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ट्रंप पर लंबी चुप्पी का रिपब्लिकन पार्टी को खामियाजा उठाना होगा

डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ जाने वालों की संख्या चुपचाप लेकिन निश्चित तौर पर बढ़ रही है

लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) भूपेंदर सिंह
नजरिया
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डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ जाने वालों की संख्या चुपचाप लेकिन निश्चित तौर पर बढ़ रही है
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डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ जाने वालों की संख्या चुपचाप लेकिन निश्चित तौर पर बढ़ रही है
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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रिपब्लिकन पार्टी में तलवारें खिंच चुकी हैं और पार्टी के बड़े नेताओं के बीच अपने अब तक के सबसे निर्विवाद नेता डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ जाने वालों की संख्या चुपचाप लेकिन निश्चित तौर पर बढ़ रही है. सिर्फ दो महीने पहले की बात है जब डोनाल्ड ट्रंप को प्राइमरीज के दौरान अपनी पार्टी में 93.99 फीसदी समर्थन मिला था (उनके सबसे करीबी प्रतिद्वंद्वी बिल वेल्ड को सिर्फ 2.35 फीसदी वोट ही मिले थे).

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बुश, (सीनियर और जूनियर) सेक्रेटरी ऑफ स्टेट कॉलिन पावेल, कॉन्डोलिजा राइस, पूर्व गवर्नर मिट रोमनी, आर्नोल्ड स्वाजनैगर और जॉन मैकेन जैसे प्रसिद्ध वॉरियर सीनेटर सहित रिपबल्किन पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में ही भविष्य के खतरे की चेतावनी दे दी थी. ये सभी डोनाल्ड ट्रंप की संशोधनवादी, स्वदेशी और हिसाब चुकता करने की अपील के आगे कमजोर पड़ गए.

चूंकि ये सभी चेतावनी पूर्व या असफल रहने वाले लोगों ने दी थी और इसलिए वो लोग चुनावी तौर पर प्रासंगिक नहीं थे, इसलिए चेतावनी, घृणा और श्रेष्ठता की ज्यादा आकर्षक टीस के सामने फीकी पड़ गई थी.

लिंकन, निक्सन और ट्रंप के दौर में रिपब्लिकन पार्टी में विभाजन

द विग पार्टी (रिपब्लिकन पार्टी की पूर्ववर्ती) जो 1850 में विभाजित हो गई थी, उसका एक प्रगतिशील पक्ष था जिसने विभाजित होने के चार साल बाद अब्राहम लिंकन को राष्ट्रपति चुना और एक प्रतिगामी गुलामी समर्थक पक्ष जो लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप के उनके रेडनेक्स (रेड इंडियन) बैंड के साथ फीनिक्स की तरह फिर से सामने आ गया था.

यहां तक कि हाल के दिनों में भी रिपब्लिकन पार्टी में नेता रिचर्ड निक्सन के लिए पहले डराने, फिर अचानक समर्थन घटने और इसके बाद आंतरिक समर्थन बड़े स्तर पर खत्म होने की इसी तरह की घटना हुई थी.

हालांकि हाल के ट्रंप के खराब आचरण की तुलना में थोड़ा कम, जब चुनाव में वाटरगेट स्कैम जिसमें चुनाव में हेरफेर करने के आरोप निक्सन प्रशासन पर लगे तो निक्सन को महसूस हुआ कि पार्टी में उनके समर्थन में कोई नहीं है और महाभियोग होना तय है, तो उन्होंने सार्वजनकि अपमान में इस्तीफा दे दिया.

निक्सन वाले खुलासे के बाद रिपब्लिकन में आत्मनिरीक्षण और सुधार की जो तात्कालिकता और दृढ़ता दिखी थी, वह डोनाल्ड ट्रंप के मामले में नहीं दिख रही जो साफ तौर पर कहीं ज्यादा मोटी चमड़ी वाले हैं. निक्सन के उत्तराधिकारी जीराल्ड फोर्ड ने शपथ लेते वक्त एक जानी-पहचानी डरावनी अभिव्यक्ति में कहा था- मेरे अमेरिकी साथियों, हमारा लंबा राष्ट्रीय बुरा सपना बीत चुका है.

