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तीज का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. हरतालिका तीज हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. शादीशुदा महिलाएं इस दिन पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं, मेंहदी लगाती हैं, अन्य साज-श्रृंगार करती हैं और भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करती है. इस दिन निर्जला उपवास रखा जाता है.
कई जगहों पर केवल शादीशुदा ही नहीं, बल्कि कुवांरी लड़कियां भी इस दिन व्रत रखती हैं. कहा जाता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत रखने और पूजा करने से मनचाहा वरदान मिलता है.
कई मुख्य पंचांगों के अनुसार हरतालिका तीज 2 सितंबर को है. इसलिए ज्यादातर इलाकों में इस साल हरतालिका तीज 2 सितंबर को मनाई जाएगी. हालांकि कुछ पंचांग में इसकी तिथि 1 सितंबर भी बताई जा रही है. ये पर्व भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है.
हरतालिका तीज के दिन शिव और पार्वती की मिट्टी से बनी प्रतिमा की पूजा करने का चलन है. व्रत करने वाली महिलाएं घर पर ही बनी प्रतिमा की पूजा करती हैं. शिव-पार्वती की फोटो रखकर भी पूजा की जा सकती है.
पूजा करने से पहले नहाकर साफ कपड़े पहनने चाहिए. पहले गणेश जी, नवग्रह और षोडश माता की पूजा की जाती है. इसके बाद शिव-पार्वती की प्रतिमा की पूजा होती है. इसके लिए शुद्ध जल, पंचामृत, रोली, मौली, अक्षत, सिंदूर, फिल-फूल, बेलपत्र का प्रयोग करना चाहिए.
मिट्टी से बनाई गई प्रतिमा को सुंदर वस्त्रों से सजाया जाता है. शिवजी को धोती-गमछा और पार्वती जी को लहंगा-ओढ़नी और सुहाग पिटारी चढ़ाकर आरती की जाती है.
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