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हिंदू पंचाग के मुताबिक, वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती हैं. आज ही के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार महर्षि परशुराम का जन्म हुआ था. सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि परशुराम आज भी इस दुनिया में जीवित हैं.
परशुराम भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त माने जाते हैं. आज देशभर में अक्षय तृतीया के साथ परशुराम जयंती भी मनाई जा रही है. इस खास अवसर पर हम आपको इनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें बता रहे हैं.
शिव भक्त थे परशुराम
परशुराम भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं. वे दिन-रात शिव की अराधना करते थे. शिव भगवान भी परशुराम से प्रसन्न रहते थे. कहा जाता है कि परशुराम ने धरती पर 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था. मान्यता है कि आज ही के दिन से सतयुग की शुरुआत भी हुई थी.
गुस्से में गणेश भगवान को दिया था दंड
परशुराम को न्याय का देवता कहा जाता है. साथ ही ये उग्र प्रवृत्ति के माने जाते हैं. भगवान गणेश भी उनके क्रोध से वंचित न रह सके थे. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, जब परशुराम भगवान शिव के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे, तो भगवान गणेश ने उन्हें शिव से मिलाने के लिए मना कर दिया था. इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने फरसे से गणपति का एक दांत तोड़ दिया था.
हर युग में हैं मौजूद
आज भी ऋषि परशुराम को अमर माना जाता है. कहा जाता है कि परशुराम हर युग में मौजूद रहे हैं. वे त्रेतायुग से लेकर द्वापरयुग में भी थे. पुराणों के अनुसार, परशुराम ने न सिर्फ महाभारत का युद्ध, बल्कि भगवान श्रीराम का समय भी देखा था.
शिव ने दिया परशु अस्त्र
परशुराम की माता का नाम रेणुका और पिता का नाम जमदग्नि ॠषि था. ऐसा कहा जाता है कि परशुराम ने पिता के कहने पर अपनी मां का वध कर दिया था, जिस वजह से उन पर मातृ-हत्या का पाप लगा. इसके बाद परशुराम ने भगवान शिव की तपस्या की और मातृ-हत्या के पाप से मुक्ति पा ली. इसके साथ ही भगवान शिव ने उन्हें मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु अस्त्र प्रदान किया था. इस कारण उन्हें परशुराम कहा गया.
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