मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019BJP-सरकार-पत्रकार: संबित पात्रा के ‘फूलकिट’ में कौन-कौन शामिल?

BJP-सरकार-पत्रकार: संबित पात्रा के ‘फूलकिट’ में कौन-कौन शामिल?

पात्रा का ''झूठ'' पकड़े जाने के बाद पार्टी और सरकार का एक्शन तय करेगा उन्हें पब्लिक की परवाह है या नहीं?

संतोष कुमार
नजरिया
Updated:
‘कांग्रेस टूलकिट’ वाले संबित पात्रा के ट्वीट को ट्विटर ने बताया मैन्यूपुलेटेड मीडिया
i
‘कांग्रेस टूलकिट’ वाले संबित पात्रा के ट्वीट को ट्विटर ने बताया मैन्यूपुलेटेड मीडिया
(फोटो: Altered by Quint)

advertisement

देश के चुनिंदा चैनलों पर रोज के नित्य कर्म की तरह आने वाला एक शख्स, ऐसे जैसे कोई अपने घर आता हो. हर मुद्दे पर कुछ न कुछ राय और डेटा बैंक रखने वाला शख्स. देश की सत्ताधारी पार्टी का मीडिया में चेहरा बन चुका शख्स. यत्र तत्र सर्वत्र संबित पात्रा. संबित पात्रा ने अपने एक टूलकिट, बल्कि कहिए ‘फूलकिट’ से पार्टी से लेकर पार्टी का प्रचार यंत्र बन चुके चैनलों को शर्मिंदगी भरी स्थिति में खड़ा कर दिया है. अब इन चैनलों और पार्टी का एक्शन बता रहा है कि वो भी इस टूलकिट का हिस्सा थे या फिर झांसे में आ गए?

टूलकिट से फूलकिट तक

संबित पात्रा ने 18 मई को एक टूलकिट ट्वीट किया और दावा किया कि ये कांग्रेस ने बनाया है. संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि इस टूलकिट के जरिए कांग्रेस कोरोना पर पीएम मोदी और देश को बदनाम करना चाहती थी. इस ‘पर्दाफाश’ के बाद जैसे देश में भूचाल आ गया. संबित पात्रा के इस ट्वीट को केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, स्मृति ईरानी, पीयूष गोयल, राज्यवर्धन राठौर, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आगे बढ़ाया.

‘गोदी विधान’ के आर्टिकल 19(1)(a) में दी गई कुछ भी बोलने की आजादी का इस्तेमाल करते हुए चैनलों ने बोलना शुरू कर दिया. किसी ने कांग्रेस को ‘गिद्ध’ कहा तो किसी ने ‘टूलकिट गैंग’. इस विधान के आर्टिकल 19(2) में अधिकारों को लिमिट करने का कोई प्रावधान नहीं है, सो इन्होंने एक राजनीतिक पार्टी के प्रवक्ता के दावे को ‘ब्रह्म वाक्य’ मान लिया.

चंद घंटों बाद पात्रा के ट्वीट को ट्विटर ने मैनिपुलेटेड लेबल कर दिया है, यानी ये झूठा हो सकता है.

(स्क्रीनशॉट: ट्विटर)

पब्लिक क्या सोचती है फर्क नहीं पड़ता?

जिस किसी को लग रहा था कि पात्रा ने पार्टी को पानी-पानी कर दिया है और अब एक्शन होगा, कम से कम एक चैनल की तर्ज पर 15 दिन ऑफ एयर किए जाएंगे, उनका भ्रम भी टूट गया. आधिकारिक कुछ नहीं कहा गया, सूत्रों के हवाले से खबर चली कि सरकार ने ट्विटर से मैनिपुलेटेड का लेबल हटाने को कहा है. कहा है कि आप कैसे ये लेबल लगा सकते हो, आप कोई जांच एजेंसी नहीं हो.

जिस किसी को लग रहा था कि जिस पात्रा के कारण चैनलों की साख पर बट्टा लगा, वो उनसे कुछ दिन परहेज करेंगे तो वो भ्रम भी टूटा. पात्रा के ट्वीट को ‘अटल सत्य’ मानकर जो चैनल “कांग्रेस पार्टी टूलकिट गैंग है” और “देश को अपमानित कर रही कांग्रेस” जैसी हेडलाइन चला रहे थे, उन्होंने पात्रा और बीजेपी के झूठ पर ट्विटर की सर्जिकल स्ट्राइक पर हेडलाइन बनाई- “टूलकिट के पीछे क्या है?”

शाम की महफिल फिर सजी. पात्रा भी विराजे. आरोप लगाया- “ट्विटर तो प्रो लेफ्ट-कांग्रेस-इस्लामिस्ट है.” यानी जिस प्लेटफॉर्म पर सारी दुकान चलती है उसकी फीकी हो गई पकवान. प्रोग्राम का अंजाम कुछ यूं हुआ- “आपदा की इस घड़ी में विपक्ष को भ्रम और पैनिक फैलाने से बचना चाहिए.”

अब पार्टी के ‘श्रीमुख’ के खिलाफ पार्टी की सरकार जांच करेगी. देश विश्वसनीय निष्कर्ष पर पहुंचेगा.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

पार्टी, पत्रकार और सरकार की तरफ से खुला ऐलान है- पब्लिक क्या सोचती है, उससे धेला नहीं फर्क पड़ता. जिसकी लाठी-उसकी भैंस है और मेरी भैंस को अंडा किसने मारा की तर्ज पर सवालों को लेंगे और आगे बढ़ जाएंगे. जिन मंत्रियों ने ये ट्वीट बढ़ाया वो सफाई नहीं देंगे. जिसने ये सब शुरू किया वो पात्रा वैसे ही पार्टी का प्रतिनिधित्व करते रहेंगे.

कमजोर मेमोरी की ‘महामारी’ वाले देश को शायद याद न हो कि इसी साल जनवरी में ट्विटर पात्रा के एक ट्वीट को मैनिपुलेटेड मीडिया लेबल कर चुका है. तब पात्रा ने एक वीडियो ट्वीट किया था जिसमें कथित तौर पर केजरीवाल कृषि कानूनों की तारीफ कर रहे थे. बीजेपी आईटी सेल के मुखिया के ट्वीट पर भी ये लेबल लग चुका है. क्या बदला?

आम आदमी भरोसा करे तो किसपर जब,

  • केंद्र सरकार के मंत्रियों के ट्वीट में तथ्यों के गड्डमड्ड होने का डर पैदा हो जाए.

  • ‘हम सदैव सच के साथ’ बोलकर दिन रात छाती पीटने वाले चैनल झूठ को बढ़ावा देने का जरिया बन जाएं.

  • सत्ताधारी पार्टी के प्रवक्ता पर प्रपंची होने का लांछन लग जाए.

  • और इन प्रपंचों को प्लेटफॉर्म देने वाला ट्विटर एक लेबल लगाकर आगे बढ़ जाए और जिससे उसके खुद के 'मैनिपुलेटेड' होने का शक पैदा हो जाए.

जब ये सब होने लगे तो मन में सवाल उठता है कि कहीं ये सारे एक बड़े टूलकिट के पुर्जे तो नहीं?

ये है असली टूलकिट?

आज का फर्जी टॉकिंग प्वाइंट ईजाद कीजिए और फिर लाव लस्कर और कुनबे के साथ जुट जाइए. मरती खपती तड़तपी जनता के असली मुद्दों को गंगा जी में बहा आइए और टीवी की चोर खिड़कियों में बैठकर- बिठवा कर, ट्विटर पर चिड़िया उड़ाकर, कोरोना की प्रलयंकारी दूसरी लहर में चर्चा कीजिए-मोदी के खिलाफ साजिश पर. बिहार में बाढ़ और चुनाव से पहले सुशांत और रिया पर चर्चा का टूलकिट हम देख चुके हैं. पड़ोसी देश को हमारे जीवन का सबसे बड़ा मुद्दा बनाने का टूलकिट हम देख चुके हैं. इन टूलकिटों ने भी ऑक्सीजन सोखा है. इन्होंने भी वेंटिलेटर गायब किए हैं. इनके कारण भी गंगा जी रोई हैं.

गंगा जी में बहते शवों की गंगोत्री कोई टूलकिट नहीं. रोज लाखों नए केस, हजारों मौतें. ऑक्सीजन, दवा, वैक्सीन पर सरकार और सरकार के सिरमौर नाकाम हुए हैं, इसका प्रचार करने के लिए आज क्या वाकई किसी टूलकिट की जरूरत है? मेरठ के गगोल गांव में 30 दिन में 30 मौतें. जौनपुर के पिलकिछा गांव में 31 अर्थियां उठीं. इन गांवों में बच गए लोगों को भड़काने के लिए किसी टूलकिट की जरूरत है? हत्यारे कोरोना से 'सिस्टम' ने साठगांठ कर ली है, इसका पर्दाफाश करने के लिए किसी टूलकिट की जरूरत नहीं.

पात्रा का कांग्रेस वाला टूलकिट फेक है या नहीं आप जांच कर लीजिए. लेकिन आपका 'फूलकिट' फेल हो रहा है. सोशल मीडिया के बबल से बाहर निकलिए तो पता चलेगा मूड. नहीं तो वहीं आंखों से पट्टी हटाइए. किसी वीडियो, किसी पोस्ट, किसी ट्वीट पर प्रतिक्रिया पढ़िए, मोहभंग के सबूत मिल जाएंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 21 May 2021,11:24 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT