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देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जा रहा है. ये पर्व महाराष्ट्र में बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. हर साल लाखों की तादाद में भक्त अपने घर गणपति की मूर्ति स्थापित करते हैं और अपनी श्रद्धा के अनुसार, कुछ दिनों बाद विसर्जन कर, पर्व का समापन करते हैं. भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन करते समय हमें प्रकृति का भी ध्यान रखना चाहिए.
इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह बिना प्रकृति को नुकसान पहुंचाए आप ईको फ्रेंडली गणेश चतुर्थी मना सकते हैं.
आमतौर पर बाजार में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां मिलती हैं. इन्हें विसर्जित करने से पॉल्युशन के साथ साथ पानी में रहने वाले जीव जंतुओं को भी भारी नुकसान होता है. इसलिए ऐसी मूर्ति खरीदने की कोशिश करें जो ईको फ्रेंडली हो. इसके लिए आप घर पर ही मिट्टी से ईको-फ्रेंडली गणेश मूर्ति बना सकते हैं.
अगर मूर्ति नॉन डिग्रेडेबल है तो भी आप प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना इसका विसर्जन कर सकते हैं, इसके लिए आपको बस आर्टिफिशियल टैंक बनाकर उसमें पानी भरना है. कई शहरों में ये तरीका अपनाया भी जाने लगा है.
ईको फ्रेंडली गणेश चतुर्थी मनाने के लिए जरूरी है कि बिजली की भी बचत की जाए. आप लैंप, लाइट्स और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही करें.
गणेश चतुर्थी के मौके पर सजावट के लिए प्लास्टिक से बने सामानों का इस्तेमाल करने से बचें. इसकी जगह ताजे फूल, पत्तियों और दीयों का इस्तेमाल करें. आप चाहें तो रंगोली भी बना सकते हैं. कई लोग घरों के बाहर प्लास्टिक से बने बंदनवार लगाते हैं लेकिन आप फूल, मिट्टी, धागों, कपड़ों से घर पर भी बंदनवार बना सकते हैं.
अक्सर लोग अपने घरों और सोसाइटी में अलग अलग मूर्ति की स्थापना करते हैं. इससे कई मूर्तियों का पानी में विसर्जन होता है जिससे पॉल्युशन की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए कई पंडाल बनाने से अच्छा है एक जगह ही मिलकर गणेश की प्रतिमा स्थापित करें. इससे आपस में भाईचारा भी बना रहेगा प्रकृति को भी कम नुकसान झेलना पड़ेगा.
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