रिपब्लिकनिज्म से ट्रंपिज्म में फिसलना

एक व्यक्ति जिसने डोनाल्ड ट्रंप के प्रति रिपब्लिकन्स के जोंबी जैसे झुकाव को जगाने के लिए पूरी कोशिश की थी, वो थे उनसे हारने वाले विरोधी बिल वेल्ड. डोनाल्ड ट्रंप को पार्टी में चुनौती देने से पहले वो एक हॉवर्ड-ऑक्सफोर्ड स्नातक, एक सफल गवर्नर, अटॉर्नी और एक लेखक थे. इससे भी महत्वपूर्ण बात, उन्होंने रिचर्ड निक्सन से पूछताछ करते हुए 1974 में यूएस हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी के महाभियोग जांच स्टाफ में एक जूनियर वकील के रूप में अपने कानूनी करियर की शुरआत की थी. इससे उन्हें साथी रिपब्लिकन के दांव-पेंच और इससे होने वाले खतरों के बारे में जानकारी थी.

बाद में बिल की संवैधानिक संवेदनशीलता का असली सम्मान तब किया गया, जब उन्होंने इस रिपोर्ट में योगदान देते हुए राष्ट्रपति के महाभियोग के लिए संवैधानिक आधार पर रिपोर्ट तैयार की. ये भविष्य दर्शी व्यक्ति, प्रतिष्ठित रिपब्लिकनिज्म को उतावले और अस्त-व्यस्त ट्रंपिज्म के पंथ में बदलाव को पहचान सकते थे, कुछ ऐसा जो अपमानित निक्सन ने भी हासिल नहीं किया था.

लेकिन बिल डोनाल्ड ट्रंप के बड़े छिपे संदेशों वाले अभियान के सामने असहाय थे जो दीर्घकालिक सामाजिक परिणामों के बारे में चिंता किए बिना सबसे बुरी सामाजिक प्रवृत्तियों का आह्वान, दोहन और पोषण कर रहे थे- मेक अमेरिका ग्रेट की वास्तविकताओं द्वारा रिपब्लिकन जनता को बहकाया गया था जहां जॉर्ज लिंकन रॉकवेल जैसे नियो नाजी की सोच-समझ कर तैयार की गई छवि भी आशा के अनुरूप थी.

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डर की राजनीति के कारण कैपिटल हिल में घुसे लोग

बॉब वुडवर्ड की किताब फियर: ट्रंप इन द व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप के हवाले से ही एक राज खोलने वाली बात लिखी गई है. ‘सबसे अहम बात है डर लगना’- और सभी दबंगों की तरह, डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी रिपब्लिकन पार्टी में सभी विरोधी आवाजों में वो डर घर करा दिया और ज्यादा लोग खुलकर विरोध में नहीं आए.

जब बिल वेल्ड से रिपब्लिन पार्टी के अंदर इस चुप्पी के बारे में पूछा गया, यहां तक कि जब राष्ट्रपति के मामले भी नए निचले स्तर को छू रहे थे, तो उन्होंने कहा था “[रिपब्लिकन] वाशिंगटन डीसी में बहुत ज्यादा नाटक चल रहा है. यही समस्या का केंद्र है. हर कोई ये दिखावा कर रहा है कि राष्ट्रपति-वो थोड़े अलग हैं. वे उसे अपने हानिकारक अहंकार में शामिल करते हैं. एक हानिकारक आत्मकामी वो व्यक्ति होता है जो केवल तभी खुश होता है जब अन्य लोग हार रहे होते हैं.”

लेकिन जब ट्रंप जब खुद चुनाव हार गए तब ये उनके नाखुश होने का समय था-समस्या इसके अभिव्यक्ति में थी. ट्रंप फॉर्मूले के जिन्न को खुला छोड़ दिया गया था और इसका पूरी तरह से इस्तेमाल किया गया और घृणा और फूट के उस जिन्न को फिर से बोतल में बंद करने का सवाल ही नहीं था, न ही इसकी कोई मंशा थी.

