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शेन वॉर्न (Shane Warne Dies) ने जब क्रिकेट के मैदान में एंट्री की तो उस दौर में कोई लेग स्पिन गेंदबाजी करना नहीं चाहता था क्योंकि वो तो तेज गेंदबाजों का दौर था. वॉर्न ने ना सिर्फ लेग स्पिन कला को फिर से जिंदा किया बल्कि इस हुनर को इतना प्रभावशाली बना डाला कि 20 ओवर की आधुनिक क्रिकेट में चैंपियन टीमें दो-दो लेग स्पिनर भी टीम में रखने से नहीं चूकती हैं. यही वॉर्न की सबसे बड़ी विरासत है.
शेन वॉर्न ने अपने अंदर की विलक्षण प्रतिभा को बिलकुल सही तरीके से आंक लिया था और उन्हें इस बात का पूरा भरोसा था कि महानता से उनकी मुलाकात होनी ही है. बावजूद इसके उन्होंने अपने पूरे करियर में मेहनत से समझौता नहीं किया.
दरअसल, सिर्फ और सिर्फ अपनी काबिलियत से उन्होंने लेग स्पिन को पहचान दी. अमूमन इसका उल्टा होता है जब किसी खेल या हुनर के चलते किसी खिलाड़ी की पहचान बनती है.
वॉर्न के मित्र और मशहूर क्रिकेट कॉमेंटेटर मार्क निकलस ने कुछ साल पहले वॉर्न की आत्म-कथा लिखी है. महिलाओं के साथ वॉर्न के दिलचस्प संबंध के इतिहास को देखते हुए उन्होंने एक शानदार बात लिखी है. निकलस का कहना है महिलाएं जहां वॉर्न के लिए मनोरंजन की वजह हुआ करती थी तो उनके लिए परेशानी का सबब भी.
लेकिन, अगर वॉर्न को किसी एक चीज ने संतुष्ट किया तो वो सिर्फ क्रिकेट से उनका रिश्ता था. वॉर्न हर मायने में एक महान क्रिकेटर थे जिन्होंने इस खेल के पहलू को हर फॉर्मेट को अपने खास अंदाज में छुआ.
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