मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019आखिर तमिल और पंजाबी क्यों करते हैं एक दूसरे पर इतने जोक्स?

आखिर तमिल और पंजाबी क्यों करते हैं एक दूसरे पर इतने जोक्स?

पंजाबियों ने पन्नीरसेल्वम नाम में लगे पनीर पर खूब मजे लिए,उन्हें नहीं पता ‘बेदी’ का मतलब तमिल में लूजमोशन होता है

टीसीए श्रीनिवास राघवन
नजरिया
Updated:
(फोटो : द क्विंट)
i
(फोटो : द क्विंट)
null

advertisement

जनवरी से देश में जलीकट्टू को लेकर प्रदर्शनों की शुरुआत होने के बाद एक पुरानी बात मुझे याद आई: तमिलों से पंजाबी इतना हैरान क्यों होते हैं? तमिलनाडु में ऐसा क्या है कि उत्तर भारतीय मीडिया में वहां की राजनीति और सोशियोलॉजी को छोड़कर दूसरी कोई खबर नहीं दिखती? वैसे इस राज्य का सही उच्चारण तमिलनाड है, तमिलनाडु नहीं.

मेरी बातों का गलत मतलब मत निकालिए. मुझे पंजाबियों से कोई गिला नहीं है, भले ही मैं तमिलनाडु से आता हूं.

दरअसल, मैं जितना तमिल हूं, उतना ही पंजाबी. सच तो यह है कि मेरे अच्छे दोस्तों में ज्यादातर पंजाबी हैं. उसकी वजह यह है कि मैं जब 7 साल का था, तब मेरे पिता की पोस्टिंग दिल्ली हो गई थी. इसलिए मैं इस शहर में 1958 से रह रहा हूं. उससे पहले मैं मध्य प्रदेश में रहता था. मेरी स्कूली पढ़ाई दिल्ली में हुई, जैसा कि बंटवारे की वजह से पाकिस्तान से आए कई शरणार्थियों की. इन लोगों ने इससे पहले किसी मद्रासी को नहीं देखा था.

पंजाबी कपूर, खुराना, भल्ला, खुल्लर, मल्होत्रा कहलाते थे. उनके पैरेंट्स ने जाने किस वजह से बताया था कि मद्रासी काले और कमजोर होते हैं. मैं ना तो काला था और ना ही कमजोर. इसलिए पंजाबी बच्चे मुझे देखकर हैरान हो जाते थे.

कुल मिलाकर मैं यह कहना चाहता हूं कि मैं उन लोगों के साथ बड़ा हुआ, जिन्हें मेरी मां जंगली मानती थीं और जो मुझे किसी दूसरे ग्रह से आया प्राणी. मेरी मां का सबसे बड़ा डर यह था कि मैं पंजाबियों की तरह ना बन जाऊं. उनका यह डर सही साबित भी हुआ. मैं पंजाबियों की तरह आक्रामक, गालियां देने वाला, मीट खाने वाला और ना जाने और क्या-क्या करने लगा.

मेरे पिता ने एक बारीक फर्क की तरफ इशारा किया. उन्होंने कहा कि दिल्ली, हरियाणा और पश्चिम यूपी के बीच पड़ता है और मैं अभी गुड़गांव में रहता हूं, इसलिए वह मुझे ऑनररी जाट कहते हैं.वहीं, चेन्नई में रिश्तेदार मुझे पंजाबी कहते थे क्योंकि मैं उसी अंदाज में तमिल बोलता था. आज भी जब मैं चेन्नई में तमिल बोलता हूं तो वे मुझे दिल्ली से आया विदेशी मानते हैं. और हां वो मुझे ठगने की भी कोशिश करते हैं.

