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Bigg Boss में उत्पीड़न झेलती महिलाओं से ही सवाल: सलमान के लिए हद तय करना जरूरी

बिग बॉस को कभी प्रोग्रेसिव जेंडर पॉलिटिक्स के लिए नहीं जाना गया

तनुश्री भसीन
नजरिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>सलमान खान&nbsp;</p></div>
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सलमान खान 

(फोटो: बिग बॉस)

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रिएलिटी टेलीविजन शो 'बिग-बॉस' (Bigg boss) में कई महिलाओं का उत्पीड़न हुआ और उन्हें असहज महसूस करवाया गया. लेकिन इतना ही काफी नहीं था कि अक्सर इन्हीं महिलाओं पर टीका-टिप्पणी शुरू कर दी जाती और दोषियों से किसी तरह के सवाल नहीं पूछे गए. अब तो यह घिनौना घटनाक्रम नियमित हो चुका है. पिछले सीजन में एक महिला को शो की अस्थायी जेल में बंद कर दिया गया और उन्हें शो के होस्ट सलमान खान के सामने सफाई देने को कहा गया. जबकि वो खुद पीड़ित थीं.

उत्पीड़न को लेकर सलमान खान की सीख

जी हां, यह वही सलमान खान हैं, जिनके ऊपर कुछ साल पहले उनकी पूर्व प्रेमिका का मानसिक-शारीरिक उत्पीड़न का आरोप लगा था, अब वे जज की भूमिका में हैं. यह दुर्भाग्य है कि तबसे सलमान खान में संवेदनशीलता का विकास नहीं हुआ है. इसलिए आपको सलमान खान, दुर्व्यवहार की शिकार हुईं, शिकायत करने वाली महिलाओं को "इसे इग्नोर करो और हंसो" जैसी सलाह सुनाते हुए मिल जाते हैं. जबकि इन महिलाओं ने सलमान से अपशब्दों और खुद को गलत तरीके से छुए जाने की शिकायत की थी.

एक हालिया एपिसोड में सलमान खान ने एक बार फिर, एक महिला प्रतिभागी को प्रवचन देते हुए बताया कि कैसे वह अपने उत्पीड़न के बाद बनी स्थितियों से ज्यादा बेहतर तरीके से बच सकती थी. महिला प्रतिभागी ने एक साथी प्रतिस्पर्धी द्वारा लगातार किस की मांग किए जाने के बाद शिकायत की थी. बता दें महिला के मना करने के बावजूद आरोपी लगातार उसके पीछे पड़ा रहा.

सलमान खान ने महिला से पूरे घटनाक्रम पर तमाम सवाल पूछे, जैसे कब, कहां और क्या हुआ. इसके बाद सलमान ने कहा, "उंगली दोगी, तो हाथ पकड़ लेगा. यही दस्तूर है." शो में प्रतिस्पर्धी रह चुकीं शमिता शेट्टी ने तुरंत तंज करते हुए कहा, "आप (महिला) मनमर्जी से यह चुनाव नहीं कर सकतीं कि कब आपको असहज महसूस हो रहा है. पुरुषों के साथ यह चीज बड़ा अन्याय है."

'शिकायत करने का कोई सही वक्त नहीं'

पूरे घटनाक्रम में यह दिलचस्प रहा कि खान की सेक्सिस्ट भाषणबाजी को एक युवा प्रतियोगी तेजस्वी प्रकाश ने चुनौती दी. तेजस्वी उस समय दंग रह गए, जब सलमान खान ने पीड़िता से कहा कि उन्होंने तब आवाज क्यों नहीं उठाई, जब ये सब हो रहा था. "लड़कियों के लिए यही सीख है कि जब चीजें होनी शुरू हों, केवल तभी प्रतिक्रिया दो." जबकि पीड़िता ने सभी को समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि शिकायत करने का कोई सही वक्त नहीं होता, ना ही शिकायत करने के वक्त को लेकर पीड़िता पर सवाल उठाना चाहिए. लेकिन पीड़िता की टिप्पणी पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

सलमान खान ने आखिर में कहा, "इसका मतलब ये नहीं है कि उसने जो किया मैं उसका समर्थन करता हूं! लेकिन जब कोई अच्छा दिखने वाला लड़का आपकी तारीफ करता है, तो आपको अच्छा लगता है. लेकिन अगर कोई कम आकर्षक लड़का आपकी तारीफ करता है, तो वो आपको खराब लगता है!"

बिग बॉस को कभी प्रोग्रेसिव जेंडर पॉलिटिक्स के लिए नहीं जाना गया. बल्कि इसके कुछ हालिया सीजन में कई महिला विरोधी घटनाक्रम हुए, जहां आक्रामक और असभ्य मर्द लगातार शो में आने वाली महिलाओं को असुरक्षित महसूस कराते रहे और इन मर्दों को शो की तरफ से लगातार बढ़ावा दिया जाता रहा. यहां तक कि उनका बचाव तक किया गया.
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कहा जाता है कि दुनिया छोड़ चुके लोगों के बारे में खराब नहीं बोलना चाहिए ( लेकिन मुझे समझ में नहीं आता कि ऐसा क्यों है?). दिवंगत अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला सीजन-13 में प्रतिस्पर्धी थे. वे महिलाओं के खिलाफ बहुत अपमानजनक व्यवहार करते थे. जबकि इस तरह के व्यवहार की उनकी मौत के बाद लिखे गए शोकगीतों में कोई चर्चा नहीं है. कुछ एपिसोड में उन्होंने महिलाओं से गाली-गलौज की, यहां तक कि उन्हें शारीरिक ढंग से धमकाया, एक एपिसोड में तो सिद्धार्थ ने एक महिला प्रतिस्पर्धी को घायल तक कर दिया था. उनकी भाषा गंदी थी और कई बार उन्होंने ऐसे ताने भी मारे, जिनमें सेक्सुअल अंडरटोन थी. इनसे कई दूसरे प्रतिस्पर्धी असहज भी हुए.

किसी को लगेगा कि ऐसा करने के बाद उन्हें शो बनाने वालों से झिड़की मिली होगी. लेकिन हम सभी जानते हैं कि आखिर में क्या हुआ. शुक्ला शो जीत गए और सलमान खान ने शुक्ला के खिलाफ शिकायत करने वाली प्रतिस्पर्धी को बुरे तरीके से डपट दिया. सलमान ने कहा, "अगर तुमको लगता है कि उसके मुंह से सिर्फ घटिया बातें ही निकलती हैं, तो तुम उसके पास क्यों जाती हो? उससे दूरी न बना पाना तुम्हारी गलती है."

हमें तय करनी होगी हद

उत्पीड़न झेलने वालों के साथ ऐसा व्यवहार शो को चलाने वालों की मानसिकता दिखाता है, जिसके मुताबिक फेमिनिज्म का असली मतलब महिला के फैसलों, भाषा और उसकी हद की पितृसत्तात्मक निगरानी है. #MeToo से फिल्म इंडस्ट्री के बारे में होने वाले खुलासे और गलत व्यवहार पर नियमित चर्चा होती है. इसके बावजूद ऐसा महसूस होता है कि एंडेमोल शाइन और कलर्स टीवी बिग बॉस के घर में महिलाओं के लिए कर्फ्यू लगाने से सिर्फ दो सेकेंड की दूरी पर हैं.

महिलाओं का सम्मान ना करने वाले पुरुषों से कड़े सवाल पूछने और उनके खिलाफ कड़े नियम बनाने के बजाए, शो को बनाने वाले और इसके होस्ट लगातार महिलाओं से पूछते रहते हैं "तुमने उसको नजरअंदाज क्यों नहीं किया?" या "तुमने फलां वक्त पर, फलां जगह शिकायत दर्ज क्यों नहीं कराई."

बिग बॉस की एक अनिच्छुक दर्शक होने के नाते, मेरे लिए दूसरी बार किसी पीड़िता के साथ होने वाला दुर्व्यवहार देखना कोई मनोरंजन की चीज नहीं है. बल्कि फेमिनिस्ट पॉलिटिक्स का पूरे देश के सामने इस तरीके से ध्वंस होता देखना बेहद क्रूर है. सलमान खान जहां नारी समर्थक होने का चोला पहनने की कोशिश करते हैं, हमें अब हद तय करनी होगी. आखिर कभी-कभार सामने आने वाले अपवाद और विडंबनाएं कितनी बार दोहराई जा सकती हैं, इसकी भी एक सीमा होनी चाहिए.

(तनुश्री भसिन दिल्ली में रहने वाली एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. यह एक ओपिनियन है, यहां लिखे गए विचार लेखक के अपने हैं. द क्विंट का इनसे सहमत होना जरूरी नहीं है और ना ही हम इसके लिए जिम्मेदार हैं.)

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