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Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष में दान का विशेष महत्व होता हैं ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में जो व्यक्ति दान आदि करता है उसको उसका कई गुना ज्यादा फल प्राप्त होता है साथ ही आपके पितरों की आत्मा को शांति मिलती हैं. लेकिन पितृपक्ष में दान के समय हमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. ऐसे में हम आपकों बता रहें हैं कि पितृपक्ष में किन चीजों का दान भूलकर भी नहीं करना चाहिए क्योंकि, इन चीजों का दान करने से आपको पितर आपसे नाराज हो सकते हैं और आपको पितृदोष का सामना करना पड़ सकता है.
जूठे भोजन का दान न करें
पितृ पक्ष में अन्न का दान करना बहुत ही शुभ माना गया है, साथ ही शास्त्रों में भी कहा गया है कि अन्न दान महा दान होता है. पितृ पक्ष में यदि आप भोजन का दान करना ही चाहते हैं तो अच्छे भोजन का दान करें और किसी को भी अपना जूठा भोजन तो बिल्कुल भी न दें. पितृ पक्ष में अच्छा और शुद्ध भोजन किसी को करवाने से पितर खुश होते हैं.
लोहे के बर्तन दान न करें
पितृपक्ष में कई लोग बर्तन का दान करते हैं लेकिन, इस बात का ख्याल रखें की आप लोहे के बर्तन का दान न करें. लोहे के बर्तन का दान करने से पितर आपसे नाराज हो सकते हैं और आप पर पितृदोष लग सकता है, इसलिए स्टील के बर्तन का ही दान करें.
तेल का दान न करें
पितृ पक्ष में तेल का दान नहीं करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में तेल का दान करने से आपके पितर आपसे नाराज हो सकते हैं. खासकर के सरसों के तेल का दान तो भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
पुराने कपड़े दान न करें
पितृ पक्ष में यदि आप कपड़े दान करना चाहते हैं तो याद रखें की दान में सिर्फ नए कपड़े ही दें. अपने पुराने और बेकार कपड़े किसी को भी दान में नहीं दें साथ ही जूते चप्पल भी दान न करें, क्योंकि, इस तरह का दान करने से व्यक्ति पर राहु दोष और पितृदोष लगता है जिससे आपकी तरक्की में बाधा पैदा हो सकती है.
काले कपड़ें का दान न करें
पितृपक्ष के दौरान व्यक्ति को काले रंग के कपड़े किसी को भी दान नहीं देने चाहिए. पितृपक्ष में सफेद रंग के कपड़े व्यक्ति को दान में देने चाहिए. सफेद रंग के कपड़े दान करने से हमारे पूर्वज हमसे खुश होते हैं.
पितृपक्ष के दिनों में लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए साथ ही इन दिनों अपने घर के बुजुर्गों और पितरों का अपमान न करें. इससे पितर नाराज हो जाते हैं और पितृ दोष लग सकता है.
पितृपक्ष के दौरान किसी भी तरह के धार्मिक या मांगलिक कार्य जैसे मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश, नामकरण आदि का आयोजन न करें. मान्यता है कि पितृपक्ष में शुभ कार्य करने से उनका फल नहीं मिलता है.
पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करने के लिए पानी में काला तिल, फूल, दूध और कुश जरूर मिलाएं. मान्यता है कि इसके इस्तेमाल से पितर जल्द ही तृप्त होते हैं. पितृपक्ष के दिनों में पितरों के लिए जो भी भोजन रखें वह भोजन बाद में गाय, कौआ, कुत्ता आदि को खिला दें.
हिंदू धर्म में मान्यता है कि इनके माध्यम से यह भोजन पितरों तक पहुंच जाता है. पितृपक्ष के दौरान रोजाना स्नान के तुरंत बाद जल से ही पितरों को तर्पण करें. इससे उनकी आत्माएं जल्द तृप्त होती हैं और आशीर्वाद देती हैं. इसके अलावा यदि आप अपने पितरों का तर्पण करते हैं, तो ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें.
पितृ पक्ष में पूर्वजों की मृत्यु की तिथि के अनुसार उनका श्राद्ध किए जाने की परंपरा है. जिन लोगों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती है और उन लोगों का श्राद्ध अमावस्या तिथि के दिन किया जाता है.
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