सच तो यह है कि मुझे उत्तर भारत और दक्षिण भारत दोनों जगह ‘बाहरी’ माना जाता है. हालांकि, इस मुश्किल का सामना करने वाला मैं अकेला शख्स नहीं हूं. दिल्ली में रहने वाले कई तमिलों के साथ ऐसा होता है, जो यहां लंबे समय से रह रहे हैं. हालांकि, मैं खुद को सम्मानित भी महसूस करता हूं क्योंकि इसी वजह से मैं उत्तर और दक्षिण भारतीयों दोनों की सही पहचान कर सकता हूं. या ये कहें कि मैं पंजाबियों के बारे में मेरी समझ अच्छी है.

विंध्य के उत्तर में रहने वाले सभी भारतीयों में सिर्फ पंजाबी ही तमिलों को अजूबा मानते हैं. उत्तर भारत के दूसरे राज्यों के लोगों के साथ ऐसा कोई ‘मसला’ नहीं है. हैरानी की बात यह है कि तमिल भी पंजाबियों को विचित्र मानते हैं.

दरअसल, तमिलों की जो राय पंजाबियों के बारे में है, उसी तरह की राय पंजाबियों के बारे में उनकी है. मैं यह बात ताल ठोककर कह सकता हूं कि क्योंकि मेरे भाई, कजिन, भतीजियों और भतीजों ने पंजाब को छोड़कर हर राज्य के लोगों के साथ शादियां की हैं. मेरी एक बहन की शादी लाहौर और मध्य प्रदेश की तमिल फैमिली में हुई है. मेरे अंकल ने 1952 में यूपी की एक लड़की से शादी की थी.

आपको कहीं भी तमिलों को लेकर पंजाबियों जैसे पूर्वाग्रह नहीं दिखेंगे और जैसा कि मेरे परिवार के मैरिज रिकॉर्ड से पता चलता है कि पंजाबियों के खिलाफ तमिलों की जो सोच है, वैसी भी ढूंढे से नहीं मिलेगी. इस मामले में रघुराम राजन और चेतन भगत जैसे लोग अपवाद हैं. दोनों समुदाय एक दूसरे के बारे में बहुत कम जानते हैं और इसलिए उनके मन में कई गलतफहमियां हैं.

पंजाबी मूल के चेतन भगत ने तमिल मूल की अनुशा से शादी की है. इसी लव स्टोरी पर उन्होंने ‘टू स्टेट्स’ नाम का नॉवेल लिखा था (फोटो: ट्विटर)

जलीकट्टू और एआईएडीएमके मामलों से यह साबित भी हो गया है कि पंजाबियों को तमिल समाज के बारे में कुछ नहीं पता और तमिल भी सिख और पंजाबी हिंदू का फर्क नहीं जानते. पंजाबियों को लगता है कि सारे तमिल शाकाहारी होते हैं और तमिल सोचते हैं कि पंजाब का हर शख्स मांसाहारी होता है. यह सच नहीं है. जैसा कि चीन में कहा जाता है, ये दोनों भारतीय समाज के यिंग और यांग हैं.

इसका पता इससे भी चलता है कि दोनों कुछ नाराजगी के साथ एक दूसरे का सम्मान भी करते हैं. पंजाबी सहकर्मी के रूप में तमिलों का सम्मान करते हैं, जबकि तमिल उनसे इसलिए खुश रहते हैं कि वो हाथ में काम लेने पर उसे हर हाल में पूरा करते हैं. इसके बावजूद जब वे एक दूसरे के बारे में बात करते हैं तो घृणा और गाली के साथ. मैं आपको इसकी कई मिसालें दे सकता हूं. इस बारे में समाजशास्त्रियों को शोध करनी चाहिए. इसमें कई पीएचडी आपका इंतजार कर रही है.

पंजाबियों ने पन्नीरसेल्वम के नाम में लगे पनीर पर खूब मजाक उड़ाया. यहां तक कि उनके नाम की तुलना मटर पनीर से तक कर दी. लेकिन उन्हें पता नहीं है कि ‘बेदी’ का मतलब तमिल में लूजमोशन होता है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 18 Feb 2017,02:32 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT