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खुले पत्र वास्तव में बहुत खराब होते हैं.
अक्सर आडंबरपूर्ण बयानबाजी भरे, यह कथित रूप से संचार का लोकतांत्रिक तरीका, मेगाफोन चलाकर घोड़े पर सवार होने, केवल खुद के सही होने के नशे में चूर होने के लिखित के समान बन जाता है. इसलिए इस्लामिक शोध संस्थान और पीस टीवी के संस्थापक जाकिर नाइक के लिखने से पहले यह सिर्फ समय की बात थी.
जाकिर नाइक तब निशाने पर आए जब 1 जुलाई को ढाका बेकरी पर हुए हमले में शामिल एक हमलावर ने खुद को उनका अनुयायी बताया. उनकी संस्था और उनकी ईसाई धर्म संबंधी गतिविधियों की आगे की जांच में उन पर जबरदन धर्म परिवर्तन कराने, वित्तीय धोखाधड़ी और भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे.
हाल ही में भाजपा ने इन पर आरोप लगाया था कि इन्होंने आईआरएफ के जरिए राजीव गांधी फाउंडेशन को 50 लाख रुपये दिए हैं. भाजपा ने इसे रिश्वत कहा है लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक दान था, जिसे आईआरएफ और नाइक से जुड़े विवाद के सामने आने के बाद तुरंत लौटा दिया गया.
यह आखिरी आरोप उन्हें परेशान करने के लिए काफी था और नाइक ने एक 2000 शब्द का पत्र जारी कर डाला, जिसमें उन्होंने झूठे आरोप लगाने की दुहाई दी और जोर देकर कहा कि उन पर हमला करना 20 करोड़ मुसलमानों पर हमला करने जैसा है।
चलिए सीधे बोलने वाले के मुंह से सुनते हैं, क्या सुनाएं?
कश्मीर में जो हो रहा है वह देश के लोकतंत्र के लिए खतरा है; न कि एक लंबी जांच-पड़ताल के बाद किसी व्यक्ति और उसकी संस्थान पर प्रतिबंध लगाना.
वाह, अब इन्होंने धर्म के पत्ते चल दिए. नाइक केवल एक व्यक्ति की संस्था के खिलाफ चल रही जांच को सांप्रदायिक रंग देने की पूरी कोशिश करते हैं. अगर वह सावधानी नहीं बरतते हैं, तो उन पर सांप्रदायिका हिंसा भड़काने की कोशिश के आरोप भी लग सकते हैं.
हद है, यह तो ‘अपने मुंह मियां मिठ्ठू’ वाली बात हो गई. नाइक ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की साल 2010 की 100 सबसे ताकतवर भारतीयों की सूची में 89 नंबर पर थे और उनके ट्विटर पर 1 लाख 30 हजार फॉलोअर (हालांकि उन्होंने सत्यापित नहीं किया) हैं, भारत में मुस्लिम समुदाय के एक नेता के तौर पर यह स्व—निर्धारित भूमिका उन पर ठीक नहीं बैठती.
ढाका हमलों के बाद, सभी संप्रदायों के मुस्लिम मौलवियों ने कुरान की गलत व्याख्या और अपने इंजीलवाद के साथ मुस्लिमों को बहकाने के लिए नाइक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की मांग करके एक अद्भत एकता दिखाई थी.
मुंबई पुलिस ने नाइक को उकसाने वाले भाषण और अवैध गतिविधियों के लिए दोषी पाया.
कथित आतंकियों की रिकॉर्ड किए गए बयानों के आधार पर नाइक के पर ऊपर अपने उपदेशों के जरिए आतंक के लिए उकसाने के आरोप लगे हैं. इसमें साल 2006 के मुंबई ट्रेन धमाकों के आतंकवादी भी शामिल हैं.
फिर से धार्मिक पत्तों के साथ. और आईआरएफ की संदिग्ध गतिविधियों की जांच पर आधारित यह प्रतिबंध शांति, लोकतंत्र और न्याय के खिलाफ हमला नहीं है.
रिश्वत देकर धर्मांतरण, आईएसआईएस के लिए भर्तियों से लेकर वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों तक, उनके संस्थान के बारे में कम है, आईआरएफ, आरोपी नहीं है. नाइक पर टीवी चैनल में चैरिटी का पैसा लगाने का आरोप लगा हुआ है.
ओसामा बिन लादेन की तारीफ से लेकर समलैंगिकता के लिए मौत की सजा तक, चोरी के लिए हाथ काटने की सजा सही ठहराने से लेकर महिला दासियों से मुस्लिम पुरुषोंं के संभोग के अधिकार को समर्थन तक, नाइक की वैचारिक इतिहास सड़ांध से भरा है.
कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह अपनी बयानबाजी में कितने प्रश्न चिह्न (वैसे 35) लगाते हैं या वह खुद को भारतीय मुसलमानों के प्रवक्ता के तौर पर पेश करने की कितनी तीव्र इच्छा रखते हैं, उनकी आवाज किसी के लिए नहीं बल्कि उनकी खुद की विकृत मानसिकता के लिए है.
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Published: 13 Sep 2016,11:58 AM IST