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Srinagar G20 Meet: 1 हफ्ते में 5 घटनाएं दिखाती हैं कि सुरक्षा की स्थिति नाजुक है

Srinagar G20 Meet| G-20 बैठक से पहले सुरक्षा इंतजाम चाक-चौबंद हैं, लेकिन घाटी में मुठभेड़, आतंकी गतिविधियां जारी हैं

शाकिर मीर
नजरिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>Srinagar G20 Meet</p></div>
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Srinagar G20 Meet

(फोटो: चेतन भखूनी/ द क्विंट)

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इस महीने श्रीनगर में होने वाली जी20 पर्यटन बैठक (Srinagar G20 Meet) की तैयारियों के बीच सुरक्षा अभियान तेज हैं, लेकिन इसके बावजूद जम्मू-कश्मीर में पिछले एक हफ्ते में गोलीबारी की चार घटनाएं सामने आई हैं.

उच्च स्तरीय बैठक के दौरान विदेशी राजनयिक घाटी में घूमेंगे, इसलिए प्रशासन पूरी तैयारी कर रहा है कि ये इवेंट शांतिपूर्वक बीत जाए.

इस बैठक के लिए, श्रीनगर शहर को 321 करोड़ रुपये की बड़ी रकम भी मिल रही है, जिसमें नए टाइल वाले फुटपाथ बिछाए जा रहे हैं, सड़कों पर ब्लैक-टॉप किया गया है और नए लैंडमार्क बनाए गए हैं.

लेकिन उग्रवादी गतिविधियों में अचानक तेजी आई है. हाल ही में हुए चार मुठभेड़ और एक हमले के बाद ऐसा लग रहा है कि इस इवेंट को लेकर जोश में खलल पड़ा है. इस बात की चिंता पैदा हो गई है कि इस बड़े इवेंट के मौके पर उग्रवादी कोई व्यवधान न पैदा करें.

  • श्रीनगर में होने वाले G20 पर्यटन बैठक की तैयारियों के बीच सुरक्षा अभियान तेज है, इसके बावजूद पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर में चार बार मुठभेड़ की खबरें सामने आईं.

  • जब भारतीय और पाकिस्तानी विदेश मंत्री गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में मुलाकात कर रहे थे, जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के करीब राजौरी के घने जंगलों में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ चल रही थी, जिसमें 5 जवानों की मौत हो गई.

  • राजौरी हमले में संभावना है कि आतंकवादियों ने उनकी उपस्थिति के बारे में सूचित करने वाले बड़े और असंगठित मानव खुफिया नेटवर्क में हेरफेर की, जिससे संदिग्ध सूचना मिली.

  • इस बीच, श्रीनगर में पुलिस और सुरक्षाबलों ने जी20 पर्यटन सम्मेलन से पहले सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है. पुलिस सूत्रों ने कहा कि वे वाहन आधारित इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज (VBIED) और आतंकवादी खतरों के अन्य तरीकों पर विशेष नजर रख रहे हैं.

राजौरी हमले ने हैरान किया

गोवा में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में जब भारतीय और पाकिस्तानी विदेश मंत्री कैमरों के सामने मुस्कुरा रहे थे, तब जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के करीब राजौरी के घने जंगलों वाले कंडे इलाके में बड़ी गोलीबारी चल रही थी, जिसमें सेना के पांच जवान शहीद हो गए.

सेना ने एक बयान में कहा कि वे इस इलाके में आतंकवादियों की उपस्थिति को खत्म करने के लिए एक खुफिया-आधारित अभियान चला रहे थे. माना जा रहा है कि ये वही आतंकी हैं जो पिछले महीने 20 अप्रैल को पुंछ में पांच आरआर कर्मियों की मौत के लिए जिम्मेदार थे. उस उग्रवादी हमले के दौरान सेना के एक ट्रक में आग लग गई थी.

शुक्रवार को, जब सेना उस इलाके में जा रही थी, जहां उन्हें आतंकवादियों के छिपे होने का शक था, एक विस्फोटक फट गया, जिससे पांच सैनिकों की मौत हो गई और चार घायल हो गए.

जैश-ए-मोहम्मद से संबंधित पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (PAFF) ने शुक्रवार के हमले की जिम्मेदारी ली, उन्होंने एक रिलीज जारी की जिसमें घमंड भरे अंदाज में भारतीय सेना की इकाइयों को गर्व के साथ ऑपरेशन स्थल पर बुलाने की कोशिश की गई.

"आप हमपर घात लगाकर हमला करने की कोशिश करते हैं... हम आपको मारते हैं, हम जीतते हैं... दुनिया जानती है कि हम यहीं हैं." रिलीज में और हमलों की चेतावनी भी दी गई है.

सेना के मुताबिक, कंडी एनकाउंटर शुक्रवार सुबह 7:30 बजे शुरू किया गया था, लेकिन चूंकि बड़े विस्फोट के बाद जवानों के शहीद होने की संभावना हो गई थी और जैसे-जैसे गोलीबारी और तेज होती गई, बलों ने अतिरिक्त सैनिकों को इलाके में भेज दिया. इलाके में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गईं और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी उसी दिन क्षेत्र का दौरा किया था.

राजौरी हमले में, आतंकवादियों के उस इलाके में छिपे होने की खबर को लेकर भी सुरक्षा एजेंसिया अब चौकस हैं. जांचकर्ता अब कह रहे हैं कि वे उस स्रोत के पिछले इतिहास की भी जांच कर रहे हैं जिसने घटना से संबंधित जानकारी दी थी.

गोवा SCO बैठक पर आतंकवाद का असर 

गोवा में SCO की बैठक से पहले, राजौरी में ऐसी घटनाओं का साया मंडरा रहा था और तनाव काफी हद तक स्पष्ट था. विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष की मुलाकात में भी ये चीज साफ दिखाई दी.

कार्यक्रम स्थल पर भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने एक-दूसरे का अभिवादन किया, लेकिन हाथ मिलाने के लिए नहीं रुके.

जयशंकर ने कुछ मिनट बाद कहा, "जब दुनिया कोविड-19 और इसके परिणाम झेल रही थी, तब भी आतंकवाद का खतरा बेरोक-टोक जारी था." उन्होंने आगे कहा, “इससे आंखें हटाना हमारे सुरक्षा हितों के लिए खतरनाक होगा. हमारा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद का कोई औचित्य नहीं हो सकता. इसे सीमा पार आतंकवाद सहित सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में रोका जाना चाहिए."

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36 घंटे में तीसरा बड़ा ऑपरेशन

राजौरी गोलीबारी 36 घंटे के भीतर तीसरी बड़ी मुठभेड़ थी. इससे पहले उत्तरी कश्मीर में बारामूला जिले के क्रीरी इलाके में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराया था. पुलिस ने आतंकवादियों की पहचान 23 वर्षीय शाकिर माजिद नजर और 16 वर्षीय हसन अहमद सेह के रूप में की है. दोनों दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के रहने वाले थे. ये आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और पिछले महीने संगठन में शामिल हुए थे.

पुलिस सूत्रों ने कहा कि फैसल कुलगाम का 17 वर्षीय दानिश अमीन तांत्रे अभी फरार है. इस बात की आशंका है कि वो भी नजर और सेह के समय ही आतंकवादी रैंकों में शामिल हुआ था.

शनिवार को, जम्मू-कश्मीर में बारामूला में चौथी मुठभेड़ हुई जिसमें लश्कर से जुड़े कुलगाम के बाबापोरा के आबिद वानी को मार गिराया गया. नियंत्रण रेखा के पास कुपवाड़ा जिले के माछिल इलाके में बुधवार को सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराया.

श्रीनगर स्थित चाइना कॉर्प्स के पीआरओ एमरॉन कर्नल मुसावी ने कहा, “3 मई की सुबह लगभग 8.30 बजे, सैनिकों ने एलओसी पर घुसपैठ कर रहे आतंकवादियों को देखा. इसके बाद भारी गोलीबारी हुई, जिसमें आतंकवादी मारे गए." उन्होंने कहा कि सैनिक हाई अलर्ट पर थे और 1 मई को घुसपैठ रोधी ग्रिड सक्रिय हो गया था.

हालांकि, जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्रों ने द क्विंट को बताया कि सुरक्षा बलों से मुठभेड़ के दौरान आतंकियों की वास्तविक संख्या पांच थी, जिनमें से दो गोलीबारी के दौरान मारे गए और तीन के फरार होने की आशंका जताई जा रही है.

एक और घटना में, आतंकवादियों ने गुरुवार को दक्षिण कश्मीर के बिजबेहरा शहर में एक गश्ती पुलिस पिकेट पर गोलीबारी की. आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि मोहम्मद रमजान नाम के एक पुलिसकर्मी के दाहिने पैर में चोट लगी है, लेकिन वे खतरे से बाहर बताए जा रहा हैं.

