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मोदी सरकार पहले ही कह चुकी हैं कि वोट ऑन अकाउंट या अंतरिम बजट का मतलब ये नहीं है कि बड़े ऐलान नहीं हो सकते. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इलाज के लिए अमेरिका जाने से पहले साफ इशारा दिया था कि उनके सामने कोई बंदिश नहीं है.
वित्तमंत्री अगर पूछें कि मिडिल क्लास को क्या चाहिए, तो यही आवाज निकलेगी कि इनकम टैक्स छूट की लिमिट दोगुनी कर दीजिए और जेटली ऐसा कर सकते हैं.
हालांकि सरकार के सामने वित्तीय घाटे को ज्यादा नहीं बढ़ने देने की चुनौती है. लेकिन नए डायरेक्ट टैक्स कोड को ध्यान में रखते हुए इनकम टैक्स का दायरा बढ़ाने का ऐलान जरूर होगा.
हर साल बजट के पहले टैक्स पेयर्स की यही दरख्वास्त होती है कि उन्हें टैक्स में छूट दी जाए. इस बार तो वैसे भी चुनावी बजट होगा इसलिए उम्मीद कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है.
वैसे तो अनुमान लगाया जा रहा है कि एक झटके में इनकम टैक्स छूट का दायरा 5 लाख तक किया जा सकता है. यानी अभी की 2.5 लाख रुपए की लिमिट से दोगुना. अगर 5 लाख तक छूट नहीं बढ़ी तो भी इसे कम से कम 3 लाख तो जरूर किया जा सकता है.
1. इस बात के भी आसार हैं कि धारा 80C के तहत डिडक्शन लिमिट 2 लाख रुपए तक हो सकती है. वित्तमंत्री जेटली ने ही 2014-15 के बजट में ये लिमिट बढ़ाई थी.
2. नेशनल पेंशन स्कीम में धारा 80CCD (1B) में अतिरिक्त 50,000 का डिडक्शन मिलता है. उम्मीद की जा रही है कि इसी तरह की राहत धारा 80C के तहत भी मिलेगी जिससे टैक्स पेयर्स को निवेश के ज्यादा विकल्प मिल सकें और उनकी बचत बढ़ सके.
3. इसके अलावा इक्विटी फंड और यूलिप दोनों को लेवल प्लेइंग फील्ड मिलेगा जिससे लोगों को निवेश का फैसला करने और उसकी क्वालिटी बेहतर करने में आसानी होगी.
1. डेट फंड को धारा 80C के तहत इन्वेस्टमेंट के दायरे में लाया जा सकता है जिसमें 3 साल का लॉक इन पीरियड हो.
2. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगाए जाने के बाद शेयर बाजार की खरीद बिक्री में लगने वाला STT हटाया जा सकता है. इससे शेयर बाजार में निवेश थोड़ा आकर्षक हो जाएगा.
(लेखर हेमंत रुस्तगी जाने माने पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट हैं और वाइजइन्वेस्ट एडवाइजर्स के सीईओ हैं.)
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Published: 25 Jan 2019,02:01 PM IST