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US Capitol Hill दंगों के एक साल बाद... अमेरिका अभी भी विभाजित

ट्रम्प के समर्थक अभी भी यह मानते हैं कि चुनाव में धांधली हुई थी और वोटर-फ्रॉड किया गया था

अक्षोभ गिरिधरदास
नजरिया
Updated:
<div class="paragraphs"><p>US Capitol Hill दंगों के एक साल बाद, अमेरिका अभी भी विभाजित</p></div>
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US Capitol Hill दंगों के एक साल बाद, अमेरिका अभी भी विभाजित

(फोटो- पीटीआई)

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"विडंबना अजीब है, ऐतिहासिक विडंबना कुछ और भी गहरी है" - इन पंक्तियों को मैंने पिछली बार इसी साल द क्विंट के लिए लिखा था, क्योंकि मैंने संयुक्त राज्य अमेरिका (America) में 6 जनवरी 2021 की दिल दहला देने वाली घटनाओं की थाह लेने के लिए काफी संघर्ष किया था, जिसे अब "विद्रोह" के रूप में लिखा जा रहा है.

लंबे समय से, बल्कि बहुत लंबे समय से, वाशिंगटन को अमेरिकी असाधारणता के लिए शेखी बघारा गया है और इसने भू-राजनीतिक सूबों में एक हस्तक्षेप करने वाले नजरिए को अपनाया है, जो दुनिया भर में विभिन्न पॉलिटिकल सिस्टम्स में एक उदार लोकतंत्र की अपनी सोच का विस्तार करता है. यह अमेरिका की विदेश नीतियों के मकसद को हासिल करने की उम्मीद करता है और शायद हमसे भी सांठगांठ की चाहत रखता है.

कैपिटल हिल बिल्डिंग में लोकतंत्र के प्रतीक का खुलकर उल्लंघन

यह एक ऐतिहासिक विडंबना है क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका, जिसने खुले तौर से एक बाहूबलि के तानाशाही और बनावटी लोकतंत्र को नकारा, वह खुद को दलदल में तब फंसा पाता है, जब नियम कानून के राज की अव्हेलना होती और चुनाव परिणामों को मानने से इंकार कर दिया जाता है.

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थक, अपने कमांडर-इन-चीफ के चुनाव में धांधली और वोटरों के दमन के बेबुनियाद आरोपों को सही मान रहे थे, और इससे भी अधिक विडंबना यह है कि "उस दीवार के निर्माण" (जिसके लिए मेक्सिको कथित तौर पर भुगतान करेगा) के मुखर समर्थक थे, ने एक और दीवार को नजरअंदाज कर दिया.

पिछले साल 6 जनवरी को दंगाइयों ने कैपिटल हिल बिल्डिंग में लोकतंत्र के प्रतीक दोनों भवनों का खुलकर विरोध और उल्लंघन किया और बाद में एक मजबूत लोकतंत्र के गढ़ के रूप में पहचाने जानेवाले वाशिंगटन के कद की पवित्रता को भी धूमिल कर दिया.

अमेरिका अब एक चौराहे पर खड़ा है, शायद लंबे समय से है. लेकिन ट्रम्प प्रशासन के पिछले चार सालों में अभूतपूर्व ध्रुवीकरण देखा गया. अब मनिचियन एकाधिकार का एक नया रूप है, जिसमें जीरो-सम गेम खेला जा रहा है, "आप या तो हमारे साथ हैं या हमारे खिलाफ हैं."

अब अमेरिका के दो वैचारिक दृष्टिकोण मौजूद हैं, जो न केवल टैक्सेज, इमिग्रेशन, गर्भपात के अधिकार और बंदूक रखने के कानूनों पर विचारों के चलते बंटा हुआ है, बल्कि सैद्धांतिक रूप से, इसके मूल में, एक ऐसा दृष्टिकोण है जहां हर पक्ष दूसरे को उसका अमेरिका क्या है, उसके मायने क्या हैं और उसे कैसा होना चाहिए, ये तय करने के लिए अगले पक्ष के हाथों चाबी देने से बचना चाहता है.

यह हर पक्ष के अपने मजबूत विश्वास से और ज्यादा जटिल हो जाता है कि यह केवल उनकी अपनी सोच और आदर्श है जो उस "अमेरिकी अपवाद" के पतन की भावना को रोकेंगे, जो सितारों जड़े बैनर और उसके हर पचास राज्यों की आजादी के कारण है.

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अमेरिका के बुलंद आदर्श

यह एक Rashomon प्रभाव के Kurosawa भावना से प्रकट होता है, जहां एक ही घटना को अलग-अलग संस्करणों में अलग-अलग कारणों और अर्थों की अलग-अलग धारणाओं के साथ पेश किया जाता है. अपदस्थ और महाभियोग के आरोपों को लेकर चलनेवाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थक अभी भी यह मानते हैं कि चुनाव में धांधली हुई थी और वोटों की धोखाधड़ी की गई थी ("चोरी बंद करो", वे हंगामा जारी रखते हैं).

कुछ लोग आइसोलेशन, सोशल डिस्टेंसिंग और मेल-इन-बैलट यानी मेल से किए गए मतदान के COVID-19 प्रोटोकॉल को "धांधली" की इस फिलोसॉफी के लिए उपजाऊ जमीन के रूप में देखते हैं.

राष्ट्रपति ट्रम्प के विरोधियों, जिसमें ज्यादातर डेमोक्रेट और उदारवादी रिपब्लिकन, का मानना ​​​​है कि ट्रम्प भीड़ के पागलपन को भड़काने के लिए नैतिक तौर से जिम्मेदार हैं. उनका मानना ​​​​है कि हम अमेरिकी लोकतांत्रिक इतिहास के एक ऐसे युग में आ गए हैं, जहां लोकतंत्र का बहुत अनादर किया गया था और विडंबना यह है कि उन्हीं लोगों ने चोरी की थी, जिन्होंने चोरी के आरोप लगाए थे और अमेरिकी लोकतंत्र के संरक्षक बनना चाहते थे.

वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, "संघीय अभियोजकों ने 725 से ज्यादा लोगों पर हिंसक विद्रोह के जुड़े विभिन्न अपराधों के आरोप लगाए हैं." न्यूजवीक के एक हालिया विश्लेषण में कहा गया है कि 2021 में सजा सुनाए गए 71 कैपिटल दंगाइयों में से आधे से ज्यादा ने जेल के समय से परहेज किया है.

अमेरिकी अपवाद और सॉफ्ट पावर की सोच मौजूद हो सकती है, लेकिन सभी उदार लोकतंत्रों के आधार के रूप में इसके ऊंचे आदर्श निश्चित रूप से खत्म हो गए हैं. आने वाले वर्षों में, 6 जनवरी को केवल एक घटना या सिर्फ एक विसंगति के रूप में नहीं देखा जाएगा (जो कि यह बहुत अच्छी तरह से हो सकता है) बल्कि उस प्राथमिक घटना के रूप में याद किया जाएगा जिसने न केवल एक अमेरिकी इमारत की संवेदनशीलता पर रोशनी डाली, बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका में लोकतांत्रिक संस्थानों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की कथित संवेदनशील स्वभाव को भी उजागर किया है.

इतिहास पर एक दाग 

कैपिटल हिल बिल्डिंग आपको हर तरफ से सोख लेती है. इसकी मंत्रमुग्ध कर देने वाली वास्तुकला में नेशनल स्टैच्यूरी हॉल (पचास राज्यों में से प्रत्येक से दो) में 100 मूर्तियां हैं. रोटुंडा आपकी गर्दन को सीलिंग पर बने फ्रेस्को को निहारने के लिए खींचे रखते हैं. ऐतिहासिक पेंटिंग चारों ओर है, जिनमें क्रांति के दौर और स्वतंत्रता की घोषणा के साथ पूर्व राष्ट्रपतियों और सदन के पूर्व अध्यक्षों की खासियतों को उजागर करती हैं.

कैपिटल हिल के चारों ओर इतिहास है और स्टैच्यू ऑफ फ़्रीडम, इमारत के शीर्ष पर एक महिला की आकृति है, जो अब रो रही है. हां, इतिहास तो है, लेकिन 6 जनवरी के दंगों की घटनाएं भी अब कैपिटल के इतिहास का हिस्सा हैं.

(लेखक अक्षोभ गिरिधरदास वाशिंगटन डीसी से हैं, और भू-राजनीति, व्यापार, टेक और स्पोर्ट्स जैसे विषयों पर लिखते हैं. अक्षोभ दो बार TEDx और टोस्टमास्टर्स के सार्वजनिक वक्ता रहे हैं और फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी से ग्रैज्युएट हैं. उनका ट्वीटर हैंडल @Akshobh है. यह एक ओपिनियन पीस है. यहां लिखे विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है.)

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Published: 06 Jan 2022,10:46 PM IST

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