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यादवी अहंकार का टकराव - दूसरे गृह युद्ध की शुरुआत

विधानसभा चुनाव में टिकट के बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी में छिड़ सकता है गृह युद्ध.

विवेक अवस्थी
नजरिया
Published:
(फोटोः Twitter)
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वक़्त ने किया क्या हसीं सितम , तुम रहे न तुम हम रहे न हम

उत्तरप्रदेश में सत्ता पर काबिज यादव कुनबे में अहंकार का टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. एक ओर हैं पिता और समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव. तो सामने खड़े हैं उनके मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव. अखिलेश कुछ समय पहले तक ये दिखाने की कोशिश कर रहे थे कि घर परिवार मे सब ठीक-ठाक है और अब खुलकर अपने तल्ख तेवर दिखा रहे हैं.

दागियों से दूर अखिलेश, शिवपाल दे रहे शह

(फोटो: Twitter)

झगड़ा फिर से शुरू हुआ दागी नेता अमरमणि त्रिपाठी के विवादस्पद बेटे अमनमणि को लेकर. अमरमणि और उनकी पत्री, काव्यत्रि मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में जेल में हैं. वहीं उनके बेटे अमनमणि पर अपनी ही पत्नी की हत्या का संगीन आरोप है और सीबीआई इस केस की जांच कर रही है.

उम्मीदवारों की घोषणा से बेखबर अखिलेश

(फोटो: Twitter)

कुछ समय पहले मुलायम ने अखिलेश को समाजवादी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर अपने भाई और प्रदेश के ताकतवर मंत्री शिवपाल यादव को ये पद सौंप दिया. टिकट का बंटवारा प्रदेश अध्यक्ष के हिस्से में आता है, सोमवार ही शिवपाल ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए विधानसभा चुनावों के लिए 9 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर डाली.

इसमें सबसे चौंकाने वाला नाम महाराजगंज की नौतनवा सीट से अमनमणि त्रिपाठी का था.

पत्रकारों ने जब इस बाबत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बात की तो उन्होंने कहा कि आजकल पार्टी में जो भी हो रहा है वो या तो उन्हें पत्रकारों से मालूम होता है या फिर आधिकारिक ईमेल के माध्यम से.

अखिलेश के बयानों से साफ लग रहा है कि खेल लंबा चलेगा और पार्टी की बिसात पर अभी कई मोहरे गिरकर फिर उठेंगे. शह तो कई दिए जाएंगे लेकिन मात फिलहाल किसी की नहीं होगी. अखिलेश ने कहा भी है कि तुरूप का पत्ता उनके हाथ में है और वक्त आने पर वे उसका इस्तेमाल करेंगे.

चुनाव के वक्त तक चलेगी आपसी खींचतान

(फोटो: Twitter)

मतलब साफ था कि चुनाव अभी दूर है और चुनाव आने तक उम्मीदवार बदले भी जा सकते हैं. इस बीच वरिष्ठ पार्टी नेता रामगोपाल यादव ने आग मे पानी डालने की कोशिश मे मीडिया में बयान दिया कि पार्टी मे टिकट बंटवारे को लेकर कोई मतभेद नहीं है. लेकिन उनका बयान महज एक राजनीतिक लीपापोती वाला बयान है- ये कहने में कोई संशय नही होना चाहिए.

बाप-बेटे में बिगड़ी तो अलग हो गए घर

पिता पुत्र के रिश्तों मे कड़वाहट का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अब तक पूरा परिवार 5 विक्रमादित्य मार्ग के बंगले मे रहता था. ये बंगला मुलायम सिंह यादव को पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से अलॉट हुआ था. अब चुनाव सामने है और इसके बगल का 4 विक्रमादित्य मार्ग का बंगला अखिलेश यादव को अलॉट हुआ है.

जब से रिश्ते बिगड़े हैं, दूरियां भी बढ़ी हैं. मुख्यमंत्री अखिलेश ने राज्यसम्पत्ति विभाग के अधिकारी को आदेश दिये कि 4 विक्रमादित्य मार्ग को उनके और उनके परिवार के रहने के लिए तैयार कर दिया जाए. यहां काम जोरशोर से चल रहा है सफाई और रंग रोगन हो चुका का है और इसी महीने की 8 तारीख- यानी नवरात्रि की अष्टमी के दिन अखिलेश अपनी पत्नी डिम्पल और तीनों बच्चों के साथ यहां शिफ्ट हो जाएंगे. मतलब साफ है कि पिता पुत्र के रिश्ते एक ऐसे मोड़ पर आ गए हैं कि दोनों को अब एक छत के नीचे साथ रहना भी गवारा नही.

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