परिणामस्वरूप 1814 के बाद कैपिटल हिल में फिर से भीड़ का हमला हुआ, इस बार कट्टर ट्रंप समर्थकों द्वारा जिन्होंने इसे ‘बगावत’, ‘तख्तापलट’ या यहां तक कि ‘क्रांति’ तक बता दिया.

क्या रिपब्लिकन्स को अब गलतियों का एहसास हो रहा है?

उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने ट्रंप के बाद के दौर में शायद अपने बाकी के जीवन को बचा लिया है, हालांकि वो भी कुख्यात ट्रंप की चाबुक से नहीं बच सके, लेकिन अहम बात ये है कि माइक पेंस को सदबुद्धि आ गई पर थोड़ी देर से. मिट रोमनी जैसे रिपब्लिकन पार्टी के उपेक्षित नेताओं को आलोचना के लिए आगे आना पड़ा जिन्होंने खुलकर और रूखे तरीके से ट्रंप की आलोचना की, स्वार्थी व्यक्ति का घायल अभिमान और उनके समर्थकों का गुस्सा जिसे उन्होंने जान-बूझकर पिछले दो महीने से गलत जानकारी दी और जिन्होंने उस सुबह कैपिटल हिल पर कब्जा करने की कोशिश की.

अब दूरगामी प्रभाव शुरू हो गए हैं और डोनाल्ड ट्रंप के रिपब्लिकन समर्थन का दायरा नाटकीय रूप से घट गया है, रिपब्लिकन्स संवैधानिक तार्किकता और वास्तविकता को अपनी संजीदा चुप्पी के साथ चुपचाप स्वीकार कर रहे हैं-उसी तरह जैसे उन्होंने शुरुआत में डोनाल्ड ट्रंप को अब्राहम लिंकन की पार्टी को हाइजैक करने की अनुमति दी थी.

कुछ लोग ऐसा अभिनय कर रहे हैं मानो वे अभी बुरे सपने से जागे हैं और यह बुरा सपना आखिरकार खत्म हो गया है, लेकिन ग्रैंड ओल्ड पार्टी के भीतर अंतिम समय तक आत्मनिरीक्षण महत्वपूर्ण सामान्य रिपब्लिकन्स के शर्मनाक सरेंडर पर होना चाहिए.

क्या अब बहुत देर हो चुकी है?

आंतरिक पक्षपात, डर और समझौते को क्या उचित ठहराता है? बिल वेल्ड, जिन्होंने ट्रंप के बारे में पहले ही चेतावनी दी थी, को शर्मनाक 2.35 फीसदी वोट के साथ शर्मिंदा क्यों किया गया? बिल वेल्ड ने पूरी भावना के साथ रिपब्लिकन्स को क्रोधित कर दिया था. “हम आराम से अपनी मौत की ओर नहीं जा सकते. आप जानते हैं? और मैं अपनी शक्ति से पूरी मेहनत के साथ लड़ूंगा.” उन्होंने ठीक वैसा ही किया लेकिन उनके साथी उतने हिम्मती नहीं थे.

दशकों पहले, बिल वेल्ड ने एक उपन्यास मैकरेल बाय मूनलाइट लिखा था जिसमें उन्होंने आकस्मिक लाभ की स्थिति का वर्णन किया था. “वो हेडलाइट्स में हिरण की तरह घूमते थे. हिरण जिसे गोली भी लगी थी. ” दशकों बाद रिपब्लिकन नेतृत्व वही हिरण था. डोनाल्ड ट्रंप से काफी ज्यादा, अंतिम मिनट तक जिस तरह रिपब्लिकन पार्टी इस पर चुप्पी साधे रही वो इस मौजूदा अराजकता के लिए जिम्मेदार है. लोकतांत्रिक देश और राजनीतिक पार्टियां जो धमकी के सामने आत्मसमर्पण कर देती हैं, वो कैपिटल हिल में जो हुआ वैसा ही नतीजा पाती हैं. इस बार परिणाम सकारात्मक था, अक्सर ऐसा नहीं होता.

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