मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019तैमूर की मॉम करीना पहले एक कामकाजी औरत हैं,लोग ये क्यों नहीं समझते

तैमूर की मॉम करीना पहले एक कामकाजी औरत हैं,लोग ये क्यों नहीं समझते

तैमूर संग करीना के आलोचकों को न्यूजीलैंड के उदाहरणों से कुछ सीखने की जरूरत है.

माशा
नजरिया
Updated:
माॅम करीना के साथ बेबी तैमूर
i
माॅम करीना के साथ बेबी तैमूर
फोटो: Instagram 

advertisement

तैमूर को हैप्पी बर्थडे. करीना-सैफ का यह बेटा दुनिया भर का लाडला बना हुआ है. माता-पिता को उसकी जितनी चिंता है, उससे ज्यादा चिंता मीडियावालों को है. करीना को यदा-कदा ऑनलाइन ताने भी मिलते रहते हैं कि वह बेटे पर पूरा ध्यान नहीं दे रही. उसे भूखा मार रही है. करीना कह भी चुकी है कि लोगों को गलत लग रहा है. वह तो काफी मुटिया भी गया है.

वर्किंग मॉम्स को ताने मिलना कोई नई बात नहीं

वर्किंग मॉम्स को यह ताने मिलना कोई नई बात नहीं है. करीना वर्किंग मॉम हैं. उन्हें तैमूर को लेकर काम पर भी जाना पड़ता है- वह कह चुकी हैं कि वह तैमूर के बिना कहीं नहीं जातीं. जब भी कहीं जाती हैं तो तैमूर को साथ ले जाती हैं. सोशल मीडिया को इसी से ऐतराज है. पपराजी तैमूर के पीछे लगे रहते हैं. उसकी तस्वीरें-वीडियो खींचकर शेयर करते हैं. एक-एक फोटो से हजारों रुपए कमाते हैं.

पीछे, बात यह होती है कि करीना भी तैमूर की क्यूटनेस को भुनाती हैं. तैमूर बॉलीवुड का सबसे लोकप्रिय स्टार किड बन चुका है. दूसरी तरफ करीना इस बात से परेशान हैं कि मीडिया ने तैमूर का जीना दूभर किया हुआ है. उसके लिए घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. वह सामान्य बच्चों की तरह जीवन नहीं जी पा रहा. ऐसे हालात में करीना को अपना कामकाज भी जारी रखना है. वह फिल्म स्टार हैं. टीवी के टैलंट हंट शो की जज रही हैं. इन सबकी शूटिंग में लंबे घंटे देने पड़ते हैं. छोटे बच्चे के साथ यह सब संभालना कोई आसान काम नहीं. फिर सोशल मीडिया में ट्रोल्स का भी शिकार होना पड़ता है.

कामकाजी औरतों को क्रेश की सुविधा देता है कानून

करीना साफ-साफ सेलिब्रिटी होने का नुकसान उठा रही हैं. यूं कामकाजी औरतों के लिए हमारे यहां तकलीफें बेशुमार हैं. मां बनने का खामियाजा अक्सर उन्हें नौकरी और काम छोड़कर उठाना पड़ता है. एसबीआई की पूर्व प्रमुख अरुंधती भट्टाचार्य ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के इंडिया इकोनॉमिक समिट में कहा था कि महिलाओं को जिन तीन कारणों की वजह से काम छोड़ना पड़ता है, उसमें से पहला है बच्चों को पालना, दूसरा बच्चों को परीक्षाओं के लिए तैयार करना. दोनों चाइल्ड केयर से जुड़े मामले हैं.

पिछले साल के टीमलीज सर्विसेज के एक सर्वेक्षण में कहा गया था कि 2017 के मातृत्व लाभ अधिनियम से छोटे बिजनेस और स्टार्टअप्स औरतों को नौकरी पर रखने से कन्नी काटेंगे. अंदाजा था कि मार्च 2019 तक लगभग 11 से 18 लाख औरतों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ेगा. टीमलीज सर्विसेज एक स्टाफिंग और ह्यूमन रिसोर्स कंपनी है और उसने अपने डेटा के लिए लगभग 10 सेक्टरों के 300 से अधिक इंप्लॉयर्स से बातचीत की है. इन सेक्टरों में एविएशन, आईटी, एजुकेशन, ई-कॉमर्स, मैन्यूफैक्चरिंग, बैंकिंग, रियल एस्टेट वगैरह शामिल हैं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

क्या हर काम केयरटेकर के भरोसे

पर करीना के लिए यह मुश्किल नहीं. वह तैमूर के लिए केयरटेकर रख सकती हैं. यह दूसरी वर्किंग मॉम्स के लिए भी आसान होता है. पर फिर भी ऐसे बहुत से काम हैं जिसके लिए मां को बच्चे के पास रहना जरूरी होता है. इसीलिए मातृत्व लाभ अधिनियम कहता है कि 50 और 50 से ज्यादा कर्मचारियों वाली हर कंपनी को एक निश्चित दूरी के अंदर क्रेच की सुविधा भी प्रदान करनी होगी. इसके लिए कंपनी को पैसे खर्चने होंगे. साथ ही महिला कर्मचारियों को दिन में चार बार क्रेच जाकर बच्चे की देखभाल करने की अनुमति भी देनी होगी.

इस प्रावधान के साथ जब हर कामकाजी महिला को काम करने की जगह पर यह सुविधा मिल सकती है तो सेलिब्रिटीज़ के काम करने की जगह पर उनके बच्चों को देखना हमारी परेशानी का सबब क्यो होता है. चीन जैसे देश ने तो अपनी कामकाजी महिलाओं को दफ्तरों में ब्रेस्टफीडिंग स्पेस भी देना शुरू किया है. जाहिर सी बात है कि औरतों को ब्रेस्ट फीडिंग के लिए घर की चारदीवारी में बंद न होने पड़े, इसके लिए हर दफ्तर में ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर क्यों न हो. क्या स्वस्थ बच्चे किसी देश के लिए इकोनॉमिक एसेट नहीं. 

सवाल फैमिली फ्रेंडली वर्क प्रैक्टिस का है

यह फैमिली फ्रेंडली वर्क प्रैक्टिस का सवाल है. अक्सर लोग इसे पसंद नहीं करते. इसी साल अगस्त महीने में जब केन्या की एक सांसद जुलेखा हसन अपने पांच महीने के बच्चे को लेकर संसद पहुंची तो स्पीकर ने उन्हें सदन से बाहर निकाल दिया. घर पर बच्चे को देखने वाला कोई नहीं था, पर जुलेखा ने वह नहीं किया जो आम तौर पर महिलाएं करती हैं. वह ऐसे दिन पर छुट्टी ले लेती हैं. पर जुलेखा ने अपने काम पर आना मुनासिब समझा. स्पीकर इस बात को नहीं समझ पाया.

इसके विपरीत एक दूसरा उदाहरण भी है. न्यूजीलैंड की संसद बीहाइव में स्पीकर बनने वाले ट्रेवर मेलार्ड ने एक नई मिसाल रखी. उन्होंने सदन में सांसदों को अपने बच्चे साथ में लाने की अनुमति दी. उनका एक वीडियो खूब वायरल हुआ, जिसमें वह लेबर पार्टी की तमाती कॉफी के बच्चे को बोतल से दूध पिलाते हुए सदन की अध्यक्षता भी कर रहे थे.

2017 से न्यूजीलैंड की सांसदों के परिवार में 12 शिशुओं का जन्म हुआ है. इसी से मेलार्ड को महसूस हुआ कि संसद में बच्चों का स्वागत किया जाए. मेलार्ड कहते हैं कि बच्चों के आगमन से तनावभरा माहौल खुशनुमा हो जाता है. यहां तक कि न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा एरडर्न भी बिटिया भी उनके दफ्तर खूब आया करती हैं. उनके दफ्तर के टीरूम को बच्ची के चेजिंग और नर्सिंग रूम में तब्दील कर दिया गया है.

तैमूर संग करीना के आलोचकों को न्यूजीलैंड के उदाहरणों से कुछ सीखने की जरूरत है. मातृत्व अपने यहां विकल्प नहीं, अनिवार्यता है. फिर भी कामकाजी औरतों के फ्रेम में हम उनके बच्चों के चेहरे देखना पसंद नहीं करते. मानो, दोनों को एकाएक अलग कर देना इतना आसान होता है. यूके के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय और एसेक्स विश्वविद्यालय के एक साझा शोध में कहा गया है कि कामकाजी औरतों को दूसरी औरतों के मुकाबले 18 प्रतिशत अधिक तनाव का शिकार होना पड़ता है. जिस पर अगर उसके दो बच्चे हों तो यह तनाव बढ़कर 40 प्रतिशत हो जाता है. ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि बच्चों को संभालने कोई हंसी खेल नहीं. बस, समाज को अपना हाथ बढ़ाना होगा.

यह भी पढ़ें: तैमूर का बर्थडे आज, सैफ-करीना ने दी पार्टी, पहुंचे ये सितारे

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 20 Dec 2019,11:11 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT