मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019उम्मीद से धीमे हो रहा आर्थिक विकास, अगला साल भी चुनौतियों से भरपूर

उम्मीद से धीमे हो रहा आर्थिक विकास, अगला साल भी चुनौतियों से भरपूर

भारतीय अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष में अनुमान से काफी कम प्रगति की.

टीना एडविन
नजरिया
Published:
भारतीय अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष में अनुमान से काफी कम प्रगति की. (फोटो: iStock)
i
भारतीय अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष में अनुमान से काफी कम प्रगति की. (फोटो: iStock)
null

advertisement

  • ताजा इकॉनॉमिक सर्वे में सरकार ने 2015-16 के लिए जीडीपी विकास दर का अनुमान 8.1-8.5% से घटाकर 7-7.5% कर दिया है.
  • बजट में अनुमान लगाया गया था कि नॉमिनल विकास दर 11.5% तक बढ़ सकती है, लेकिन नए अनुमान के मुताबिक ये अब सिर्फ 8.2% पर रह सकता है.
  • महंगाई भारतीय रिजर्व बैंक के लक्ष्य के भीतर, लगभग 6% तक, रहने की उम्मीद है
  • तेल की कम कीमतों ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक गति बनाए रखने में मदद की, लेकिन शायद अगले साल ऐसा देखने को न मिले; 2016-17 में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में ज्यादा बढ़ोतरी होने की उम्मीद नहीं है
  • अगले वित्त वर्ष में निर्यात में बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि आईएमएफ ने अगले साल वैश्विक विकास की उम्मीद की है

केंद्र सरकार ने माना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष में अनुमान से काफी कम आर्थिक तरक्की की है. सिर्फ यही नहीं आशंका है कि अगले वित्त वर्ष में भी विकास की रफ्तार धीमी ही रह सकती है.

2015-16 के केंद्रीय बजट से पहले चालू वित्त वर्ष के लिए इकॉनॉमिक सर्वे के वास्तविक जीडीपी के अनुमान को 8.1-8.5% से घटाकर 7-7.5% कर दिया गया है.

विकास दर के पिछड़ने का कारण देश के अधिकांश इलाकों में सूखा और वैश्विक आर्थिक विकास दर में कमी को माना जा रहा है. इसके बावजूद भारत दुनियाभर में तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा.

नॉमिनल विकास दर के अनुमान में गिरावट

बीते शुक्रवार को पेश की गई अर्थव्यवस्था की मध्यावधि समीक्षा में नॉमिनल जीडीपी विकास दर, जोकि वर्तमान बाजार मूल्यों पर आधारित सारे आर्थिक कार्यों का योग होता है, के अनुमान को घटाकर 8.2% कर दिया गया है.

इससे पहले राजकोषीय घाटा और राजस्व वृद्धि को ध्यान में रखकर केंद्रीय बजट में नॉमिनल जीडीपी विकास दर के 11.5% रहने का अनुमान लगाया गया था. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि नॉमिनल जीडीपी का यह संशोधन राजकोषीय समेकन को प्रभावित नहीं करेगा.

सरकार ने इस साल पेट्रोल और डीजल पर टैक्स बढ़ाया है, जिसकी वजह से राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.9% से ज्यादा नहीं होगा. सरकार ने बजट में राजकोषीय घाटे का यही अनुमान लगाया था.

मध्यावधि समीक्षा के अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही की विकास दर पहली छमाही के मुकाबले बेहतर रही है. सुब्रमण्यन ने कहा कि वहीं पहली छमाही में नॉमिनल जीडीपी की विकास दर दूसरी छमाही के मुकाबले बेहतर रही है.

सस्ते तेल से आई विकास में तेजी

मुंबई में भारत पेट्रोलियम का एक फ्यूल पंप. कच्चे तेल की घटी कीमतों ने फ्यूल ग्रोथ में मदद की. (फोटो: रॉयटर्स)

वैश्विक स्तर कच्चे तेल की घटी कीमतों की वजह से चालू वित्त वर्ष में विकास को पर लगे. तेल की कीमतों के घटने के कारण अर्थव्यवस्था को 1-1.5 प्रतिशत तक का फायदा हुआ.

तेल की घटी कीमतों की वजह से उपभोक्ताओं के फ्यूल से जुड़े खर्चों में कमी आई, जिससे उन्हें अन्य वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च करने के लिए ज्यादा पैसे मिले.

कच्चे तेल की घटी कीमतों की वजह से सरकार को भी पेट्रोल और डीजल पर ज्यादा टैक्स लगाने की सहूलियत मिली, और इस तरह से उसे विभिन्न सेवाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स पर खर्च करने के लिए ज्यादा संसाधन जुटाने में मदद मिल गई.

इसी तरह सरकार के पेट्रोलियम सब्सिडी के खर्च में भी कमी आई, और बचे हुए पैसे का इस्तेमाल वह ज्यादा उत्पादक कार्यक्रमों में कर सकी. इस तरह से जो तरक्की हुई वह मुख्यत: निजी उपभोग और सार्वजनिक खर्चों के जरिए हुई.

अनुमान है कि सरकार खर्च की यह गति चालू वित्त वर्ष के अंत तक कायम रखेगी. आमतौर पर सरकारी राजस्व पर दबाव को देखते हुए चौथे क्वॉर्टर में सरकार अपने खर्चों में बेतहाशा कमी करती है. मुख्य आर्थिक सलाहकार के मुताबिक इस साल खर्चों में ऐसी कोई कटौती देखने को नहीं मिलेगी.

घरेलू उपभोग और सार्वजनिक व्यय के साथ-साथ कॉर्पोरेट व्यय या नए प्रॉजेक्ट्स में कंपनियों द्वारा किया गया इन्वेस्टमेंट भी निरंतर प्रगति के लिए आवश्यक है. इस मोर्चे पर कमी देखने को मिली है जिसका कारण या तो कंपनियों पर कर्जे का भारी बोझ या जहां यह समस्या नहीं है वहां ताजा निवेश के लिए जरूरी वातावरण का तैयार न हो पाना हो सकता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

निर्यात भी रहा एक कमजोर कड़ी

भारतीय अर्थवव्यस्था के विकास में निर्यात एक महत्वपूर्ण घटक है. सारी दुनिया आर्थिक मंदी से जूझ रही है, जिसका प्रभाव निर्यात पर भी पड़ा है, क्योंकि इससे कीमतें भी घट जाती हैं. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में निर्यात 17.4 प्रतिशत घटा है, और गैर-तेल निर्यात में भी 8.7 प्रतिशत की कमी आई है.

मध्यावधि समीक्षा के मुताबिक निर्यात में आई इस कमी की वजह से आर्थिक विकास पर पिछले वर्ष के मुकाबले एक अंक का घाटा हुआ है. निर्यात से जुड़ी एक अच्छी खबर यह है कि भारत के निर्माण एवं सेवा से जुड़े निर्यातों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा है.

बेहतर विकास दर की उम्मीद, पर जोखिम भी

विकास दर में बढ़ोतरी की उम्मीद है, लेकिन जोखिम भी कायम हैं. (फोटो: रॉयटर्स)

2016-17 में भारत के साथ-साथ दुनिया की विकास दर में भी तरक्की का अनुमान है. दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में अच्छी विकास दर भारतीय निर्यात के लिए भी अच्छी होती है.

सुब्रमण्यन को उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में भारत का निर्यात अच्छा रहेगा. हालांकि मुद्रास्फीति का अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल है. यह बहुत कुछ कमोडिटिज, मुख्यत: कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों पर निर्भर करेगा.

निर्मित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि मांग पर निर्भर करती है, और फिलहाल पूर्ति के मुकाबले मांग काफी कम है. तेल की कीमतों में कमी के बावजूद घरेलू उपभोग में बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली है.

यदि अगले साल तेल की कीमतों में और कमी नहीं होती है, तो इस साल विकास दर में जो बढ़ोतरी देखने को मिली है, वह अगले साल कम हो सकती है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT