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ओणम का त्योहार दक्षिण भारत के केरल राज्य में लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. ओणम का पर्व 13 दिनों तक मनाया जाता है. ओणम का महत्व केरल के लोगों के लिए काफी मायने रखता है. ओणम के पहले दिन को उथाद्रम कहा जाता है. उथाद्रम के दिन घर की साफ- सफाई कर घर को सजाया जाता है.
ओणम क्या है और इसे क्यों मनाते हैं. असल में माना जाता है कि थिरूओणम, यानी ओणम के दूसरे दिन राजा बलि पधारते हैं. इसलिए इसदिन पूजा का विधान है. ओणम मलयालम कैलेंडर के पहले महीने चिंगम से शुरू होता है. वहीं ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर साल अगस्त-सितंबर में पड़ता है.
ओणम कब है
इस साल ओणम 22 अगस्त 2020 से 2 सितंबर 2020 तक
ओणम का महत्व
ओणम को मलयालम कैलेंडर के अनुसार राज्य का कृषि पर्व माना जाता है. कहा जाता है कि ओणम राजा बलि के स्वागत में मनाया जाता है. वामन पुराण के अनुसार असुरों के राजा बलि ने अपने बल और पराक्रम से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था. जब बलि के आधिपत्य से घबराकर इंद्र देवता भगवान विष्णु से मदद मांगने पहुंचे, तो भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे.
वामन ने बलि से तीन पग भूमि मांगी. पहले और दूसरे पग में भगवान ने धरती और आकाश को नाप लिया. अब तीसरा पग रखने के लिए कुछ बचा तो राजा बलि ने कहा कि तीसरा पग उनके सिर पर रख सकते हैं. भगवान वामन ने ऐसा ही किया. इस तरह राजा बलि के आधिपत्य में जो कुछ भी था वह देवताओं को वापस मिल गया.
इसके साथ ही बलि के भाव को देखकर भगवान वामन ने उन्हें वरदान दिया कि वह साल में एक बार अपनी प्रजा और राज्य से मिलने जा सकते हैं. इसी के साथ यह मान्यता पड़ी की राजा बलि ओणम के त्योहार पर अपनी प्रजा से मिलतने आते हैं.
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