मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019यूपी चुनाव में इस बार कुछ चीजें नॉर्मल नहीं मालूम पड़ रही हैं

यूपी चुनाव में इस बार कुछ चीजें नॉर्मल नहीं मालूम पड़ रही हैं

हिंदी पट्टी की समाजवादी पार्टियों की लड़ाई की स्क्रिप्ट ऐसी नहीं होती!

संजय पुगलिया
नजरिया
Published:


(फोटो: <b>The Quint</b>)
i
(फोटो: The Quint)
null

advertisement

यूपी चुनाव में कुछ ऐसा हो रहा है, जो सामान्य नहीं है. सामान्य ये होता है कि दिल्ली में बैठी सरकार राज्य के सत्तारूढ़ दल पर हमला बोलती है. वो जिसको अपना मुख्य विरोधी मानती है, उस पर गहरे और गंभीर आरोप लगाती है. इनकम टैक्स और सीबीआई के छापे पड़ते हैं. जब कांग्रेस दिल्ली में राज करती थी, तब भी ये होता था. ठीक विधानसभा चुनावों के पहले कम से कम विरोधी पार्टियों से जुड़े लोगों, व्यापारियों, बिल्डरों पर इनकम टैक्स छापे एक रुटीन खेल रहा है.

अभी क्या हो रहा है- सीबीआई ममता बनर्जी के सांसदों को गिरफ्तार कर रही है, जयललिता के निधन के बाद चेन्नई में चीफ सेक्रेटरी धरे जा रहे हैं. इनकम टैक्स ने भी कार्रवाइयां की हैं. दिल्ली सरकार के खिलाफ एक के बाद एक ऐक्शन की खबरें आती रहती हैं. चीफ सेक्रेटरी राजिंदर कुमार भी जेल में हैं. मायावती के खि‍लाफ पुराने इनकम टैक्स खोले गए हैं और नोटबंदी के दौरान 104 करोड़ रुपये जमा करने की भी जांच हो रही है.

लेकिन यूपी में समाजवादी पार्टी के खि‍लाफ कोई ऐक्शन नहीं दिख रहा. न नए आरोप लग रहे हैं, न पुराने केस खोलने की मांग हो रही है. बैंक में पैसे तो सपा ने भी जमा किए होंगे, पर मायावती की जांच करने वाली एजेंसियां सपा की तरफ नजर नहीं डाल रहीं.

बीजेपी नेताओं के सपा विरोधी बयान रस्मी हैं. सपा के खि‍लाफ न जहर, न कालिख और न स्टिंग! दरअसल, कई बीजेपी नेता प्राइवट में ये कहते मिलेंगे कि अखिलेश कमाल की पॉलिटिक्स खेल रहे हैं. पिता और चाचा से लड़कर उन्होंने खुद को एंटी इनकम्बेन्सी से मुक्त कर लिया है और कौन जाने कि वो ये चुनाव जीत भी जाएं.

दूसरा असामान्य नजारा है- मुलायम सिंह यादव और बेटे अखिलेश का दंगल. टीवी सोप जैसा. हिंदी पट्टी की समाजवादी पार्टियों की लड़ाई की स्क्रिप्ट ऐसी नहीं होती. उसमें चीजें बेकाबू होती हैं, तू-तू, मैं-मैं बेहद कड़वी और हमले बेलगाम होते हैं. इस बार तो इनका टूटना, मिलना, बर्खास्‍तगी और फिर बर्खास्‍तगी का रद्द होना. कुछ कहते हैं कि अखिलेश ने कमाल की चालाकी दिखाई है. एंटी इनकम्बेन्सी मूड को खत्म कर दिया. देखिएगा वो राष्ट्रीय नेता बनेंगे. चुनाव के ठीक पहले हारते हुए खेल यूं नहीं बदला करते. और अगर ऐसा होता है, तो बिहार और यूपी के आम वोटर की तुलना के लिए नए शोध करने होंगे कि दोनों प्रदेशों में वोटर के लिए कॉमन सेंस अलग-अलग क्यों और कैसे है.

चुनाव के पंडित लोग अब दो गणित बता रहे हैं. एक है लड़ाई बीजेपी और सपा में है, इसलिए सपा टूटी, तो बीजेपी को कम वोट शेयर पर भी जीत हाथ लग सकती है. दूसरा गणित है कि सपा का एकजुट रहना बीजेपी के लिए जरूरी है, ताकि मुस्लिम वोटर एकमुश्त सपा की तरफ आ जाएं.

सपा के टूटने पर वो मायावती के पास जा सकते हैं और ऐसे में बीएसपी जीत के करीब आ सकती है. ऐसा आकलन करने वाले मान कर चल रहे हैं कि‍ बीजेपी 2012 के तीसरे स्थान से अब लड़ाई में आ गई है और सारे मुस्लिम वोट एकजुट रहें, तो भी एंटी इनकम्बेन्सी के चलते सपा नहीं जीतेगी और यूपी में बीजेपी सत्ता में आ जाएगी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ऐसा मानने वाले समझते हैं कि मायावती तीसरे नम्बर पर हैं. लेकिन बीजेपी की भाषा और मायावती पर हमले पर गौर करें, तो ये पता चलता है कि बीजेपी कहे कुछ भी, लेकिन वो मायावती को गम्भीर चुनौती मानती है. वो शायद ये मानकर तैयारी भी कर रही है कि‍ मुकाबला बीएसपी और बीजेपी में ही हो. एक ओपिनियन पोल में बीएसपी और सपा के बराबर वोट शेयर भी इसी तरफ इशारा कर रहे हैं.

इसी संदर्भ में, सपा की आपसी लड़ाई बेहद नियंत्रित और स्क्रिप्टेड लगती है. ऐसा कैसे हो सकता है कि ठीक चुनाव के पहले एक पार्टी युद्ध ध्वस्त हो, टूटने पर उतारू हो और फिर भी वोटर उस पर फि‍दा हो, क्योंकि स्क्रिप्ट राइटर ऐसा चाहते हैं.

क्या वास्तव में ऐसा है कि अखिलेश- लिमिटेड एडिशन ने कमाल का विकास किया और वो हमें दिख नहीं रहा? और फिर अचानक अमर सिंह को जेड कैटेगरी सुरक्षा कैसे मिल गई, उसी एनडीए सरकार से, जिसने ये सुरक्षा पहले हटाई थी.

अखिलेश भी अमर सिंह को झगड़े की जड़ बताते हैं और मुलायम खुलेआम बताते हैं कि अमर सिंह न होते, तो वे जेल में होते. यानी कुछ राज हैं, जो अभी समझ में नहीं आ रहे, वरना सेल्फ डिस्ट्रक्शन का ऐसा कोई और उदाहरण हो तो बताइए.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT