advertisement
गुरुवार 1 फरवरी, 2018; वक्त : सुबह 11 बजकर 7 मिनट (विपक्ष के कुछ मिनट तक चले अनिवार्य हंगामे के बाद); भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा का दृश्य; नए भारत का जन्म हो चुका है; दाई की भूमिका निभाने वाले भारत के वित्त मंत्री का ऐतिहासिक भाषण शुरू होने ही वाला है.
मैडम स्पीकर, मैं वित्त वर्ष 2018-19 का केंद्रीय बजट पेश करने जा रहा हूं. अपने काबिल पूर्व वित्त मंत्रियों की तरह, मैं टैगोर या गालिब, इकबाल या सुब्रमण्यम भारती को उद्धृत नहीं करूंगा. बल्कि मैं तो...हनुमान जी मेरी मदद करें, ब्रिटेन के उस महान पॉप म्यूजिक ग्रुप द बीटल्स के “Nowhere Man” को उद्धृत करूंगा, जो मेरे कॉलेज के मस्ती भरे दौर में दिल्ली यूनिवर्सिटी में बेहद लोकप्रिय हुआ करता था:
“He's a real nowhere man
Sitting in his nowhere land
Making all his nowhere plans for nobody
Doesn't have a point of view”
इसका हिंदी में अनुवाद कुछ यूं है-
“वो वाकई ऐसा शख्स है जो कहीं नहीं है...
वो अपनी उस जमीन पर बैठा है, जिसका कोई वजूद नहीं है
वो ऐसी तमाम योजनाएं बना रहा है, जिनका कोई मकसद नहीं है
जिनका किसी से कोई लेना-देना नहीं है !”
बिल्कुल ऐसे ही विचार हमारे मन में तब आ रहे थे, जब हमने मई 2014 में बुरी तरह उलझी हुई, बेतरतीब और खराब मैनेजमेंट की शिकार भारतीय अर्थव्यवस्था की जिम्मेदारी संभाली थी.
वित्त मंत्री तेजी से अपनी बाईं ओर झुके और भाषण देना जारी रखा:
यहां मैं अपने प्रधानमंत्री से माफी मांगते हुए एक और गैर-संस्कारी उद्धरण का इस्तेमाल करना चाहता हूं. ये लाइन Tryst With Destiny यानी किस्मत से मुलाकात नाम के उस भुलाए जा चुके भाषण की है, जो 15 अगस्त 1947 को इसी ऐतिहासिक इमारत में एक ऐसे शख्स ने दिया था, जिसका नाम लेने का साहस अब किसी को नहीं करना चाहिए.
हां, आज मेरा इरादा एक ऐसा बजट भाषण देने का है, जो हमारी लंबे अरसे से दबी-कुचली अर्थव्यवस्था की आत्मा को आजादी दिला सके.
मुझे यकीन है कि मैं अब तक आपको इतना चौंका चुका हूं कि आप या तो श्रद्धा से अवाक हो गए होंगे या गुस्से से उबल रहे होंगे. लेकिन प्लीज, अपनी भावनाओं को संभालिए. आज मेरा इरादा हमारे 70 सालों के संचित आर्थिक '"ज्ञान" को पूरी तरह खारिज कर देने का है.
भाषण के इस मोड़ तक आते-आते सभी वित्त मंत्री आदतन पिछले साल घोषित नीतियों और कार्यक्रमों की उपलब्धियों और नतीजों का लंबा बखान शुरू कर देते हैं. मैं ऐसा नहीं करूंगा- एक तो, ऐसा कोई नतीजा शायद ही होता है, जिसका बखान किया जा सके; और दूसरे, मैं अपनी नीतियों की सबसे भयानक नाकामियों के बारे में बात करना चाहूंगा.
मेरा मानना है कि मेरी ये गद्दारी हमें पुरानी बुराइयों से मुक्त कराएगी; (फिर से अपनी बाईं ओर झुकते हुए) तभी हम उस न्यू इंडिया की शुरुआत कर सकेंगे- जिसकी चमक आप हमारे सम्मानित प्रधानमंत्री की आंखों में देख सकते हैं.
अब बात पैसों की सबसे शर्मनाक बर्बादी की- मैं सबसे बुरी तरह नाकाम होने वाली नीति का तमगा किसे दूं? एक बार लगता है ये दर्जा जीएसटी जैसे धोखाधड़ी और गलतियों से भरे कदम को दिया जाए, या फिर खेती के क्षेत्र में पसरे पिछड़ेपन को. लेकिन फिर लगता है कि ये नाकामियां तो उम्मीद से बहुत अलग नहीं हैं.
काफी दिमाग लगाने और अपनी अंतरात्मा में झांकने के बाद मैंने स्टार्ट-अप इंडिया को चुना है. ये वो योजना है जिसके साथ हम राजनेताओं और नौकरशाहों ने किंडरगार्टेन के बच्चों की तरह "वी सी पी ई" का खेल खेला है. यहां "वी सी" का मतलब वेंचर कैपिटलिस्ट और "पी ई" का मतलब प्राइवेट इक्विटी है. ये एक भूलभुलैया में उलझा खेल है, जिससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है. ऐसा इसलिए, क्योंकि मार्केट विनर की पहचान करना सरकारों के बस का काम नहीं है और न ही उन्हें इसमें पड़ना चाहिए.
एक बार और अपनी बाईं ओर झुकते हुए वित्त मंत्री ने कहा:
वित्त मंत्री ने गर्दन को झटका दिया, अपने ठीक पीछे मौजूद बेंचों की तरफ देखा और बोले,
काले जादू में यकीन करने वाले मेरे सभी सम्मानित साथियों के लिए एक और बुरी खबर है. ऐसा लगता है, किसी जमाने में तेजी से तरक्की कर रही वेंचर कैपिटल इंडस्ट्री के लिए हम अपशकुन बन गए हैं.
विडंबना देखिए कि सरकार के 50 से ज्यादा योजनाएं शुरू करने के बावजूद ऐसा हुआ. इनमें कुछ योजनाएं किसी खास सेक्टर के लिए थीं, तो कुछ सबके लिए. योजनाओं की इस लंबी फेहरिस्त में सिंगल प्वाइंट रजिस्ट्रेशन स्कीम (एसपीआरएस), बैंक क्रेडिट फैसिलिटेशन स्कीम (बीसीएफएस), प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) और इनक्यूबेशन सेंटर्स के विस्तार की स्कीम समेत कई योजनाएं शामिल हैं.
मैडम, हमने मुनाफे पर कई साल के लिए टैक्स हॉलीडे देने का फैसला किया, इस उम्मीद में कि हमारी ये उदारता स्टार्ट-अप्स को जोश से भर देगी. हम कितने मासूम हैं! अगर स्टार्ट-अप्स को 5 या 7 साल तक मुनाफा ही नहीं होने वाला, तो उन्हें मुनाफे पर टैक्स छूट देने का क्या मतलब है? इससे भी बुरा ये कि हमने सर्विस टैक्स लगाकर शुरुआत में ही उनका गला घोंट दिया. वो अपनी इक्विटी का करीब पांचवां हिस्सा हमारे पास जमा कराने को मजबूर हो गए. (अगर उन्हें टैक्स छूट देनी ही थी, तो वो सर्विस टैक्स में होनी चाहिए थी, न कि इनकम टैक्स में) उन्हें रिस्क कैपिटल मुहैया कराना तो दूर, उल्टे हमने उनसे वो पूंजी भी छीन ली, जो उनके पास पहले से थी. मानो इतना ही काफी नहीं था कि हमने उन्हें मार्केटिंग और ब्रैंड बिल्डिंग का खर्च पूंजी के तौर पर दिखाने को भी मजबूर किया, जिससे उन पर टैक्स का बोझ और बढ़ गया.
इस मसले को गहराई से समझने के लिए मैं आपसे Change.org पर जाकर उस याचिका (पिटीशन) को पढ़ने का आग्रह करूंगा, जो हमारे अन्यायपूर्ण "एंजेल टैक्स" के खिलाफ दायर की गई है.
इस मामले में हम जज, ज्यूरी और सजा पर अमल कराने वाले- तीनों एक साथ बन बैठे. हम ही तय करते हैं कि एक एंजेल इन्वेस्टर को किसी स्टार्ट-अप की इक्विटी के लिए कितनी रकम देनी चाहिए. लेकिन अगर किसी एंजेल इन्वेस्टर ने एक स्टार्ट-अप की वैल्यू हमारी नौकरशाही के घिसेपिटे अनुमान से ज्यादा लगाई, तो हम उस अंतर पर 30% टैक्स थोप देते हैं. कुछ समझ आया?
इन हालात में ये कोई हैरानी की बात नहीं कि हमारे स्टार्ट-अप Change.org पर हाथ जोड़े विनती कर रहे हैं: “हम आदरणीय वित्त मंत्री से अनुरोध करते हैं कि सेक्शन 56(2) और सेक्शन 68 की कड़ी समीक्षा की जाए, वो भी पिछली तारीख से, ताकि हम अपने स्टार्ट-अप के निर्माण पर पूरा ध्यान दे सकें.”
