों करेंगे?

तीसरी और सबसे बड़ी बात यह है कि आज कांग्रेस उस वॉर्निंग को क्यों भूल गई है, जो 1949 में जवाहर लाल नेहरू ने दी थी? उन्होंने कहा था कि वामपंथी और सांप्रदायिक ताकतें देश के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं.

इसलिए मेरे मन में हमेशा यह सवाल घूमता है कि अगर कांग्रेस, वामपंथियों को गले लगा सकती है तो सांप्रदायिक राजनीति करने वालों को क्यों नहीं?

ये भी देखें- ब्रेकिंग VIEWS | प्रणब दा के भाषण से बड़ी खबर उनका नागपुर जाना

आरएसएस के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी का स्वागत करते हुए मोहन भागवत(फोटोः PTI)

CPI भी आजादी के आंदोलन में नहीं हुई थी शामिल

आरएसएस की तरह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) ने भी आजादी के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग नहीं लिया था. सच तो यह है कि ‘कम्युनिस्ट संरसंघचालक’ यानी जोसेफ स्टालिन की वजह से वह अंग्रेजों के साथ हो गई थी. सोवियत रूस के स्टालिन ने कहा था कि यह उनका कर्तव्य है. इन वामपंथियों ने 1964 तक भारत से अलग होने सोच तक नहीं छोड़ी थी. इतना ही नहीं, 1962 युद्ध में वे चीन की तरफदारी कर रहे थे.

ये भी पढ़ें- तो क्या बेटी ने प्रणब दा को सही चेताया था,शुरू हुआ फेक फोटो का खेल

इसके बावजूद कांग्रेस को वामपंथियों से हाथ मिलाने में कोई हर्ज नहीं है, जबकि वह हर मौके पर आरएसएस और हिंदू महासभा की लानत-मलामत करती रहती है. इस पर कोई बहस क्यों नहीं करता. इसके बजाय सबका ध्यान कांग्रेस के धर्मनिरपेक्षता के मॉडल पर है.

आखिर में मैं तर्कशास्त्र के एक प्रसिद्ध सिद्धांत का जिक्र करना चाहूंगा, जिसे ओकम्स रेजर कहते हैं. इसके मुताबिक 99 पर्सेंट मामलों में सबसे आसान जवाब, सबसे सही जवाब होता है. इस सिद्धांत के लिहाज से देखें तो मुखर्जी की यात्रा को उनकी उम्र से जोड़कर देखना चाहिए. वह 82 साल के हैं. उन्हें शायद ही इसकी परवाह होगी कि उनके बारे में कौन क्या कह रहा है या क्या सोच रहा है. कांग्रेस के पूर्व सहयोगी क्या कह रहे हैं या सोच रहे हैं, इसकी तो शायद ही उन्हें बिल्कुल भी चिंता नहीं होगी.

ये भी पढ़ें- प्रणब दा ने संघ के घर में बताया कि भारत देश के मायने क्या हैं?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 08 Jun 2018,03:05 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT