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इस साल का पहला चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को लगने वाला है. हालांकि सोमवार को होने वाला ये पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन आध्यात्म और ज्योतिष के नजरिए से यह भारत के लिए बेहद अहम है. भारतीय मौसम और वातावरण पर इस ग्रहण का खासा असर पड़ेगा.
इस चंद्रग्रहण को 'सुपर ब्लड मून' का नाम दिया गया है. सुपर ब्लड मून बनने से इस दिन चांद अन्य दिनों के मुकाबले ज्यादा बड़ा दिखाई देगा.
भारतीय समय के अनुसार ये चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को सुबह 10 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 11 बजकर 12 मिनट तक रहेगा. बता दें सूतक काल ग्रहण शुरू होने से ठीक 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है. इस लिहाज से सूतक 20 जनवरी की रात 9 बजे से ही शुरू हो गया.
ये पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा, लेकिन अफ्रीका, उत्तरी-दक्षिणी अमेरिका, यूरोप के कुछ हिस्सों और मध्य प्रशांत महासागर में दिखाई देगा. इस अनोखी खगोलीय घटना को आप यहां घर बैठे 8:30 बजे से लाइव देख सकते हैं.
21 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर लगने वाला चंद्र ग्रहण पुष्य नक्षत्र और और कर्क राशि में लगेगा.
पूर्ण चंद्र ग्रहण को सुपर ब्लड मून कहा जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक इस चंद्र ग्रहण में चंद्रमा आम दिनों के मुकाबले 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी से ज्यादा चमकीला चमकदार दिखाई देता है. इस दौरान चांद का रंग लाल के करीब हो जाता है. यही वजह है कि इसे सुपर ब्लड मून कहा जाता है. रात के अंधेरे में ये नजारा बेहद लुभावना होता है. इस दौरान सूरज की रोशनी पृथ्वी से होकर चंद्रमा पर पड़ती है, इसी छाए से चांद का रंग भी ग्रहण के दौरान बदल जाता है.
ऐसे चंद्र ग्रहण को अमेरिका में रहने वाली जनजातियों ने 'वुल्फ मून' नाम भी दिया है. इसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि पूर्णिमा की रात को शिकार की तलाश में निकलने वाले भेड़िये उस चांद को देखकर जोर-जोर से आवाज लगाते हैं. इसलिए पश्चिमी देशों में इस चंद्र ग्रहण का एक और नाम 'सुपर ब्लड वुल्फ मून' भी पड़ गया.
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