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भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक ‘भाई दूज’ आज मनाया जा रहा है, ये त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें व्रत पूजा कर भाईयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं .
इस दिन बहनें सुबह स्नान करके विष्णु और गणेश भगवान की पूजा करती हैं.
सबसे पहले बहनें चावल के आटे से चौक तैयार करें.
पूजा की थाली में सिंदूर, फूल, पान, सुपारी, चावल, दिया और मिठाई रखें .
बहनें, भाईयों को तिलक लगाएं और हाथ में कलावा बांधें और फिर उनकी आरती उतारें.
शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर दिए का मुख दक्षिण दिशा की ओर करके रखें.
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमराज को अपने घर पर भोजन कराया था. उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और उन्हें तृप्त किया गया. वे पाप-मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गये और सब के सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार संतोष पूर्वक रहे.
उन सब ने मिलकर एक महान उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था. इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई. जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती है.
इस दिन गोधन कूटने की प्रथा भी लोकप्रिय है. इस दिन यमराज और यमुना जी के पूजन का विशेष महत्व है.
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