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आर्थिक हालात मुश्किल हैं. महंगाई निचले स्तर पर है और निवेश की स्थिति कमजोर बनी हुई है. ऐसे में एक्टिंग वित्तमंत्री पीयूष गोयल बजट में क्या उपलब्धियां बताएंगे और क्या तोहफे बांटेंगे? क्योंकि वित्तीय हालत के हिसाब से उनके हाथ बंधे हैं.
वैसे तो नियम और परंपरा यही कहती है कि अंतरिम बजट में सरकार को कोई बड़ा ऐलान नहीं करना चाहिए, लेकिन चुनावी साल है पूरी तरह ऐसा होना मुमकिन नहीं है.
मोदी सरकार भले ही एक अप्रैल से चालू नए वित्तीय साल के हिसाब से बजट लाएगी लेकिन हकीकत यही है कि इसके इस बजट का असर सिर्फ तीन महीने तक ही रहेगा क्योंकि नई सरकार का बजट ही प्रभावी तौर पर लागू भी होगा. मतलब असल तरीके से सरकारी मशीनरी जून के बाद ही शुरू हो पाएगी.
अगर सरकार फिस्कल डेफिसिट के टार्गेट के आसपास ही रहती है तो अंतरराष्ट्रीय तौर पर इसके बहुत फायदे होंगे
हर सेक्टर की इस बजट से अलग-अलग उम्मीदें हैं. लेकिन सबसे जरूरी है कि रियल एस्टेट सेक्टर के लिए फोकस वाला कोई पैकेज लाया जाए. रियल एस्टेट इंडस्ट्री का GDP में 6% योगदान है, इसलिए बजट के लिहाज से ये सेक्टर और भी अहम हो जाता है.
फील गुड फैक्टर के लिए भी रियल एस्टेट सेक्टर को कोई भी राहत चुनाव के लिहाज से बहुत फायदे की हो सकती है.
बजट नए वित्त वर्ष के लिए है जो 1 अप्रैल से शुरू होगा लेकिन उसके ठीक बाद लोकसभा चुनाव होंगे. इसलिए सरकार अगर बड़ा ऐलान कर भी देती है तो भी उस पर अमल नहीं कर पाएगी. मतलब इन ऐलानों का जमीन पर कम ही असर होगा. लेकिन फिस्कल डेफिसिट से छेड़छाड़ बहुत नुकसान कर सकती है.
उम्मीद यही करनी चाहिए कि वित्तमंत्री फायदा और नुकसान होनों को ध्यान में रखें. देश की इकोनॉमी के लिए अप्रैल-मई में होने वाले चुनाव के पहले इस आखिरी बजट में BJP के लिए सतर्क रुख रखना फायदेमंद होगा.
(लेखक जाने माने आर्थिक विशेषज्ञ हैं और वित्तमंत्रालय की कमेटियों में सलाहकार के तौर पर रह चुके हैं. साथ ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी, दिल्ली में प्रोफेसर हैं.)
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Published: 25 Jan 2019,01:49 PM IST