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चैत्र नवरात्र 2020 शुरू हो चुके हैं और इसके पहले दिन की शुरुआत मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के साथ हुई. आज चैत्र नवरात्र का दूसरा दिन है. लोग आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं. ब्रह्मचारिणी नाम ब्रह्म से बना है. 'ब्रह्म' शब्द का अर्थ है- तपस्या और 'चारिणी' का मतलब होता है- आचरण. इस तरह मां ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली.
नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है. शास्त्रों के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह की शासक हैं. वह भाग्य दाता हैं और अपने भक्तों के दुख-दर्द को दूर करती हैं. मंगल दोष और कुंडली में मंगल प्रतिकूल स्थिति से होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है.
ऐसा माना गया है कि मां ब्रह्मचारिणी को चमेली का फूल काफी पसंद है. दूसरे दिन नवरात्रि पूजा करते समय चमेली के फूल अर्पित करें और माता का आशीर्वाद पाएं. पूजा करते समय माता ब्रह्मचारिणी के दिव्य रूप का ध्यान किया जाता है और पूजा समाप्त करने के लिए आरती के बाद सोलह तरह के प्रसादों का भोग लगाया जाता है.
मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में जप करने वाली माला और दूसरे में कमंडल होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए बहुत तपस्या की थी जिस कारण उन्हें तपश्चारिणी भी कहा जाता है.
नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की उपासना करते समय हरे रंग के कपड़े पहनने से लाभ मिलता है.
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