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दिवाली के अगले दिन एक हैरान कर देने वाले फेरबदल में, ब्रिटेन के भारतीय मूल के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने अपनी विवादास्पद गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन (Suella Braverman) को बर्खास्त कर दिया. ब्रेवरमैन भी भारतीय मूल की थीं.
एक बेलगाम नेता के तौर पर जानी जाने वालीं ब्रेवरमैन ने बर्खास्त होने के बाद कहा, "गृह सचिव के रूप में सेवा करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य रहा है."
उन्होंने आगे कहा: "समय आने पर मुझे और भी बहुत कुछ कहना होगा."
ऐसा दूसरी बार हुआ है जब ब्रेवरमैन को एक साल से कुछ ज्यादा वक्त में उसी पद से दोबारा बाहर हटाया गया है. इससे पहले वो पूर्व प्रधान मंत्री लिज ट्रस की सरकार में भी गृह सचिव थीं. तब अपने बेहद छोटे कार्यकाल के अंदर अपने प्राइवेट ईमेल एड्रेस से एक सांसद को गोपनीय जानकारी भेजने के लिए, ब्रेवरमैन को गृह सचिव पद से हटाया गया था.
विपक्षी नेताओं ने ब्रेवरमैन की बर्खास्तगी पर तुरंत प्रतिक्रिया दी.
लेबर पार्टी के जेस फिलिप्स ने ब्रेवरमैन को "अपनी याददाश्त में सबसे खराब गृह सचिव" कहा.
लिबरल डेमोक्रेट नेता एड डेवी ने कहा, “सुएला ब्रेवरमैन कभी भी गृह सचिव बनने के लायक नहीं थीं. यह बात ऋषि सुनक को पता थी और उन्होंने फिर भी उन्हें नियुक्त कर दिया. यह प्रधान मंत्री की सरासर कायरता थी जिसने उन्हें इतने लंबे समय तक भी पद पर बनाए रखा."
दिन की दूसरी बड़ी घोषणा अंतरराष्ट्रीय मामलों और टोरी पार्टी के भीतर चल रही लड़ाई के बेहद महत्वपूर्ण समय में सुनक द्वारा पूर्व प्रधान मंत्री डेविड कैमरन को विदेश सचिव के रूप में लाना था.
अब इस कदम की विडंबना देखिए- जहां एक दक्षिणपंथी टोरी (कंजर्वेटिव पार्टी का सदस्य या समर्थक) ब्रैवरमैन को बर्खास्त कर दिया गया है, वहीं कैमरून को लाया गया है, जो एक वन नेशन सेंट्रिस्ट व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं.
इससे सवाल उठता है कि सुनक अब पार्टी में कहां खड़े हैं? क्या वह आर्थिक रूप से दक्षिणपंथी और सामाजिक रूप से रूढ़िवादी हैं? उनका संदेश एक सा नहीं रहा है. अत्यधिक अनुभवी कैमरन को लाकर उन्हें सरकारी प्रबंधन में अच्छे होने के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन क्या यह कदम अगले आम चुनाव में वोटों में तब्दील होगा? इसकी संभावना बहुत कम है.
जहां तक अत्यधिक विभाजनकारी ब्रेवरमैन का सवाल है, जिन्हें अक्सर "क्रुएला" कहा जाता है, गृह सचिव के रूप में उनका पूरा कार्यकाल विवादों से भरा रहा है, और उनके और 10 डाउनिंग स्ट्रीट (पीएम हाउस और कार्यालय) के बीच तनाव स्पष्ट रहा है.
कंजर्वेटिव सम्मेलन में ब्रेवरमैन ने लिबरल विचारधारा वाले लोगों की "लक्जरी मान्यताओं" पर हमला करते हुए एक उल्लेखनीय पॉपुलिस्ट भाषण दिया, जिसने लंदन असेंबली के एक टोरी मेंबर (कंजर्वेटिव पार्टी का सदस्य या समर्थक) को उनकी पार्टी को "ट्रांसफोबिक" दिखाने के लिए उन्हें घेरने के लिए प्रेरित किया. उनका भाषण गृह सचिव के भाषण से ज्यादा नेतृत्व का खेल था.
तनाव बढ़ रहा था. आखरी ट्रिगर ब्रेवरमैन द्वारा पिछले गुरुवार को टाइम्स के लिए लिखा गया एक अनधिकृत लेख था. इसमें ब्रेवरमैन ने दावा किया था कि एक धारणा है कि जब प्रदर्शनकारियों की बात आती है तो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भेदभाव करते है. और वह फिलिस्तीन समर्थकों की "भीड़" की तुलना में दक्षिणपंथी चरमपंथियों पर ज्यादा सख्त थे.
