advertisement
देशभर में नवरात्र के तीसरे दिन की पूजा-अर्चना की जा रही है. इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. शास्त्रों में माना गया है कि मां के माथे पर चांद का आकार बना हुआ है, जिस कारण उन्हें चंद्रघंटा नाम से जाना जाता है.
मां सिंह की सवारी करती हैं और उनके हाथ में शस्त्र होते हैं. माना जाता है कि जो लोग मां की सच्चे मन और विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं मां पूरी करती हैं.
‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः’
इस मंत्र को पढ़ने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
ऐसी मान्यता है कि मां चंद्रघंटा को गुड़ और लाल सेब बहुत पसंद हैं. घंटा और ढोल-नगाड़े बजाकर पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं. आरती करते समय घंटा जरूर बजाना चाहिए. पूजा के बाद प्रसाद के रूप में गाय का दूध चढ़ाएं.
विधि-विधान के साथ मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भय से मुक्ति और साहस मिलता है. मां चंद्रघंटा के दस हाथ होते हैं और मां इन दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र पकड़े रहती हैं. मां चंद्रघंटा तंत्र साधना में मणिपुर चक्र नियंत्रित करती हैं और ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह के साथ माना गया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)