याद रहे कि 10 में 9 स्टार्ट-अप फेल हो जाते हैं; लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि अपने स्टार्ट-अप इंडिया एक्शन प्लान और पिछड़ी सोच वाले टैक्स बाबुओं की वजह से हमारे 10 में 10 स्टार्ट-अप फेल होंगे, जिसके लिए हमारा नाम बड़े सम्मान के साथ गिनीज बुक में दर्ज किया जाएगा.
मैं अपनी दलील एक और धर्मविरोधी उदाहरण के जरिए पूरी करूंगा. ये उदाहरण मैंने बड़े और शैतान पूंजीवादी अंकल सैम से लिया है.
सॉलिंड्रा जैसी समस्या को आप कैसे हल करेंगे?
लिहाजा, उसने इसे 535 मिलियन डॉलर यानी करीब 3500 करोड़ रुपये का सरकारी गारंटी वाला कर्ज दे दिया. ये कर्ज अमेरिकी सरकार के एनर्जी पॉलिसी एक्ट 2005 के तहत दिया गया था. ये पहल बिल्कुल हमारे स्टार्ट-अप इंडिया प्लान जैसी ही थी. उनकी आर्थिक दलीलें भी उतनी ही हास्यास्पद और मूर्खतापूर्ण थीं, जितनी हमारी. उन्हें लगा कि अमेरिकी सरकार वेंचर कैपिटलिस्ट बन जाएगी और होनहार स्टार्ट-अप्स को "पाल-पोसकर" सफलता की राह पर आगे बढ़ाएगी.
लेकिन आगे चलकर जो हुआ उसे बर्बादी का सिलसिला ही कहा जा सकता है. फरवरी 2008 में पॉलीसिलिकॉन के दाम तेजी से गिरे, जिससे बिजनेस की होड़ में शामिल चीन की कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में भारी बढ़त मिल गई. लेकिन सॉलिंड्रा के मैनेजमेंट के पास सरकार से मिला ऐसा खजाना था, जिसके वो लायक नहीं थे. उन पर आरोप लगा कि उन्होंने इस धन को ''खर्च करते समय संदेहास्पद फैसले किए, कर्ज के पैसों को ऐसे आधुनिक उपकरण खरीदने में बर्बाद किया जो कभी इस्तेमाल नहीं किए गए." पूंजी जुटाने की कोशिश करने वाले कई और स्टार्ट-अप्स की तरह ही सॉलिंड्रा पर भी "बिक्री के आंकड़ों, कॉन्ट्रैक्ट्स और विकास के अनुमानों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने और बुरी खबर देने वाली सूचनाओं को निवेशकों, प्रेस और ग्राहकों से छिपाने" के आरोप लगाए गए.
कोई तेज-तर्रार प्रोफेशनल वेंचर कैपिटलिस्ट होता तो इस हेराफेरी को पकड़ लेता. लेकिन सुस्त, ढीले-ढाले और यहां तक कई बार खुद इस धांधली में शामिल रहे सरकारी बाबू पूरी तरह मात खा गए. आखिरकार, अगस्त 2011 में सॉलिंड्रा ने खुद को दिवालिया घोषित करने की अर्जी डाल दी. इससे ये कड़वी सच्चाई एक बार फिर साबित हो गई कि सरकार अगर वेंचर कैपिटलिस्ट या प्राइवेट इक्विटी फर्म का काम करने की कोशिश करती है, तो इसके नतीजे बड़े दुखद होते हैं. मार्केट विनर की पहचान करने के लिए जिन तौर-तरीकों, सूझबूझ या डीएनए की जरूरत होती है, वो सरकारों के पास बिल्कुल नहीं होते. इस कड़वी सच्चाई का कोई अपवाद नहीं है.
मैडम, मैं इतनी देर तक उन्मादी भीड़ के हाथों जान गंवाए बिना अपनी बात रखने में सफल रहा हूं. अब मुझे अपने भाषण के बाकी बचे 184 पैराग्राफ में ये बताने की इजाजत दी जाए कि अपनी भयानक रूप से उलझ चुकी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह अन-मिक्स करने के लिए हमें और क्या-क्या करना होगा. यहां मैं आपका ध्यान द क्विंट में प्रकाशित उस शानदार लेख की तरफ भी आकर्षित करना चाहूंगा जिसने मुझे आज ये भाषण देने के लिए प्रेरित किया है....
और इसके बाद वित्त मंत्री ने अपना बचा हुआ भाषण पूरा किया. वो भाषण, जो न कभी था और न शायद कभी होगा....हाय रे दुर्भाग्य!
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 29 Jan 2018,07:09 AM IST