मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019‘मेनका जी 1 महीने की छुट्टी दिलाओ, मैं आपको गलत साबित करता हूं’

‘मेनका जी 1 महीने की छुट्टी दिलाओ, मैं आपको गलत साबित करता हूं’

केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने पैटरनिटी लीव को लेकर एक गैर-जिमेदाराना बयान दिया. जानिए क्या गलत कहा मेनका गांधी ने.

प्रशांत चाहल
नजरिया
Published:
महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी (फोटो: <b>द क्विंट</b>)
i
महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी (फोटो: द क्विंट)
null

advertisement

एक कामकाजी महिला को मां बनने पर 26 हफ्ते का अवकाश मिले. बच्चे को अमृत तुल्य स्तनपान कराने के लिए और जच्चा अवस्था से खुद को उभारने के लिए. चाहे वो प्राइवेट कंपनी में काम करती हो या फिर सरकारी मुलाजिम हो. श्रम मंत्रालय ने इन सिफारिशों और कुछ शर्तों के साथ एक बिल (मैटरनिटी बेनिफिट बिल-2016) तैयार किया और मानसून सत्र में उसे राज्यसभा में पास भी करवाया.

मैटरनिटी बिल पर हो रही चर्चा ने सोशल मीडिया पर पेटरनिटी लीव को लेकर भी एक बुझी-बुझी चर्चा को जन्म दिया. इस पर नजर डालें तो पैटरनिटी लीव का मसला मानवाधिकारों और श्रम कानूनों पर तर्क-वितर्क करने से ज्यादा बाल विकास का मुद्दा लगता है. लेकिन इस चर्चा को महिला बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने बुधवार सुबह भड़काया. उन्होंने दैनिक अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए अपने इंटरव्यू में पैटरनिटी लीव के मुद्दे पर कुछ गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी की. इसमें गैर-जिम्मेदाराना क्या था? इसका जवाब आगे. पहले पढ़ें कि मेनका गांधी ने शब्दश: क्या कहा-

(फोटो: इंडियन एक्सप्रेस अखबार से स्क्रीनग्रैब)
इस देश में, जहां पुरुष अपनी सालाना मिलने वाली छुट्टियों को भी बचाए रखते हैं और उन्हें कभी भी बच्चों की परवरिश के लिए इस्तेमाल नहीं करते. उन्हें <b>पैटरनिटी बेनिफिट देने का कोई फायदा नहीं.</b> अगर पुरुष अपनी पत्नी की 26 महीने की मैटरनिटी लीव खत्म होने के बाद एक महीने की सिक लीव (बिमारी की छुट्टी) लेकर बच्चे का पालन पोषण करें. तो पैटरनिटी लीव के बारे में सोचा जा सकता है. वरना छुट्टियां मनाने के लिए ऐसी लीव क्यों दी जानी चाहिए.

इस टिप्पणी में कई ऐसी चीजें हैं, जो एक केंद्रीय मंत्री के तौर पर, वो मंत्री जिसे बाल कल्याण का जिम्मा दिया गया है, बेहद गैर-जिम्मेदाराना है.

उनके इस बयान में जेंडर बायस साफ दिखाई देता है. साथ ही अपनी बात को सही साबित करने के लिए उन्होंने श्रम कानूनों को गलत ढंग से इस्तेमाल करने की तरफदारी भी की. इस तथ्य को दरकिनार करते हुए कि हमारे देश में आज भी हर तरह की प्राइवेट नौकरी कर रहे लोगों के श्रमिक अधिकार सुरक्षित नहीं हो सके हैं.

मैं आग्रह करता हूं कि दिल्ली जैसे बड़े शहरों में अपने परिवार से दूर रहकर प्राइवेट नौकरी कर रहे कर्मचारियों को, जो वॉट्स-एप और फेसबुक पर अपने महीने-दो महीने के बच्चे को बढ़ता देख रहे हैं, उसे बिना छुए मुस्कुरा रहे हैं और हर बार अपने मन को दबाकर बैठ जाते हैं, मेनका गांधी एक नजर देखें. उनके एंप्लॉयर को एक दफे बच्चा पालने के लिए महीने भर की सिक लीव देने के लिए मनाकर दिखाए. पितृप्रेम की चैकिंग बाद में करें.

अंतरराष्ट्रीय श्रम कानूनों के मुताबिक दुनिया के 78 देशों में पुरुषों को पेड पैटरनिटी लीव की सुविधा मिली हुई है. इन देशों में मैटरनिटी, पैटरनिटी, अडॉप्शन से लेकर फैमिली लीव के नाम से यह सुविधा दी जाती है.

इंडिया में भी कुछ कंपनियां 1, नहीं तो 2 हफ्ते की पैटरनिटी लीव देने लगी हैं. लेकिन बहुत सारी ऐसी कंपनिया भी हैं, जहां यह लीव एक दिन की भी नहीं है.

