advertisement
Chaitra Navratri 3nd Day Aarti Lyrics: चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा (Ma Chandraghanta) की पूजा की जाती है, मां चंद्रघंटा को बेहत शांतिदायक और कल्याणकारी माना जाता है. कहते हैं जो भक्त मां चंद्रघंटा का पूजन करते हैं उन्हें आध्यात्मिक शक्ति मिलती है और उनपर मां चंद्रघंटा की विशेष कृपा बरसती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार मां चंद्रघंटा ने राक्षसों का संहार करने के लिए अवतार लिया था और उनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियां हैं.
मां चंद्रघंटा का स्वरूप हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा व धनुष धारण किए है. देवी मां के माथे पर अर्द्ध चंद्र विराजमान है जिस चलते उन्हें अपना नाम चंद्रघंटा (Chandraghanta) नाम मिला है. राक्षसों का विनाश करने वाली मां चंद्रघंटा भक्तों के लिए शांत और सौम्य व्यक्तित्व की हैं.
नवरात्रि के तीसरे दिन सर्वप्रथम जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें. फिर मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें. अब माता रानी को अक्षत, सिंदूर, पुष्प आदि चीजें अर्पित करें.
चैत्र शुक्ल के द्वितीय तिथि 6:20 बजे तक रहेगा. इसके अलावा, पूरे दिन सर्वदा सिद्धि योग भी बना रहेगा. तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा आराधना की जाती है जिसमें शाम 4:59 बजे तक शुभ मुहूर्त पूजा करने का रहेगा. चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा आराधना की जाती है जिसका शुभ मुहूर्त शाम 4:23 बजे तक रहेगा.
ऐसा माना जाता है कि देवी चंद्रघंटा को सुनहरा या पीला रंग पसंद है, जिसे आमतौर पर इस दिन के भक्तों द्वारा सजाया जाता है.
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम
पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दाती
चंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली
हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं
शीश झुका कहे मन की बाता
पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा
करनाटिका में मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी
'भक्त' की रक्षा करो भवानी.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)