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Pradosh Vrat March 2021: मार्च माह का पहला प्रदोष व्रत 10 मार्च को मनाया जाएगा. बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहते हैं. इस दिन भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा और व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
प्रदोष व्रत के अगले दिन 11 मार्च को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी. ऐसे में शिवभक्तों के लिए यह दोनों दिन बेहद खास हैं. इसलिए इस बार का प्रदोष व्रत काफी खास माना जा रहा है.
मान्यता है कि सबसे पहले प्रदोष व्रत को चंद्रदेव ने रखा था. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से चंद्रमा को क्षय रोग से मुक्ति मिल गई थी. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना की जाती है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख, शांति और खुशहाली हमेशा बनी रहती हैं.
प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है. इसे प्रदोष काल कहा जाता है. इस दौरान स्नान के बाद पूजा के लिए बैठें. भगवान शिव और माता पार्वती को चंदन, पुष्प, अक्षत, धूप, दक्षिणा और नैवेद्य अर्पित करें. महिलाएं मां पार्वती को लाल चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं. मां पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करना शुभ माना जाता है.
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