पैटरनिटी लीव पर कुछ डेटा…

  • ब्रिटेन में पिता बनने पर 1 साल की छुट्टी मिलती है. इस नियम को अप्रैल, 2015 से लागू किया गया.
  • स्वीडन में पिता बनने पर 1 साल की छुट्टी का नियम 1974 से ही लागू है.
  • चीन, भारत और अमेरिका में श्रमिकों को ऐसी कोई सुविधा नहीं दी जाती.
  • अमेरिका अकेला ऐसा विकसित देश है, जहां मां को भी सिर्फ 12 हफ्ते की छुट्टी देने का प्रावधान है.
  • फ्रेंच भाषी अफ्रीकी देश, जापान, दक्षिण कोरिया और ज्यादातर यूरोपियन देश इस मामले में अमेरिका और भारत से बेहतर हैं.

बच्‍चों को कुछ सिखाना भी एक कला है (फोटो: iStock)

भारतीय पिता शर्मिंदा न हों

भारत में पिता बच्चे की परवरिश से खुद को आजाद रखते हैं और महिलाओं का शोषण किया जाता है. हरियाणा में तो बाप अपने बच्चे को गोद में लेने को गलत मानता है. उसे लगता है कि यह काम सिर्फ महिलाओं का है. इसके बाद बताया जाता है कि भारत में स्थिति वेस्ट की तुलना में ज्यादा खराब है. ये कुछ ऐसे लॉजिक हैं, जो कट्टर महिलावादी कहते सुने जाते हैं.

लेकिन एक ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा कराए गए सर्वे में पाया गया कि प्रति 500 मां पर एक पिता ने पैटरनिटी लीव ली. यूके में 40% पिताओं ने बच्चे की परवरिश के लिए छुट्टी लेना ठीक नहीं समझा. और अमेरिका में यह स्थिति और भी खराब दिखी. वहां 76% पिता ऐसे मिले, जिन्होंने अपने बच्चे के जन्म के एक हफ्ते के भीतर ही दफ्तर जॉइन कर लिया. 96% पिता दो हफ्ते पूरे होने से पहले ऑफिस लौट आए. हालांकि इस रिपोर्ट में इन पुरुषों के काम पर वापस लौटने के मुख्य कारणों का कोई जिक्र नहीं किया गया.

बच्चा मां और बाप दोनों का

हमें इस मानसिकता से बाहर आना होगा कि बच्चे की जिम्मेदारी सिर्फ एक मां की होती है. और पिता उसकी परवरिश में शरीक नहीं होना चाहते. वो भी ऐसे माहौल में, जब एक जोड़े में रहे पति-पत्नी खुद को वर्किंग क्लास का हिस्सा बनाए रखना चाहते हैं. वो पसंद से शादी करते हैं. एक न्यूक्लियर परिवार संभालते हैं. या फिर जॉइंट फैमिली भी. वो आत्मनिर्भर रहना चाहते हैं और दुख-सुख में एक दूसरे के पक्के सहयोगी हैं. उनके लिए एक बच्चा किसी के हिस्से में तकसीम नहीं हो सकता. वो उन दोनों का है. और उस बच्चे को दोनों का वक्त भी चाहिए.

पहली बार नींबू का स्वाद चखते इस बच्चे को देखिए. (फोटोः AP)
लिंग के आधार पर होने वाली गैरबराबरी को अपने समाज से तभी हटाया जा सकता है, जब हम अपने घरों में जेंडर के आधार पर तरफदारी करना छोड़ दें. इसे संभव बनाने के लिए पिता का बच्चे की परवरिश में बराबर का हिस्सेदार बनना बेहद जरूरी है. और इसके लिए पैटरनिटी लीव एक बड़ी जरूरत है.

पैरेंटिंग एक्सपर्ट और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लॉरेंस बाल्टर के मुताबिक, एक पिता का अपने नवजात शिशु के साथ अच्छा खासा समय गुजारना बहुत जरूरी है. इससे न सिर्फ बच्चे में, बल्कि पिता में भी बच्चे के प्रति बेहतर और संवेदनशील रिश्ता बन पाता है.

वैसे सबसे पहले स्केंडीनेवियन देशों में पॉलिटिकल लेफ्ट ने इस चर्चा को जन्म दिया कि बच्चे की परवरिश के लिए दी जाने वाली छुट्टियों का मकसद तब तक पूरा नहीं हो सकता, जब तक यह मां और पिता, दोनों को बराबर ढंग से नहीं दी जाएं. लेकिन श्रम कानूनों के प्रति गैर-उदारवादी रवैया रखने वाले देश वैचारिक स्तर पर अभी यह नहीं सोच पा रहे हैं. शायद मेनका गांधी ने भी इन बातों पर गौर नहीं किया.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT