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Queen Elizabeth II हमें छोड़कर चली गई हैं. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का शासन सबसे लंबा 70 वर्षों का था. वो पूरी दुनिया की हर दिल अजीज थीं. उन्हें रानी से ज्यादा देश की नानी की तरह माना गया. मैं कोई शाही घर की नहीं हूं, लेकिन आज खालीपन लग रहा है.
जनता के दिलों में भी रानी ने हमेशा एक खास जगह बनाए रखा. मैं उनसे एक बार बकिंघम पैलेस में समर गार्डन पार्टी में मिली थी. मुझे याद है कि उनके सामने सिर झुकाना या कहें नमन करना कितना अच्छा लगा था. मैं किंग चार्ल्स और राजकुमारी ऐनी से मिली हूं, और जिस सम्मान का भाव मेरे मन ने महसूस किया उसे मैं बता नहीं सकती. वह जरा हटकर थीं. उनकी मासूम मुस्कान और मखमली आवाज के लोग कायल थे और हर कोई उनका सम्मान करता था.
हां, मैं तब लंदन में एक पत्रकार के तौर पर काम कर रही थी और 31 अगस्त, 1997 को राजकुमारी डायना की अचानक मौत की कवरेज में लगी थी. भावनाएं तभी कुछ और ही थीं. एक खूबसूरत और जवां डायना इतने कम उम्र में चल बसीं थी इस बात से मैं बहुत व्यथित थी. लेकिन आज जो कुछ हुआ उसे समझा नहीं पा रही हूं.
इस श्रद्धांजलि को लिखना कठिन है. मुझे नहीं मालूम कि आखिर आज मैं खुद को क्यों इतना बेबस महसूस कर रही हूं. वो इस देश की सिर्फ नाममात्र की सरताज थीं. मैं यहां पैदा नहीं हुई थी, और राजशाही में मेरी कोई निष्ठा नहीं थी, मैं राजघराने वाली भी नहीं हूं, फिर भी आज मुझे लगता है कि मैंने परिवार के एक बहुत करीबी सदस्य को खो दिया है.
वो हैरत और चौंकाने वाली महिला रही हैं. उनकी एक छवि जो मुझे सबसे ज्यादा याद आती है वह है उनकी काले लिबास में अपने पति की समाधि के पास बैठे रहने वाली तस्वीर. मार्च 2022 में कोविड पाबंदियों की वजह से वो अकेले ही उस मेमोरियल सर्विस में थी. उनकी जिंदगी का प्यार उनसे छिन गया था.
तब से ही उनकी सेहत को लेकर चिंताएं बनती रही हैं..लेकिन वो कर्तव्यनिष्ठ बनीं रहीं. इसी हफ्ते अपनी खराब सेहत रहते हुए भी उन्होंने 15वीं प्रधानमंत्री लिज ट्स को शपथ दिलाई. तब वो बुरी तरह पर कमजोर दिखीं थी.
उनके बाद राजतंत्र बिल्कुल वैसा ही नहीं रहेगा. मैं उनसे अपनी इकलौती मुलाकात कभी भुला नहीं पाऊंगी. वो हमेशा निरंतरता, स्थिरता और परिवर्तन के हिसाब से ढलने वाली एक प्रतिमान बनी रहेंगी.
उनके शासनकाल में ही इस देश ने बहुसंस्कृतिवाद और दुनिया भर के अप्रवासियों को अपनाया. प्रवासियों को यहां अपना कहने वाला घर मिला. रानी के तौर एक ऐसी शख्स थीं जिन पर हर किसी का भरोसा हमेशा बना रहा. रानी सभी धर्मों में ताउम्र यकीन करती रहीं.
1952 में जब उनका राज्याभिषेक हुआ, तब उन्होंने "सभी धर्मों" के लोगों से उनके लिए प्रार्थनाएं करने का अनुरोध किया. वह लगातार बदलती दुनिया में भी स्थितप्रज्ञ की तरह थीं. वो अपने आखिरी क्षणों में अपनी पसंदीदा बाल्मोरल कैसल जो कि उनका ग्रीष्मकालीन घर भी था, वहीं सबसे ज्यादा रहीं . मेरी बस दुआ और प्रार्थना हैं कि रानी की आत्मा को अब चैन मिले.
अगला सम्राट किंग चार्ल्स हैं और उनकी पत्नी कैमिला रानी हैं. अब यह एक दूसरा युग हैं जहां महारानी के बिना राजशाही की कहानी अलग होगी.
(नबनिता सरकार लंदन में रहने वाली एक वरिष्ठ पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @sircarnabanita है. यह लेख एक राय है और ऊपर व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट न तो समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)
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