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नवरात्रि का पावन पर्व हर जगह मनाया जाता है. इस पर्व में सभी घरों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि का सातवां दिन हैं और आज का दिन मां कालरात्रि को समर्पित है. आज मां कालरात्रि की पूजा की जाती है और उनकी पूजा में यह आरती गाना खूब शुभ माना जाता है. वहीं आठवें दिन मां महागौरी की आरती की जाती है. ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा की पूजा के वक्त आरती करना जरूरी होता है.
जय महागौरी जगत की माया ।
जया उमा भवानी जय महामाया ।।
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहां निवासा ।।
चंद्रकली ओर ममता अंबे ।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे ।।
भीमा देवी विमला माता ।
कौशिकी देवी जग विख्याता ।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा ।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया ।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया ।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया ।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया ।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता ।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो ।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो ।।
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
वहीं नवरात्रि के आखिरी दिन महानवमी सेलिब्रेट की जाती है. इस दिन ही लोग अपने व्रत का पारण करते हैं. नवरात्रि समाप्त होने के बाद दसवें दिन दशहरा या विजयादशमी का त्योहार सेलिब्रेट किया जाता है.
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