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Pradosh Vrat 2024: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व होता है, हर महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं पहला कृष्ण पक्ष में दूसरा शुक्ल पक्ष में फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. फाल्गुन माह की त्रयोदशी तिथि 22 मार्च, 2024 शुक्रवार के दिन पड़ रही हैं. शुक्रवार के दिन पड़ने के चलते इसे शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat) भी कहते हैं. इस दिन भोलेनाथ और माता-पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है. कहते हैं प्रदोष का व्रत रखने पर भोलेनाथ (Lord Shiva) प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं.
इस दिन प्रदोष काल में पूजा करने का शुभ समय है शाम 6.34 मिनट से 8.55 मिनट तक. प्रदोष काल सूर्यास्त से शुरू से हो जाता है. इस दिन शुक्रवार पड़ने की वजह से इस व्रत को शुक्र प्रदोष के नाम से जाना जाता है.
प्रदोष का व्रत शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है, इस दिन त्रयोदशी तिथि 22 मार्च को सुबह 4.44 मिनट पर शुरू हो जाएगी जो 23 मार्च को सुबह 7.17 मिनट तक चलेगी.
पूजा की सामग्री में धूप, रोली, दीप, चंदन, अक्षत, शमी के पत्ते, मिठाई, फल, फूल, धतूरा, भस्म और बेलपत्र आदि शामिल किए जा सकते हैं. निम्न वो मंत्र दिए जा रहे हैं जिनका प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान जाप किया जा सकता है.
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान कुछ खास मंत्रों का जाप भी किया जा सकता है. इन मंत्रों का जाप करना बेहद शुभ माना जाता है.
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव प्रार्थना मंत्र
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥
शिव स्तुति मंत्र
द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।
उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।
शिव गायत्री मंत्र
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।
शिव आरोग्य मंत्र
माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।
आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
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