मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019श्रीकांत कैसे हो गया फैमिली मैन? सुचित्रा को ट्रोल करना बंद कीजिए

श्रीकांत कैसे हो गया फैमिली मैन? सुचित्रा को ट्रोल करना बंद कीजिए

“कुछ गंभीर सवाल उठ रहे हैं. श्रीकांत इतना कुछ कर रहा है, फिर भी सुचित्रा खुश नहीं है. आखिर सुचित्रा चाहती क्या है?”

प्रतिभा कटियार
नजरिया
Updated:
‘द फैमिली मैन’ में मनोज बाजपेयी और प्रियामणि ने निभाया है पति-पत्नी का किरदार
i
‘द फैमिली मैन’ में मनोज बाजपेयी और प्रियामणि ने निभाया है पति-पत्नी का किरदार
(फोटो: इंस्टाग्राम/द फैमिली मैन)

advertisement

‘द फैमिली मैन’ देख लिया था. तब ही, जब आया था. मैं फैमिली मैन पर बात नहीं करना चाहती. उस पर काफी बात हो चुकी है. मैं बात करना चाहती हूं सुचित्रा के किरदार पर. हालांकि, उस पर भी काफी बात हो चुकी है. फिर भी मैं उस पर बात करना चाहती हूं. सुचित्रा के किरदार को लेकर खूब तानाकशी हो रही है. मीम बन रहे हैं. कुछ गंभीर सवाल उठ रहे हैं, ज्यादातर मजाकिया कि औरतों को कोई खुश नहीं कर सकता. श्रीकांत इतना कुछ कर रहा है उसके लिए, फिर भी वो खुश नहीं है. रिश्ते के बाहर तांकझांक कर रही है. आखिर सुचित्रा चाहती क्या है?

क्या चाहती है सुचित्रा से पहले, श्रीकांत जो एक आदर्श फैमिली मैन भी है, देश की रक्षा में लगा हीरो भी, वो क्या चाहता है, पर भी बात होनी चाहिए.

श्रीकांत एक अलग तरह की नौकरी करता है, वह नौकरी उसका पैशन है, उसके प्राण बसते हैं उसमें. उस नौकरी या कहें काम के लिए, उसने घरवालों के रिश्तेदारों के ताने सहे, बच्चों के भी कि इतनी मेहनत करके भी ज्यादा कमा नहीं पाता है. वो फिर भी वही नौकरी करता है. यह नौकरी उससे ढेर सारा समय, अटेंशन और जोखिम मांगती है. जो जाहिर है वो देता है.

तो फिर वो फैमिली मैन कैसे है? घर के किसी काम में वो कोई सहयोग नहीं दे पाता. कभी-कभार दी गयी जिम्मेदारियां भी उसके हाथ से फिसल जाती हैं. जाहिर है जिन्हें देशप्रेम के लिये त्याग की चाशनी में लपेटकर जस्टिफाई किया जा सकता है. वो बच्चों को स्कूल से लाना भूल जाता है, बीवी की प्रेगनेंसी हो, डिलीवरी हो या कोई भी दूसरा मौका, वो कहीं नहीं हो पाता. फिर वो फैमिली मैन कैसे है? और तो और अपनी पसंद के काम को इतनी तवज्जो देना वाला व्यक्ति पत्नी के यह कहने पर कि वो अपने टीचिंग जॉब से ऊब गयी है, कुछ नया करना चाहती है, इस बात को समझ नहीं पाता.

(फोटो: इंस्टाग्राम/द फैमिली मैन)

दूसरे सीजन में वो परिवार के लिए अपनी पसंद की नौकरी छोड़कर कॉरपोरेट जॉब कर लेता है. जहां उसे हर दिन घुटन हो रही है, जो पूरे वक्त दिखती है या दिखाई गई है. दर्शक उस घुटन से कनेक्ट कर पाते हैं, लेकिन सुचित्रा की घुटन से, उसकी उलझन से कनेक्ट नहीं कर पाते. टेक्निकल तरह से श्रीकांत परिवार के साथ समय बिताना, साथ डिनर करना, डिनर पर फोन का इस्तेमाल न करने का नियम बनाना आदि कोशिशें करता है जो दर्शकों को नजर आती हैं और वो कह उठते हैं “बेचारा कितना तो कर रहा है और क्या करे?

जबकि रिश्ते में, जीवन में आये ठहराव से जूझने की कोशिश सुचित्रा भी कर रही है. वो काउंसलिंग के लिए जा रही है. श्रीकांत को भी ले जाती है, जिसका श्रीकांत मजाक उड़ाता है. यह आम भारतीय पुरुषों की समस्या है काउंसिलिंग का मजाक बनाना, उसे महत्व न देना. और इस बात को काउंसलर के किरदार को बेहद हल्के तरह से गढ़कर मामला श्रीकांत के पक्ष में रख दिया गया. यह खतरनाक है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

क्या डायरेक्टर कहना चाहते हैं कि काउंसिलिंग जैसी कोई चीज नहीं होती या उसका कोई महत्व नहीं होता. शायद इसलिए सुचित्रा की उस कोशिश के मर्म को समझने की बजाय वह पूरा वाक्य मजाकिया ढंग से गढ़ दिया गया है.

(फोटो: इंस्टाग्राम/द फैमिली मैन)

अगर ‘फैमिली मैन’ श्रीकांत ने परिवार के लिए नौकरी बदली है तो सुचित्रा ने भी नौकरी छोड़ी है. वो भी घर पर बैठी है परिवार के लिए. फिर एक दिन अपने मैनेजर के साथ श्रीकांत जो करता है उसे देख कितनों के जख्मी दिलों को राहत मिली, लेकिन उसी घुटन, उसी तरह की पीड़ा से गुजर रही सुचित्रा जब वापस अपने काम पर लौटती है, तो इसे इस तरह दिखाया गया जैसे वो इश्क लड़ाने के लिए काम पर गई है.

सुचित्रा का एक ही संवाद मेरी पूरी बात को कहने के लिए काफी है, “15 साल से पूरी गृहस्थी अकेले संभाल रही हूं मैं. तुम अचानक से एक दिन आते हो और कुछ कोशिश करते हो और तुरंत तुम्हें बेस्ट हसबैंड और बेस्ट फादर का अवॉर्ड चाहिए.

श्रीकांत जैसे तमाम लोग आसपास नजर आते हैं. हर समय अपनी मनमर्जी करने के बाद किसी रोज गिफ्ट देकर या डिनर पर ले जाकर सोचते हैं वो बीवी के लिए कितना कुछ तो कर रहे हैं और क्या चाहिए उन्हें? और अंत में यह जुमला “क्या चाहिए इन्हें आखिर... इनकी तो आदत है बड़-बड़ करने की.” और फिर धीरे से उन्हें इग्नोर करना और उनके जरिये मिलने वाली सुविधाओं का उपभोग करना पुरुष समाज सीख जाता है.

मुझे लगता है सुचित्रा को, श्रीकांत को जो और जितना चाहिए, उससे काफी कम ही चाहिए था, लेकिन उसे वो कभी मिला नहीं. लगातार अकेले गृहस्थी में पिसते-पिसते वो घुटन से अवसाद से भरने लगी. और तब उसे एक दोस्त मिल गया जो उसे उसके काम की ऊब से छुटकारा दिलाकर नए काम में उसे शामिल करना चाहता है. यहीं मसाला मिल गया पब्लिक को या दे दिया गया.

दूसरे सीजन तक तो अफेयर स्टेब्लिश भी नहीं हुआ सुचित्रा का, अभी से उसे क्यों ट्रोल कर रहे हो भाई. और अगर यही क्राइटेरिया है तो श्रीनगर में बॉस के रूप में मिली पुरानी गर्लफ्रेंड से मिलकर खुश हो रहे श्रीकांत को भी सामने रखो न. वह भी बस खुश ही है और सुचित्रा भी बस खुश ही है अपने दोस्त से मिलकर. जबकि श्रीकांत अपनी पत्नी की जासूसी करने से भी पीछे नहीं हटता है.

(फोटो: इंस्टाग्राम/द फैमिली मैन)

एक और बात, श्रीकांत के लिए कभी भी चाहे श्रीनगर जाना हो या चेन्नई जाना हो ड्यूटी के लिए मुश्किल नहीं रहा. सामान पैक किया और निकल गया. लेकिन अपनी नयी जॉब में जब सुचित्रा को अगले हफ्ते लंदन जाने का प्रस्ताव आता है, तो यकीन मानिए मेरी सांस थम गयी थी कि कैसे दोनों बच्चों को छोड़कर जाएगी वो?

वर्किंग वुमन के लिए पूरा दिन घर से बाहर रहते हुए घर और बच्चों को मैनेज करना ही इतना बड़ा चैलेंज होता है कि टूर पर जाना किसी विपदा के आने जैसा महसूस होता है, खासकर तब जब वो अकेले ही संभाल रही हों सब कुछ. यह चैलेंज श्रीकांत के सामने तो कभी नहीं आया न? कभी नहीं आता न?

तो सुचित्रा के किरदार को ट्रोल करना बंद करिए. अपने आसपास की स्त्रियों को थोड़ा और समझने की कोशिश करिए. अरे हां, अगर तीसरे सीजन में सुचित्रा का अफेयर डायरेक्टर स्टेब्लिश भी कर दे, तब भी उसे जज करने से पहले ठहरकर सोचिएगा जरूर.

(लेखिका युवा साहित्यकार हैं. एक दशक से ज्यादा पत्रकारिता करने के बाद इन दिनों अजीम प्रेमजी फाउन्डेशन देहरादून में कार्यरत हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार लेखिका के हैं. इसमें क्‍विंट की सहमति जरूरी नहीं है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 16 Jun 2021,06:22 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT