Ganesh Chaturthi 2022: भगवान श्री गणेश जी के 8 प्रमुख स्वरूपों की विशेषताएं
गणेश जी ने 8 प्रमुख अवतार लिए हैं, हर अवतार के नाम का विशेष महत्व है.
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धर्म और अध्यात्म
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Ganesh Chaturthi 2022
(फोटो-क्विंट)
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आज यानी 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी(Ganesh Chaturthi 202) है. दस दिन बाद अनंत चतुर्दशी 9 सिंतबर को गणपति विसर्जन होगा. गणेश ज्ञान और बुद्धि के ऐसे देवता हैं,जिनकी उपासना से जीवन में सुख-समृद्धि,सफलता,मान-सम्मान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. गणेश जी ने 8 प्रमुख अवतार लिए हैं, हर अवतार के नाम का विशेष महत्व है. गणेश चतुर्थी के मौके पर आइये जानते हैं गणेश जी के अवतारों के बारे में.
गणेश जी का पहला रूप वक्रतुंड है,इसमें गणेश जी को वक्रतुंड कहते हैं. इस रूप में गणेश जी की सवारी शेर है. इस स्वरूप में ही इन्होंने मत्सरासुर नामक दैत्य को समर्पण हेतु बाध्य किया
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अपने दूसरे रूप में गणेश जी एकदन्त कहलाते हैं. इस रूप में गणेश जी की सवारी मूषक है.दासुर नामक दैत्य को इसी स्वरूप में इन्होंने समर्पण हेतु बाध्य किया.
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गणेश जी का तीसरा रूप है महोदर, इस रूप में भी गणेश जी की सवारी मूषक है.इस रूप में उन्होंने मोहासुर नामक दैत्य को समर्पण हेतु बाध्य किया. इसके बाद दैत्य मोहासुर गणेश जी का अनन्य उपासक बन गया. इसी महोदर स्वरूप में आपने दो अन्य दैत्यों-दुर्बुद्धि तथा उसके पुत्र ज्ञानारि का भी अंत किया
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गणेश जी का चौथा रूप है गजानन – अपने इस चौथे स्वरूप में भी गणेश जी का वाहन चूहा ही रहा तथा उन्होंने कुबेर पुत्र दैत्य लोभासुर को समर्पण हेतु बाध्य किया
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गणेश जी का पांचवा रूप लंबोदर है, इस रूप में भी गणेश जी की सवारी चूहा है.लंबोदर रूपी स्वरूप में आपने दैत्य क्रोधासुर को समर्पण हेतु बाध्य किया. इसी स्वरूप में आपने मायाकर नामक दैत्य के अत्याचारों का भी अंत किया
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गणेश जी का छठवां अवतार विकट है. इस स्वरूप में मोर को सौभाग्य प्राप्त हुआ गणेश जी का वाहन बनने का. दैत्य कामासुर को आपने इसी विकट स्वरूप में समर्पण हेतु बाध्य किया
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विघ्नराज – इस स्वरूप में गणेश जी सवार हुए शेषनाग पर और दैत्य ममासुर को समर्पण हेतु बाध्य किया। ममासुर को ममतासुर भी कहा जाता था।
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धूम्रवर्ण – सवारी के रूप में चूहा पुनः गणेश जी का वाहन बना और इस स्वरूप में आपने अहंतासुर (अहंकारसुर या अभिमानासुर) नामक दैत्य को समर्पण हेतु बाध्य किया