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करणी सेना वालों, आपको कोटि-कोटि धन्यवाद.
आपने हमारी आंखे खोल दीं. हर दिन हमारा अपमान होता रहा और हम चुपचाप सहते रहे. कभी किसी ने ‘बिहारी जाहिल’ कह दिया तो किसी ने अनपढ़ गंवार. मुबई में तो आए दिन ‘भैय्या’ की पदवी से नवाजा गया. लेकिन हम सहते रहे. दरअसल, आधुनिक जुमलों के बंधन में हमारी कौम कैद रही है. कभी यह मानकर चुप रह गए कि बोलने की आजादी तो सबको है. कभी मन में ‘रुल ऑफ लॉ’ को मानने की मजबूरी.
लगता था कि अपमान के बदले अगर किसी को नाक काटने की धमकी देते हैं तो जेल में चक्की पीसनी पड़ेगी. 'प्रतिशोध' जैसे शब्द पुराने लगते थे. हम कितने गलत थे. लगता था कि बिहारीपन में तो पूरी आस्था है, लेकिन दूसरों की आस्था, मान्यता और विचारों को भी तो मानना पड़ेगा. चूंकि गांधी बाबा के आंदोलन की शुरूआत बिहार के चंपारण में हुई थी तो हम बिहारियों पर गांधी बाबा के सिद्धांतो का भूत सवार था. उनके अहिंसा, सहिष्णुता की बातों को मानने की कोशिश करते हैं. अपने ही देश में गांधी जी इतनी तेजी से आउटडेटेड हो गए हैं, इसका ठीक से एहसास तो करणी सेना ने ही दिलाया.
करणी सेना का ही योगदान है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बिल्कुल थोथली लगने लगी है. काहे की स्वतंत्रता. हम कुछ लिखें या बोलें- दूसरो को लगता है कि इससे उनका अपमान हो रहा है तो वो हमसे बदला लेने के लिए के लिए आजाद. 'फ्रीडम ऑफ प्रेस' क्या बला है, क्रिएटिव फ्रीडम का लाइसेंस कहां से लिया. हमें हमारी आस्था प्यारी है, हमारा कल्चर सर्वोपरि है, हमारी परंपरा के आगे कुछ नहीं. कोई इसे दूसरी तरह से कैसे पेश कर सकता है?
बलि प्रथा हमारी परंपरा का हिस्सा रहा है. शादी में दहेज का लेन-देन सदियों से चलता आ रहा है. कम उम्र में शादी तो चलता रहा है.
तो जरा आपको बता दें कि बवाली सेना का काम क्या होगा. हमारा मिशन होगा- बिहारी अस्मिता की रक्षा करना. उन सब बातों का पुरजोर विरोध करना जिनसे बिहारी मान्यता तो ठेस पहुंचती है. अब चेतन भगत टाइप्स बिहारी के बारे में - आई गोइंग, यू कमिंग बोल के तो देखें. हमारी ब्रिग्रेड ऐसे लोगों की नरेटी पर कंट्रोल करने में देर नहीं करेगी. ऐसे लोगों का फैर बोला देंगे.
हमारी मांगों की भी एक लंबी लिस्ट होगी. सबसे पहला कि 'बिहारीपन' को एक धर्म का दर्जा दिया जाए. बिहारी बोली को राष्ट्रीय भाषा घोषित की जाए. लाठी को राष्ट्रीय हथियार और ठेकुआ को राष्ट्रीय आहार. एम्स में स्पेशल बिहारी वॉर्ड हो और संसद में भी एक रिजर्व हिस्सा. देश में एक संविधान के साथ-साथ एक बिहारी संविधान भी हो जिसमें बिहारीपन को कोडिफाई किया जाए. हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों में बिहारियों को वरीयता मिले और यूपीएससी की परीक्षा में बिहारियों के लिए 50 फीसदी रिजर्वेशन.
और ध्यान रहे कि इन मांगों को बेतुका बताने वालों पर गालियों की बौछार होगी और लाठियों की बरसात. हम सोशल मीडिया की वर्चुअल ट्रोलिंग पर भरोसा नहीं करते. असल ट्रोलिंग हमारा हथियार है. जिनको हमारी बातों से असहमति है वो तेल लेने जाएं. हम बिहारी हूं और हमारी है बवाली सेना. एक ठो आखिरी बात- हम अपने अध्यक्ष का चुनाव स्वादानुसार करेंगे.
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