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पिछले वीकएंड मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ हरिद्वार-ऋषिकेश के लिए निकला था. काफी प्लानिंग के बाद हमारा ग्रुप तैयार हुआ था और हम भारी उत्साह में राफ्टिंग करने इस ट्रिप पर जा रहे थे. लेकिन ऋषिकेश पहुंचते ही सारे जोश और उत्साह पर गंगा का ठंडा पानी पड़ गया. पता चला कि अब यहां ना तो राफ्टिंग होगी और ना पैराग्लाइडिंग. उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सब कुछ बंद करा दिया गया है.
पहले यकीन नहीं हुआ. लेकिन खबर पक्की थी. हम सभी दोस्त मायूस थे. राफ्टिंग की वजह से आया जोश और जुनून गायब हो चुका था.
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हमारी तरह दोस्तों की दो-तीन और भी टोली वहां मिली. जब उन्हें भी खबर पता चली तो मस्ती और शोर-शराबा थम गया. समझ नहीं आ रहा था कि अब ऋषिकेश में हम क्या करेंगे.
कोर्ट के फैसले पर सवाल नहीं उठा रहे, लेकिन ये भी सच है कि इससे एडवेंचर टूरिज्म पसंद करने वाले हमारे जैसे हजारों सैलानियों को मायूसी हुई है. राफ्टिंग के रोजगार में जुटे लोगों के लिए भी ये किसी बड़े झटके से कम नहीं है.
मैं पिछले 6 साल से हर साल गर्मी के मौसम में लगातार ऋषिकेश जाता रहा हूं. लेकिन इस बार जब ऋषिकेश पहुंचा तो काफी कुछ बदला-बदला सा लगा. जो युवा अपने जोश और साहस का इम्तिहान लेने यहां आते थे वो नजर नहीं आ रहे थे.
राम झूला और लक्ष्मण झूला के आसपास जिन इलाकों में कभी राफ्टिंग और पैराग्लाइडिंग दुकानदार पर्यटकों को आवाज लगाकर बुलाते नजर आते थे. वहां सन्नाटा पसरा था. दुकानों के शटर डाउन थे. जो दुकाने खुली थीं वहां भी दुकानदारों के चेहरे पर मायूसी साफ दिख रही थी. मैंने एक दुकानदार मोहन पेटवाल से पूछा कि क्या राफ्टिंग का कोई सीन है?
कोर्ट का ये फैसला राफ्टिंग के बिजनेस में लगे लोगों के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार के लिए बड़ा झटका है. क्योंकि उत्तराखंड सरकार को एडवेंचर टूरिज्म और वाटर स्पोर्ट्स से बड़ी कमाई होती है. इस इलाके में राफ्टिंग के लिए करीब 300 लाइसेंस दिए गए थे और सीजन में करीब 400-450 बोट गंगा की लहरों पर दौड़ती थी.
गंगा नदी के आस-पास होने वाली एक्टिविटी पर हाईकोर्ट की चिंता वाजिब है. क्योंकि मैंने भी पहले ये नोटिस किया था कि राफ्टिंग के नाम पर गंगा के किनारे टूरिस्ट शराब का भरपूर सेवन करते नजर आते थे, और नदी में कूड़ा कचरा डालकर उसे प्रदूषित किया जा रहा था. पर्यावरण के हिसाब से ये बिल्कुल भी जायज नहीं था. हाईकोर्ट ने साफ-साफ कहा है कि ये बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
ऋषिकेश में राफ्टिंग हो या नहीं ये अब राज्य सरकार के एक्शन पर तय होगा. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि राफ्टिंग पर लगी रोक स्थायी नहीं है पर जब तक सरकार पर्यावरण और लोगों की सुरक्षा के लिए साफ नीति नहीं बनाता तब तक रोक बनी रहेगी.
सरकार को इसके लिए दो हफ्ते का वक्त दिया गया है.
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Published: 26 Jun 2018,05:38 PM IST