एक्सपर्ट्स एक सही योजना की ओर इशारा कर रहे

राजौरी हमला 20 अप्रैल को पुंछ जिले के पास इसी तरह के हमले के बाद हुआ है जिसमें पांच राष्ट्रीय राइफल सैनिकों की मौत हो गई थी.

विशेषज्ञों और पर्यवेक्षकों ने कहा कि राजौरी-पुंछ बेल्ट में बार-बार होने वाली उग्रवादी गतिविधियां सोची समझी साजिश का हिस्सा लगती हैं. जम्मू स्थित संपादक और राजनीतिक विश्लेषक जफर चौधरी ने लिखा, "राजौरी-पुंछ स्पष्ट टारगेट है." उन्होंने कहा, "ये यहां मुठभेड़ या वहां घात लगाकर हमला करने की बात नहीं है. हमले के लिए सावधानी से तैयार किए गए इस डिजाइन को फेल करने के लिए बहुत गहरी, दीर्घकालिक सोच, मजबूत स्टेट-सोसायटी रिश्ता और आपसी विश्वास की जरूरत है."

रक्षा विश्लेषकों का मानना ​​है कि कश्मीर में उग्रवादी स्थिति पर बहुत कड़े नियंत्रण ने जम्मू इलाके में एक झटका दिया है. नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट के कार्यकारी निदेशक अजय साहनी ने द क्विंट को बताया कि, "कश्मीर में सेना की तरफ से बनाए गए दबाव के कारण जम्मू में आतंकवादी सक्रिय हैं, पहले ये केवल क्रॉसओवर और घुसपैठ मार्ग के रूप में इस्तेमाल किया जाता था."

"उनके पास आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने या वहां एक आतंकवादी नेटवर्क स्थापित करने के लिए पर्याप्त मौके नहीं थे. अब वे व्यक्तिगत घटनाओं के लिए परिस्थितियां बनाने में कामयाब हो रहे हैं. यह स्वाभाविक है. जब आप उन्हें एक जगह दबाते हैं तो वे दूसरी जगह से बाहर निकल आते हैं."

साहनी ने कहा कि आतंकवादी उम्मीद करते हैं कि सुरक्षा बल कभी-कभी उन जगहों पर उतने मुस्तैद या कठोर नहीं रहेंगे जो लंबे समय तक शांतिपूर्ण रहे हैं. "ये असुरक्षा पैदा करता है. इसके अलावा इन इलाकों में घने जंगल हैं. इसलिए कभी-कभार घटनाएं होंगी."

श्रीनगर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम

इस बीच, श्रीनगर में पुलिस और सुरक्षाबलों ने जी20 पर्यटन सम्मेलन से पहले सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है. पुलिस सूत्रों ने कहा कि वे वाहन आधारित इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज (VBIED) और फिदायीन हमलों सहित आतंकवादी खतरों के अन्य तरीकों पर विशेष नजर रख रहे हैं.

स्पेशलाइज्ड नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (NSGs) की टीमें जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक काउंटर टेररिज्म यूनिट 'स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप' के साथ मिलकर काम करेंगी, जिसे सभी जगहों पर तैनात किया जा रहा है.

लगभग 500 पुलिस कर्मियों को 'सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनिंग' के लिए जम्मू के उधमपुर भेजा गया था, क्योंकि ये उन प्रतिनिधियों के साथ तैनात रहेंगे, जिन्हें बारामूला, दाचीगाम नेशनल पार्क और गुलमर्ग में पर्यटन स्थलों पर ले जाया जाएगा.

बुधवार को, केंद्र सरकार ने कश्मीर में तैनात सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 45 के तहत गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है. अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में पहले विशेष सुरक्षा लागू नहीं थी.

इन उपायों के साथ कानून प्रवर्तन एजेंसियां एक के बाद एक छापे मार रही हैं. हाल ही में NIA ने पूरे कश्मीर में 28 स्थानों पर दो अलग-अलग छापे मारे हैं.

(शाकिर मीर एक स्वतंत्र पत्रकार हैं. उन्होंने द वायर, आर्टिकल 14, कारवां, फर्स्टपोस्ट, टाइम्स ऑफ इंडिया आदि के लिए भी लिखा है. उनका ट्विटर हैंडल @shakirmir है. यह एक ओपिनियन पीस है और व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. द क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

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