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गाड़ियों का शौक है, इसीलिए ऑटो एक्सपो में जाना अच्छा लगता है. गाड़ियों का अपनी लय होती है. अपनी दुनिया है जिसमें स्पीड है, एक सहयोगी वाली फीलिंग है. एक तरह का वफादार साथी जो अमूमन साथ निभाता है. वो अपना इगो थोपता नहीं है. फालतू की किचकिच नहीं करता है. और वो ताड़ने वाला भी नहीं है.
लेकिन गाड़ियों के लिए मॉडल्स की नुमाइश मुझे कभी पसंद नहीं आई. गाड़ी की बारिकियों को समझाने का काम मेल्स करें. उनकी डिजाइन्स, उसके फीचर्स स्मार्टली ड्रेस्ड मेल्स बताएं. लेकिन उसको भद्दे ढ़ंग से प्रमोट करें फीमेल मॉडल्स?
पूरी दुनिया का यही ट्रेंड रहा है और वो भी सालों में मैंने रिपोर्ट्स पढ़ी है कि जेनेवा मोटर शो में इस साल भी फीमेल मॉडल्स की बहुतायत है. यहां पिछले सालों की तुलना में इस बार थोड़ा कम. लेकिन ट्रेंड अब भी कायम है.
मारुति के टॉप मैनेजमेंट में मैंने किसी फीमेल को नहीं देखा है. वही हाल शायद टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा का. ये सारी बड़ी कंपनियां हैं. काफी सम्मानित और अच्छे से चलने वाली, लेकिन इन कंपनियों में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व खास नहीं है.
अगर जरूरी कामों में फीमेल्स नहीं हैं तो भद्दे नुमाइश के लिए ही सिर्फ क्यों? मेरा विरोध सिर्फ इसीलिए है. मॉडलिंग से मुझे कोई चिढ़ नहीं है. अच्छा करियर ऑप्शन है. शायद ब्रांड प्रमोशन का असरदार तरीकों में से एक है. यह जारी रहे कोई ऐतराज नहीं. मुझे चिढ़ इस बात से होती है कि फीमेल्स को सिर्फ इसी रोल्स में पेश नहीं किया जाए. हम ऑलराउंडर हैं और हमें उसी नजर से देखा जाए.
(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)
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