इस लेख में गाजा में युद्धविराम की मांग करने वाले प्रदर्शनों की तुलना उत्तरी आयरलैंड में मार्च से की गई है, जो मुख्य रूप से संघवादियों (unionists) द्वारा किया जाता है.
ब्रेवरमैन ने गाजा युद्धविराम की मांग करने वाले प्रदर्शनों को "हेट मार्च" करार दिया. इसके बाद 11 नवंबर को लंदन में सबसे बड़े विरोध मार्च हुआ जिसमें इजराइल-गाजा युद्ध में युद्धविराम की मांग की गई.
मार्च शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ, लेकिन धुर दक्षिणपंथी प्रति-प्रदर्शनकारियों ने उत्पात मचाया, जिसके कारण नौ पुलिस अधिकारी घायल हो गए और 145 गिरफ्तारियां की गईं. पुलिस और लेबर पार्टी द्वारा ब्रेवरमैन को तनाव भड़काने में मदद करने के लिए दोषी ठहराया गया था, जिसका नतीजा यह हुआ कि दूर-दराज के समूह सेनोटाफ के पास पुलिस से जूझ रहे थे.
रविवार को ब्रेवरमैन ने फिलिस्तीन समर्थक विशाल मार्च की अपनी आलोचना को दोगुना कर दिया, भले ही ज्यादातर गिरफ्तारियां दक्षिणपंथी लोगों के प्रति-विरोध से जुड़ी थीं. उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन, जिसमें पुलिस का अनुमान है कि 300,000 लोगों ने हिस्सा लिया था, इनमें "बीमारू, भड़काऊ और, कुछ मामलों में, स्पष्ट रूप से आपराधिक नारे, तख्तियां और सामान" देखा गया था.
लेबर पार्टी के नेता सर कीर स्टार्मर ने ब्रेवरमैन पर "नफरत के बीज" बोने का आरोप लगाया, जबकि लेबर के लंदन मेयर सादिक खान ने कहा कि हिंसा उनके शब्दों और व्यवहार का "सीधा नतीजा" थी.
ब्रेवरमैन के अपमानजनक व्यवहार की वजह से सुनक के पास कोई विकल्प नहीं बचा. साथ ही, बुधवार का दिन सरकार के लिए महत्वपूर्ण होगा जब सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा कि यूके में शरण चाहने वालों को रवांडा भेजने की उसकी योजना कानूनी है या नहीं.
सुनक ने खुद को बिना जीत वाली स्थिति में पाया होगा. अगर वह ब्रेवरमैन को पद पर बनाए रखते तो उन पर कमजोर होने का आरोप लगाया जाता. यह अन्य मंत्रियों को इसे ऐसा देखने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है कि यह एक संकेत है कि उन्हें पीएम कार्यालय से डरने की जरूरत नहीं है, और ब्रेवरमैन को शो चलाते हुए देखा जाएगा.
15 नवंबर को अगर रवांडा योजना को हरी झंडी नहीं मिलती है, तो पूरी संभावना है कि मानवाधिकारों के मामलों पर ब्रिटेन को यूरोपीय सम्मेलन से बाहर निकालने के लिए फिर से मांगें बढ़ेंगी, यह एक ऐसा कदम होगा जिसके लिए ब्रेवरमैन बतौर गृह सचिव जोर दे रहीं थी. लेकिन सुनक ने इसका विरोध किया था.
अब एक बैकबेंचर के रूप में ब्रेवरमैन इस मांग का नेतृत्व कर सकती हैं और बड़ी संख्या में दक्षिणपंथी सांसदों के बीच समर्थन पा सकती हैं, जो सोचते हैं कि 'स्टॉप द बोट बैटल्स' का नारा उनका सबसे अच्छा चुनावी दांव है.
लगातार नाफरमानी को पहले से ही ब्रेवरमैन को बाहर करने और सक्रिय रूप से बर्खास्त करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा था. वह अब हार के बाद की नेतृत्व प्रतियोगिता के लिए खुद को एक बदलाव के उम्मीदवार के रूप में पेश कर सकती हैं, जो सरकार के फैसलों से दागदार न हो.
ब्रेवरमैन की व्यक्तिगत भविष्य की योजनाओं से पार्टी के अंदर एक नया गृह युद्ध छिड़ने का जोखिम है. यह खतरनाक है कि बर्खास्त किए जाने पर उन्होंने कहा, ''आने वाले समय में मुझे और भी बहुत कुछ कहना होगा.''
यह कंजरवेटिव पार्टी की आत्मा की लड़ाई में बदल सकता है.
(नबनिता सरकार लंदन में स्थित एक वरिष्ठ पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @sircarnabanita है. यह एक ओपिनियन पीस है और ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट हिंदी का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है.)
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